चीन के लिए जासूसी के आरोप में पकड़े गए भारतीय पत्रकार राजीव शर्मा (61) से पूछताछ के बाद स्पेशल सेल ने शनिवार को दिल्ली के महिपालपुर इलाके से एक चीनी महिला और उसके नेपाली सहयोगी को भी धर दबोचा। विदेशी आरोपियों की पहचान चीनी नागरिक क्विंग शी (30) और शेर सिंह उर्फ राज बोहरा (30) के तौर पर की गई है।
आरोपी पत्रकार यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया, द क्विंट, हिंदुस्तान टाइम्स तथा टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे अखबारों के लिए काम कर चुका है दिल्ली पुलिस का कहना है कि पत्रकार राजीव शर्मा वर्ष 2016 से लगातार चीनी खुफिया एजेंसियों के एजेंट माइकल और जॉर्ज से जुड़कर जासूसी कर रहा था। इसके बदले चीनी खुफिया एजेंसियां हवाला और भारत में फर्जी कंपनी बनाकर उसको मोटी रकम देती थी। पुलिस के मुताबिक जनवरी 2019 से सितंबर 2020 के बीच स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा को करीब 45 लाख रुपये चीनी खुफिया एजेंसियां दे चुकी हैं।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि राजीव शर्मा को 14 सितंबर को पकड़ा गया और उसे कोर्ट में पेश कर छह दिन की रिमांड पर लेकर लगातार पूछताछ की जा रही है। आरोपियों के पास से 12 मोबाइल फोन कई टैब, लैपटॉप, चीनी एटीएम समेत कई कार्ड व अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए हैं। पुलिस का कहना है कि इस रैकेट से कई अन्य लोग भी जुड़े हो सकते हैं। एक बड़े रैकेट का खुलासा होने की आशंका अभी बनी हुई है।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि भारत सरकार के कुछ मंत्रालयों के संदिग्धकर्मी भी रडार पर हैं क्योंकि बिना कर्मी की मिलीभगत से इस तरह की जासूसी रैकेट को चलाया नहीं जा सकता।
डीसीपी संजीव कुमार यादव का कहना है कि पिछले काफी दिनों से उनकी टीम को सेंट्रल खफिया एजेंसियों से राजीव शर्मा के बारे में जासूसी की जानकारी मिल रही थी। इस सूचना के बाद राजीव शर्मा से संबंधित जानकारियों को पुख्ता करने के बाद 13 सितंबर को स्पेशल सेल ने सरकारी गोपनीयता कानून और अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर 14 सितंबर को राजीव शर्मा को पीतमपुरा के सेंट जेवियर अपार्टमेंट से गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ में खुलासा हुआ है कि राजीव शर्मा 1982 से पत्रकारिता कर रहा था। उसने कई बड़े नामी अखबारों के अलावा राष्ट्रीय न्यूज एजेंसियों में नौकरी की थी। जांच में पता चला कि स्वतंत्र पत्रकार रक्षा मामलों और विदेश नीति के बारे में लगातार लिख रहा था। उसके पास पीआईबी कार्ड मौजूद था, जिसके चलते उसका आना-जाना कई मंत्रालयों में था।
साल 2010 में मेन स्ट्रीम छोड़कर राजीव शर्मा ने स्वतंत्र पत्रकार के रूप में काम करना शुरू किया। इस दौरान 2010 से 2014 के बीच यह चीन के मुखपत्र और वहां के प्रमुख समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के लिए साप्ताहिक कॉलम लिखता था। ग्लोबल टाइम्स के अलावा वह राघव बहल के the quint में भी नियमित तौर पर लिखा करता था। यह राघव बहल वही है, जिसने सोनिया गांधी की ‘मनमोहनी सरकार’ के दौरान कांग्रेस के फेवरेट पत्रकार राजदीप सरदेसाई के साथ मिलकर CNN-IBN, IBN7 आदि न्यूज चैनलों को आरंभ किया था। राघव बहल पर मनि लाउंड्रिंग का भी आरोप है। यही नहीं, इसके the quint पर भारत का साथ गद्दारी का भी आरोप है। भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को जबरदस्ती रॉ का एजेंट साबित कर अंतरराष्ट्रीय अदालत में पाकिस्तान को फायदा पहुंचाने की कोशिश की का आरोप the quint पर है। ऐसे the quint में देश विरोधी राजीव शर्मा जैसों को आसानी से लिखने को जगह मिल जाती है।
