विपुल रेगे। मोबाइल फोन पर मूवी शूट करने का ट्रेंड भारत में धीमे-धीमे गति पकड़ रहा है। इन फिल्मों की ड्यूरेशन कम होती है। मोबाइल मूवीज का रनिंग टाइम दो मिनट से लेकर तीस मिनट तक हो सकता है। सिनेमा की विशाल उर्वरक भूमि से एक और विधा ने जन्म लिया है और ये विधा फ़िल्मी दर्शकों में तेज़ी से लोकप्रिय हो रही है। फिल्म निर्देशक विशाल भारद्वाज ने बॉलीवुड में सबसे पहले इस विधा पर हाथ आज़माया है। विशाल ने iPhone14 pro पर तीस मिनट ड्यूरेशन की ‘फ़ुर्सत’ बनाई है।
मोबाइल मूवीज पर निर्देशक के पास अपनी बात कहने के लिए बहुत कम समय होता है। ये इस जॉनर की सबसे बड़ी चुनौती है। विशाल भारद्वाज की ‘फ़ुर्सत’ iPhone14 pro पर शूट की गई खूबसूरत फिल्म है। ये एक बहुत तेज़ भागती ‘म्यूज़िकल जर्नी’ है। इसकी कहानी बड़ी रोचक है। निशांत राज एक हैरान कर देने वाला आविष्कार करता है। वह एक यंत्र ‘दूरदर्शक’ बनाता है।
दूरदर्शक की मदद से वह किसी भी व्यक्ति का भविष्य देख सकता है। निशांत डॉक्टर दीया से प्रेम करता है लेकिन उसका विवाह कहीं और होने जा रहा है। निशांत दीया का एक बाल लेकर उसके डीएनए की सहायता से भविष्य में झांकता है। उसे पता चलता है कि जिस ट्रेन से दीया यात्रा कर रही है, उसे डाकू लूटने वाले हैं। निशांत के पास बिलकुल वक़्त नहीं बचा है। उसे किसी भी तरह ट्रेन पकड़कर दीया को आने वाली मुसीबत से बचाना है।
विशाल भारद्वाज ने कथा को तीस मिनट में दर्शक के सामने रखा है। इस तीस मिनट की फिल्म में लगभग दस मिनट का एक ‘म्यूजिकल कोलाज’ है, जो कहानी के साथ-साथ चलता है। बाकी बचे बीस मिनट में निर्देशक कथा आगे बढ़ाता है। गीत बड़े सुरीले हैं और कहानी में पिरोये हुए हैं। म्यूज़िक विशाल भारद्वाज ने ही दिया है। एक संगीतकार के रुप में वे निर्देशक से अधिक इफेक्टिव रहते हैं। फिल्म में गीत बैकग्राउंड में चलते हैं।
विशाल ने इन गीतों को बड़े ही सुंदर ढंग से फिल्माया है। यहाँ गीत कहानी का हिस्सा होते हुए भी कल्पनाओं में घटित हो रहे हैं। ‘वक्त -वक्त’ फिल्म का टाइटल गीत है। सारे गीत गुलज़ार ने लिखे हैं और उन पर बेहतरीन संगीत दिया गया है। वैसे भी गुलज़ार और विशाल का कॉम्बिनेशन डेडली होता है। गीतों की कोरियोग्राफ़ी देखने लायक है। जानदार सिनेमेटोग्राफी, संगीत, कोरियोग्राफी और कथा को तीस मिनट में समेटने का अंदाज़ ‘फ़ुर्सत’ की यूएसपी है।
मोबाइल फोन पर शूट हुई फिल्मों में Olive, Rides, High Flying Bird, Unsane आदि का नाम सबसे उपर आता है। हालाँकि एक्सपेरिमेंट करने के शौक़ीन विशाल भारद्वाज ने इस जॉनर में अपने नाम की खूबसूरत कील ठोंक डाली है। मुख्य भूमिकाओं में ईशान खट्टर और वामिका गब्बी दिखाई दिए हैं। इस फिल्म को देखने के बाद कम संसाधनों और कम बजट में फ़िल्में बनाने वाले निर्माता मोबाइल मूवीज के लिए नए युवा निर्देशकों को आमंत्रित कर सकते हैं।
इसे दर्शक फिल्मों की ‘t 20’ कह सकते हैं। फिल्म का क्लाइमैक्स इसके टाइटल को सूट करता है। हवा से बातें करती ये फिल्म अंत में एक सुंदर और सुखद विश्रांति के साथ समाप्त होती है।