सत्ता सुख की कामना , सबसे गंदी भावना ;
खाओ कमाओ मौज उड़ाओ , सत्य की अवमानना ।
डेमोक्रेसी डेमनक्रेसी है , गुंडों की बन आती है ;
भले लोग पीछे रह जाते , हर अच्छाई जाती है ।
धनबल,पशुबल,विषकन्यायें , उनका खुलकर प्रयोग होता ;
झूठा-इतिहास व गंदी-शिक्षा, इन सबको प्रोत्साहन देता ।
गांधी – नेहरू – अंग्रेज – जेहादी , इनका ही षड्यंत्र है ;
कायर – कमजोर – नपुंसक नेता , बना इन्हीं का यंत्र है ।
यही तो हैं अब्बासी – हिंदू , हुआ मानसिक खतना है ;
अज्ञान की निद्रा हिंदू सोया , पता नहीं कब जगना है ?
पर अब जगना शुरू हो रहा , सोशल – मीडिया आया है ;
एक दिये से जले दूसरा , सर्वत्र प्रकाश अब छाया है ।
अज्ञान की निद्रा त्यागो हिंदू ! भारत की रक्षा करनी है ;
धर्म की रक्षा , अपनी रक्षा , देश की रक्षा करनी है ।
शक्ति – केंद्र जो सत्ता में है , इसका पतन रोकना है ;
दल सारे बन चुके हैं दलदल , इनको हमें छोड़ना है ।
“हिंदू का ब्रह्मास्त्र” है “नोटा” , सत्ता परिवर्तन करना है ;
किसी भी दल का या निर्दल हो , कट्टर-हिंदू ही चुनना है ।
सारे – हिंदू वोट करेंगे , कट्टर – हिंदू को जिताना है ;
जहां नहीं ऐसा प्रत्याशी , “नोटा-ब्रह्मास्त्र” चलाना है ।
या तो जीते कट्टर – हिंदू या चुनाव को रद्द कराओ ;
अब तो केवल यही मार्ग है , देश को “हिंदू-राष्ट्र”बनाओ ।
सर्वश्रेष्ठ है हिंदू – शासन , धर्म – सनातन से पाओ ;
कृष्ण-विदुर-चाणक्य नीति से , पूर्ण-सुशासन ले आओ ।
जन्म से सारे हिंदू होते , घर वापस आ जायेंगे ;
शांति , व्यवस्था और सुरक्षा , सारे मानव पायेंगे ।
वामी,जेहादी,जिम्मी,सेक्युलर , करनी का फल पायेंगे ;
राजदंड आदर्श बनेगा , दोषी न बच पायेंगे ।
भ्रष्टाचार की सजा मृत्यु हो , मृत्यु – दंड ही पायेंगे ;
सत्ता , शासन , न्याय – प्रशासन , ये भी न बच पायेंगे ।
चाहे जो भी हों अपराधी , कानून से न बच पायेंगे ;
जितना ऊंचा ओहदा होगा , बड़ी सजा वो पायेंगे ।
सर्वश्रेष्ठ “समविधान” बनेगा , “मनुस्मृति” से आयेगा ;
सारा अत्याचार मिटेगा , न्याय का शासन आयेगा ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”,रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”