“भविष्य–मालिका” भविष्य का दर्शन (भाग-2)
धर्म – मार्ग पर चलेगा हिंदू , “राम-राज्य” पा जायेगा ;
वरना ये अब्बासी – हिंदू , हिंदू – धर्म मिटायेगा ।
स्वार्थ,लोभ,भय,लालच ही तो , तुझको नीचा दिखलाते हैं ;
अब्बासी-हिंदू का भक्त बनाकर , तेरी गर्दन कटवाते हैं ।
हिंदू अंधभक्त हैं उसके , जो उनका सबसे बड़ा शत्रु है ;
अब्बासी-हिंदू भारत का नेता , विश्व में नम्बर-एक शत्रु है ।
महाधूर्त ,मक्कार ,कुटिल है , नम्बर-एक का साजिशकर्ता ;
हिंदू का संहार कराता , फिर भी हिंदू समझ न पाता ।
धर्महीन – अज्ञानी – हिंदू , अज्ञान में पूरी तरह से अंधा ;
गंदी-दौलत कमा रहा है , गांठ का पक्का – अक्ल का अंधा ।
गंदी-दौलत ही धर्म की दुश्मन , हिंदू ! फंसकर मरता जाता ;
अब्बासी-हिंदू की कुटिल चाल है,हृदय-सम्राट ये बनता जाता।
चारों तरफ झूठ की चादर , एकदम झूठा है प्रोपेगैण्डा ;
अब्बासी-हिंदू कर रहा है पूरा , अब्राहमिक ग्लोबल एजेण्डा ।
कब का मजहब बदल चुका है , छद्म-नाम है हिंदू-नाम ;
कालनेमि की तरह ठग रहा , हिंदू का करता काम-तमाम ।
जागो हिंदू ! अब तो जागो , धर्म-सनातन में आ जाओ ;
हिंदू ! तुम तब बच पाओगे , जब अच्छी-सरकार बनाओ ।
वरना पूरी तरह मिटोगे , बुरी तरह मारे जाओगे ;
रक्त का सागर बहने वाला,अस्सी-प्रतिशत तक डूब जाओगे ।
भविष्य-मालिका भविष्य का दर्शन,ये उड़िया में लिखी गयी है;
छः सौ वर्ष हो चुके पूरे , पंच-सखाओं द्वारा लिखी गयी है ।
“महा-विष्णु” के परम-भक्त हैं,अवतार कल्कि के संग आयेंगे ;
जल्दी ही सब सामने होंगे , हिंदू ! इसको कब मानोगे ?
पाखण्डों में फंसे जो हिन्दू , विश्वास नहीं जिनको होगा ;
अब्बासी-हिंदू के अंधभक्त जो , उनका अंत भयानक होगा ।
सौ-करोड़ से अधिक मरेंगे , धर्महीन सब मिट जायेंगे ;
“महा-विष्णु” के कृपापात्र जो , तेंतीस-करोड़ ही बच पायेंगे ।
जीवन-मृत्यु तेरे हाथों में , जिसको चाहो उसको पकड़ो ;
धर्महीन सब मरेंगे निश्चित , अभी समय है पाप को छोड़ो ।
प्रेस – मीडिया महापतित है , गंदे – धन को लपक रहे ;
अब्बासी-हिंदू का प्रोपेगैण्डा , केवल उसको ही चला रहे ।
हिंदू ! इन पर मत करो भरोसा,अपने भीतर का ज्ञान जगाओ ;
अपना स्वार्थ ,लोभ ,भय ,लालच, उसको पूरी तरह मिटाओ ।
“पुलिन-पांडा” विशेषज्ञ हैं, “भविष्य-मालिका” पवित्र-ग्रंथ के ;
उनकी बात ध्यान से सुनना , लाभ उठाओ इस धर्म-ग्रंथ के ।
“जय सनातन-धर्म”, रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”