
गांधी परिवार के कहने पर ही नेशनल हेराल्ड से लेकर नीरव मोदी तक की सेवा कर रहा था पीएनबी!
सत्ता में रहकर पावर का किस प्रकार अपने हित के लिए दुरुपयोग किया जाता है यह अगर किसी से सीखना है तो वह है गांधी परिवार। नीरव मोदी तो वर्तमान की कहानी है लेकिन सरकारी बैंकों से लोन लेकर उसे नहीं चुकाने की कहानी 1975 से शुरू होती है। जब सीधे इंदिरा गांधी के हस्तक्षेप के कारण पंजाब नेशनल बैंक ने बिना किसी सेक्योरिटी के एसोसिएस जर्नल लिमिटेड यानि नेशनल हेराल्ड को करीब 15 लाख रुपये (अभी करोड़ों) का लोन दे दिया। खास बात है कि पीएबी का वह लोन कभी चुकाया नहीं गया और नेशनल हेराल्ड को भी ऋणमुक्त कर दिया गया। नीरव मोदी उसकी अगली कड़ी हैं। आरोप है कि पीएनबी 1976 से ही गांधी परिवार के कहने पर नेशनल हेराल्ड से लेकर नीरव मोदी तक की सेवा कर रहा था। यह खुलासा जस्टिस जेसी शाह आयोग की जांच रिपोर्ट के आधार पर सोशल मीडिया गुटरगू के संस्थापक भाजपा नेता सुरेश नखुआ ने किया है।
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* नीरव मोदी से पहले भी पीएनबी ने आपातकाल के दौरान गांधी परिवार से जुड़े नेशनल हेराल्ड को दिया था लाखों का लोन
* जस्टिस जेसी शाह आयोग की जांच रिपोर्ट के हवाले से भाजपा नेता सुरेश नखुआ ने सोशल मीडिया गुटरगू पर किया खुलासा
उन्होंने शाह रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि किसी प्रकार गांधी परिवार ने हर सरकारी संस्था का दुरुपयोग किया। उन्होंने कहा कि आज जितने भी घोटाले हो रहे हैं उसके बीज काफी पहले ही कांग्रेस के शासनकाल भी बोए गए थे। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार पर मौखिक रूप से लोन देने का आरोप लगा रहे हैं तो वह हवा में नहीं है बल्कि ठोस सच्चाई है। 1976 में भी कर्ज में डूबे नेशनल हेराल्ड को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्देश पर तत्कालीन उर्वरक मंत्री पीसी सेठी के मौखिक आदेश पर ही पीएनबी ने करीब 10 लाख रुपये का लोन दिया था। मालूम हो कि पीसी सेठी उस समय कांग्रेस के कोषाध्यक्ष भी थे। नेशनल हेराल्ड पीएनबी से लोन पर लोन लेता रहा लेकिन एक भी पैसा नहीं चुकाया।
इसकी नींव तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरागांधी ने तभी रख दी थी जब उन्होंने रिजर्ब बैंक ऑफ इंडिया के खिलाफ के बावजूद टीआर तुली को पीएनबी का सीएमडी (चेयरमैन तथा प्रबंध निदेशक) बना दिया। शाह रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई टीआर तुली को प्रबंध निदेशक बनाए जाने के खिलाफ था। तत्कालीन वित्त मंत्री सी सुब्रमनियम ने भी उस पद के लिए किसी और का चयन कर रखा था। लेकिन इंदिरा गांधी ने किसी की बात न सुनते हुए तुली को प्रबंध निदेशक बना दिया। यह वह कदम था जिसके बाद से पीएनबी एक प्रकार से गांधी परिवार का बैंक बनकर रह गया। तभी तो बिना सिक्योरिटी के नेशनल हेराल्ड से लेकर नीरव मोदी तक लोन की नदिया बहाता रहा। पीएनबी से लोन के लिए गांधी परिवार के निर्देश पर किसी पूर्व मंत्री का फोन कॉल जाना ही काफी था। उसके बाद बगैर किसी औपचारिकता के लोन मिलना तय हो जाता था। इस घटना के बाद ही इंदिरा गांधी ने सी सुब्रमनियम को अपनी लाइन पर चलने के लिए मजबूर कर दिया। तभी तो गांधी परिवार के नेशनल हेराल्ड ने 1976 में पीएनबी से लाखों रुपये लोन लिए लेकिन आज तक उस ऋण का एक पैसा भी नहीं चुकाया है।
यह वही एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड की नेशनल हेराल्ड कंपनी है जिसमें घोटाला मामले में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और वर्तमान अध्यक्ष राहुल गांधी जमानत पर बाहर घूम रहे हैं। इन दोनों पर सरकार का लाखों रुपये का आयकर चोरी और गलत तरीके से नेशनल हेराल्ड को हड़पने का आरोप है। इस हिसाब से अगर कहें कि भारत में भ्रष्टाचार की जननी कांग्रेस खासकर गांधी परिवार ही रही है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा। ऐसा नहीं है कि नेशनल हेराल्ड किसी व्यवसाय के तहत घाटे में डूबा था। शाह आयोग की रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि प्रबंधकीय मिलीभगत कर कंपनी को घाटे में दिखाकर गांधी परिवार की तिजोरी भरी गई थी। क्योंकि नेशनल हेराल्ड पर जो भी देनदारी बनती थी वह कभी चुकाई ही नहीं गई।
नेशनल हेराल्ड का सारा ऋण माफ कर दिया जाता था। अब सवाल उठता है कि पीएनबी से लिए ऋण में से कभी किसी को एक फूटी कौड़ी नहीं दी गई तो फिर वो सारा पैसा गया कहां? इस प्रश्न से आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि वह पैसा कहां जाता था? गांधी परिवार के इस कारनामे का खुलासा स्वयं पीएनबी के तत्कालीन प्रबंध निदेशक टीआर तुली ने किया। शाह आयोग ने जब उनसे पूछताछ की तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि बैंक किसी मंत्री के कहने मात्र से लोन देता था।
उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि नेशनल हेराल्ड का सीधा संबंध तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से थी इसलिए नेशनल हेराल्ड को लोन देने में कभी कोई कोताही नहीं की गई। आपातकाल के दौरान इस प्रकार बैंक से गबन करना कोई अलग कहानी कह रही है। 1975 से लेकर 1977 तक नेशनल हेराल्ड को तीन से अधिक बार लाखों रुपये का जितना भी लोन दिया गया, वह आज तक वापस नहीं किया गया। तभी तो शाह आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट में तुली के बारे में लिखा है कि लोन देने में उन्होंने ही लापरवाही बरती। उन्होंने अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं किया। नेशनल हेराल्ड ने न सिर्फ पीएनबी का ही लोन पचा रखा है बल्कि सिंडिकेंट बैंक, यूनाइटेड कॉमर्शियल बैंक तथा विजया बैंक समेत चार बैंकों का लोन पचा चुका है। और यह सब इंदिरा गांधी की सत्ता के हनक के कारण ही संभव हो पाया है।
URL: From National Herald to Nirav Modi, PNB distributing loan on Gandhi family order
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