कांग्रेस हमेशा ही दलितों को दबाया है और मुस्लिमों का तुष्टिकरण किया! देश का संविधान निर्माता बाबासाहब भीमराव आंबेडकर को कांग्रेस कभी वह सम्मान नहीं दे पाई जिसका कि वाकई में वह हकदार थे। इसके पीछे कारण स्पष्ट है कि आंबेडकर शुरू से ही कांग्रेस के दलितों को उसके अधिकार से वंचित करने का दोषी मानते रहे हैं। तभी तो उन्होंने अपनी पाकिस्तान अथवा भारत विभाजन में लिखा है कि संसार के आधुनिक राज्यों में कोई भी ऐसा राज्य नहीं मिलेगा जिसने अपने यहां के अड़ियल राज्य जनसमूह को दबाकर अपने अधिकार में कर रखा हो।
मुख्य बिंदु
* मुसलमानों की अपेक्षा दलितों के प्रति द्वेषभाव शुरू से ही कांग्रेस के मन मे रहा है!
* बाबा साहेब आंबेडकर को भी जो सम्मान मिलना चाहिए कांग्रेस ने कभी नहीं दिया!
* विभाजन के समय अधिसंख्य दलितों को पाकिस्तान में मुस्लिमों के भरोसे छोड़ दिया!
डॉ. आंबेडकर के विचार से स्पष्ट है कि कांग्रेस हमेशा ही देश के दलितों को अपने अधिकार से वंचित रखा और उसके नाम पर मुसलमानों का तुष्टिकरण करती रही। यही कारण है कि जब दलितों को काग्रेस के इस भेद-भाव वाली पुरानी नीतियों के बारे में पता चला वह उसके खिलाफ आवाज उठाने लगे। जैसे-जैसे दलितों को कांग्रेस के बारे में पता चलता गया कांग्रेस की सत्ता देश में सिमटती चली गई। अगर कांग्रेस अपनी सरकार के समय दलितों के उत्थान के लिए कुछ नहीं कर पाई, तो इसके पीछ उसकी सोची समझी रणनीति थी। वह दलितों को शिक्षित करने की विरोधी रही है। वह जानती है कि देश के दलित जैसे ही शिक्षित होंगे और अपनी दुर्दशा के कारण जानने का प्रयास करेंगे उन्हें कांग्रेस ही दोषी नजर आएगी।
‘इतिहास साक्षी है कि किसी भी राज्य की शक्ति अपने राज्य के अंदर राज्य विरोधी जन भावनाओं को दबा सकने में समर्थ नहीं हो पाई है’। शायद आंबेडकर की इस उक्ति से कांग्रेस अनभिज्ञ रही है। तभी तो उसने देश के विभाजन के समय से ही अधिसंख्य आबादी वाले दलितों को छल और बल से दबाती रही है। लेकिन जैसे ही समय बदला दलितों ने उसे ही सत्ता से उखाड़ फेंका।
कांग्रेस के भारत विभाजन के फैसले से भी सबसे अधिक प्रताड़णा दलितों को ही सहना पड़ा। पाकिस्तान के हिस्से में पड़ने वाले दलित परिवारों के साथ मुसलमानों ने सबसे ज्यादा अत्यातार किया। वो कहानी पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू परिवारों के साथ आज भी अनवरत रूप से दोहराई जा रही है। देश में जहां मुस्लिम आबादी है वहां भी दलितों पर होने वाले अत्याचार की घटनाओं की संख्या सबसे अधिक है।
जब भारत का विभाजन हुआ तो दो संप्रदायों के आधार पर हुआ। अखंड भारत में एक केंद्रीय सरकार की स्थापना का विरोध ही पाकिस्तान की मांग का सार तत्व था। क्योंकि मुसलमान नहीं चाहते थे कि हिंदू बहुलता वाले देश में हिंदू समर्थित केंद्रीय सरकार के अधीन वो रहे। मुसलमानों ने स्पष्ट कर दिया था कि यदि भारत के लिए एक केंद्रीय सरकार होनी है तो इसके संवैधानिक ढांचे की रूपरेखा हिंदुस्तान और पाकिस्तान के लिए केंद्रीय सरकारों की संवैधानिक ढांचे की रूपरेखा से अलग निर्धारित करनी होगी। पाकिस्तान की इसी मांग में वहां के हिंदुओं विशेषकर दलितों के प्रति अत्याचार करने का संवैधानिक अधिकार का बीज बोया गया था। जो देश विभाजन के तुरंत बाद सांप्रदायिक हिंसा के रूप में देखी गई और कालांतर में दलितों पर अनवरत जारी अत्याचार के रूप में। पाकिस्तान या बांग्लादेश में अनवरत अत्याचार की वजह से हिंदुओं की संख्या घटती गई। लेकिन जो बीज पाकिस्तान के लिए बोया गया वही बीज भारत में बटवृक्ष का रूप अख्तियार कर लिया।
जब देश का विभाजन दो संप्रदायों के लिए अलग सरकार के निर्धारण के आधार पर हुआ था तो फिर क्यों यहां के मुसलमानों को अल्पसंख्यक के रूप में विशेष अधिकार दिया गया। ऐसे में मुस्लिम तुष्टिकरण की वजह से दलितों की दुर्गति देश में भी जारी रही है। अब जब वर्तमान सरकार सही मायने में दलितों के हित में कोई ठोस योजना का कार्यान्वयन कर रही है तो कांग्रेस पहले की ही तरह हिंदुओं के सामाजिक संरचना को छिन्न-भिन्न कर अपना राजनीतिक हित साधना चाहती है।
आज भी कांग्रेस इतिहास से कोई सीख लेने को तैयार नहीं है। अभी भी वह दलितों को एक वोटबैंक मानकर ही अपनी नीति बना रही है। वह यह नहीं जानती है कि दलितों में शिक्षा का प्रसार हुआ है। वह भी अब अपने विवेक से इतिहास के परिप्रेक्ष्य में अपना फैसला करने में सक्षम है। अब जब कांग्रेस दलितों को बहला नहीं सकती तो अब हिंदुओं को तोड़ने की साजिश कर रही है। कभी आंबेडकर की मूर्ति तो कभी गांधी की मूर्ति तोड़ने के बहाने हिंदुओं को आपस में लड़ाने का प्रयास कर रही है। लेकिन अब हिंदू भी समझ गए हैं कि समाज में एक बनकर रहने में भलाई है। आपसी टूट की वजह से दोनों पक्षों की दुर्गति उनकी नियति बन जाएगी।
साभार: पाकिस्तान अथवा भारत का विभाजन
URL: From the time of independence, the Congress has been distracting the social structure of the Hindus
Keywords: Dr BR Ambedkar, Dalits and Muslims, anti hindu congress, Ambedkar books, congress,
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