उठो! सैकड़ों वर्षों की गुलामी के कारण मानसिक परतंत्रता की बेड़ियों ने हमारे मन, दिलो-दिमाग और विचारों को जो अभी तक जकड़ रखा था उसे अब तोड़कर फेक देना होगा। षड्यंत्रकारी विधर्मियों, कथित हिन्दूत्ववादी संगठनों, जिहादियों और धूर्त मिशनरियॉं सेवा का नाटक कर हमारे देश के भोले-भाले गरीब आदिवासी हिन्दुओं का, हमारे नौजवानों का धर्मांतरण कर रही हैं। ये हमारे ही पैसों से हमारी सनातन वैदिक संस्कृति को, हमारे श्रेष्ठ हिन्दू धर्म को, हमारे स्वर्णिम इतिहास कों हमारे देश-विचार सें नष्ट करना चाहती हैं तथा हमारे अपने ही लोगों को हमारा ही दुश्मन बना रही हैं।
हिन्दू जागृत नहीं हैं इसलिए धर्मांतरण करने, जिहाद करने वालें अपना षड्यंत्र सफल कर पा रहे हैं। हिन्दूओं की जागृतिमात्र से इनका यह षड्यंत्र विफल हो सकता है। हमारी संस्कृति की महानता को, ऋषि-मुनियों की परम्परा को तथा इन धुर्तों के षड्यंत्र को हमें समझना होगा। परिवार के, पड़ोस के, समाज के लोगों को समझाकर जागृत करना होगा।
अपने क्षेत्र में इनके षड्यंत्रों का पर्दाफाश करना होगा तथा संत-महापुरूषों संमार्गदर्शन लेकर अपने महान हिन्दू धर्म की रक्षा करनी होगी ताकि अपने जिले, राज्य, राष्ट्र में हिन्दू सुखी, सम्मानित व स्वतंत्रता के साथ जीवनयापन कर अपनी आदर्श संस्कृति का प्रचार कर सकें।
आशा ही नही वरन् सम्पूर्ण विश्वास है कि आप ‘‘भारत जागृति अभियान’’ के धर्म व संस्कृति रक्षा के इस महान पावन कार्य में कंधे-से-कंधा मिलाकर, विचार से विचार मिलाकर सहयोग करेंगे। आपके सुझाव ‘भारत जागृति अभियान‘ के सचल दूरभाष क्रमांक 8866640992, 8357837499 पर सादर आमंत्रित है।
जय हिंद वंदे मातरम्
पादरी ‘रेवरेण्ड आवर’ का अपने मिषन के नाम पत्र
अमेरीका के पादरी रेवरेण्ड आवर को भारत में ईसाई धर्म का प्रचार करने के लिए भेजा गया। उन्होंने पूणे (महाराष्ट्र) के आसपास प्रचार प्रारंभ किया। एक दिन जब वे कुछ लोगो के सामने हिन्दू धर्म की निन्दा तथा ईसाई धर्म की प्रशंसा कर रहे थे, तब पं. सीतारामजी गोस्वामी ने उनसे कहा: ‘‘आप बिना जाने-समझे हिन्दू धर्म की निन्दा क्यों करते है? आपको चाहिए कि हिन्दू धर्म के संबंध में कुछ कहने से पहले उसे भलीभॉंति समझ लें।‘‘
यह बात पादरी आवर को ठीक प्रतीत हुई। उन्होंने संस्कृत तथा मराठी भाषा सीखकर हिन्दू धर्मग्रंथों का गहन अध्ययन किया। इससे उनकी हिन्दू धर्म के प्रति गहन निष्ठा हो गयी। उन्होंने अमेरिकन मिशन जो विश्वभर में ईसाई धर्मांतरण को व्यापार की तरह संचालित करती है को पत्र लिखाः- ‘भारत में सैकड़ों ईसा हैं अर्थात् ईसा जैसे अनेक संत हो गये हैं। अतः भारत में ईसाई धर्म के प्रचार का कोई औचित्य नही है। भारत में ईसाई धर्मप्रचार-कार्य पूर्णतः बंद कर देना चाहिए। मैंने हिन्दू धर्मग्रंथो का गहन अध्ययन कर इस तथ्य को जान लिया है कि भारतवर्ष सत्य धर्म का अगाध समुद्र है।
अतः मैं मिशन से त्यागपत्र देता हूं। आज के बाद मैं ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार नहीं करूंगा। इतना ही नहीं, अपनी आठ लाख की सम्पत्ति मैं ‘‘ भारतीय इतिहास शोधक मण्डल’’ को अर्पित करता हूं जिससे मण्डल द्वारा भारतीय सद्ग्रंथों के अनुवाद प्रकाशित होते रहें। बुद्धि और विचार से ही मनुष्य मनुष्य है अन्यथा उसमें व मनुष्येतर प्राणियों में क्या अंतर है? जो विचार, संस्कृति, धर्म मनुष्य की बुद्धि को कैद करते हैं!
ऐसे विचार, संस्कृति, धर्म विश्वमानव का हित नहीं अहित ही करते हैं। उसे कूप-मण्डूक बनाते हैं, उसकी विकास प्रक्रिया को रोकते हैं। विश्व में प्रचलित सभी धर्मः- ईसाई, इस्लाम, यहूदी, पारसी, बौद्ध आदि मनुष्य की बुद्धि और विचार को संकुचित कर कैद करते हैं। केवल भारतीय सनातन वैदिक हिन्दू धर्म ही एक ऐसा धर्म है जो मनुष्य को बौद्धिक स्वतं़त्रता प्रदान करता है अतः मैं सनातन वैदिक धर्म का हिमायती हूं।
शेष अगले भाग में…
विजय कुमार शर्मा
सहसपुर लोहारा, जिला-कवर्धा छत्तीसगढ
8357837499