उधर, राजीव के प्रो-चीनी लेख को पढ़कर चीनी खुफिया एजेंसी की नजर उस पर पड़ी। उसे चीन बुलाया गया। चीनी खुफियाा विभाग के माइकल व उसके जूनियर शू ने राजीव से भारत-चीन की सीमा पर सेना की तैनाती और मूवमेंट की जानकारी, डोकलाम, भूटान-सिक्कम और चीन, ट्राई जंक्शन की जानकारी, भारत-म्यांमार सेना से जुड़ी जानकारियां मांगी। इसके बदले राजीव शर्मा को मोटी रकम देने का वादा किया गया।
2016 से 2018 के बीच राजीव शर्मा थाईलैंड, मालद्वीव, नेपाल और लाओस जाकर इनके साथ मीटिंग करता रहा। चीनी खुफिया विभाग राजीव शर्मा को लगातार ग्लोबल टाइम्स में कॉलम लिखने के लिए कहते रहे। इसके बदले राजीव को 500 से 1000 यूएस डॉलर दिए जाते रहे। इसके बाद 2019 में राजीव एक दूसरे चीनी एजेंट जॉर्ज के संपर्क में आया। दिल्ली पुलिस ने जांच के आधार पर खुलासा किया कि जॉर्ज ने नेपाल के रास्ते राजीव शर्मा को चीन बुलाया। जॉर्ज ने दलाई लामा से जुड़ी जानकारियां देने और उसके बारे में कॉलम लिखने के लिए कहा। बदले में मोटी रकम देने की बात की गई।
जॉर्ज के कहने पर दिल्ली के महिपालपुर में चीनी खुफिया विभाग ने फर्जी कंपनियां एम.जेड फार्मेसी और एम.जेड मॉल बनाई। इस फर्जी कंपनी में चीनी युवती क्विंग शी और नेपाली युवक शेर सिंह को कंपनी का निदेशक बना दिया गया। दिल्ली पुलिस ने बताया है कि चीनी महिला क्विंग शी भारत में पढ़ने के बहाने आई थी। चीनी महिला और नेपाली नागरिक दोनों चीनी दवाईयां एक्सपोर्ट करने की आड़ में चीन से आए रुपयों को राजीव के खाते में भेजते थे।
फर्जी कंपनियों से 10 ट्रांजेक्शन से 30 लाख रुपये राजीव के खाते में ट्रांसफर होने का पता चला है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि राजीव शर्मा के संपर्क में विदेश मंत्रालय के कोई अधिकारी तो नहीं थे जो उसे गोपनीय सूचनाएं मुहैया करा रहे थे। स्पेशल सेल का कहना है कि इस महत्वपूर्ण मामले की जांच चल रही और आगे की जानकारी बाद में दी जाएगी।
सूत्रों ने दावा किया है की इस मामले में एक और पत्रकार समेत कुछ अन्य देसी विदेशी लोगों से पूछताछ चल रही है। पुलिस ने दावा किया है कि राजीव शर्मा चीन के लिए लंबे समय से जासूसी कर रहा था। उसके कब्जे से जो कागजात मिले हैं, वह बेहद गोपनीय हैं और वह उसे चीन को देने वाला था। इस बात के भी सबूत मिल चुके हैं कि आरोपी पहले कुछ महत्वपूर्ण तथा गोपनीय दस्तावेज दे चुका है और इसकी एवज में मोटी रकम भी वसूल चुका है।
राजीव शर्मा केे साथ जो दो विदेशी लोग गिरफ्तार किए गए है उनके भारत में मौजूदगी को लेकर छानबीन की जा रही है। राजीव शर्मा के परिवार वालों तथा उनके संपर्क में रहने वाले कुछ लोगों से पूछताछ की जा रही है। इसके अलावा राजीव शर्मा के मोबाइल फोन कॉल रिकॉर्ड को भी खंगाले गए हैं तथा संदेह के घेरे में आए कुछ अन्य लोगों से भी इस बाबत पूछताछ की जा रही है। इसके अलावा आरोपी का ईमेल अकाउंट और मोबाइल फोन भी चेक किया जा रहा है।
उधर दिल्ली का प्रेस क्लब देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार राजीव शर्मा को बचाने के लिए उतर आया है। प्रेस क्लब पर वामपंथी पत्रकारों का कब्जा है। संदेह है कि इनके बीच भी चीनी घुसपैठ है चुकी है। पहले भी प्रो पाकिस्तानी और देशद्रोह के आरोप में घिरे JNU के पूर्व छात्र कन्हैया कुमार और दिल्ली दंगे के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक उमर खालिद जैसे कम्युनिस्टों और कट्टरपंथियों को बचाने के लिए प्रेस क्लब लॉबिंग कर चुका है।