अमरीकी राष्टृपति डांनल्ड टृम्प ने चीन की तरफ आक्रामक रूख अपनाते हुए हाल ही में एक ट्वीट किया है. ट्वीट में वे चीन पर निशाना साधते हुए कहते हैं कि चीन ने अमरीका को और पूरी दुनिया को भारी क्षति पहुंचाई है.
टृम्प का यह बयान कोरोना वायरस फैलने के मामले में चीन की संदिग्घ भूमिका को लेकर है. उन्होने ट्वीट करने से एक दिन पहले ही कहा था कि कोरोना वायरस से जुडी सभी महत्व्पूर्ण जानकारी छिपा कर चीन ने जो पूरे विश्व के साथ छल कपट किया है, इसके लिये चीन को बाकायदा ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिये, उसे कटघरे में खडा किया जाना चाहिये.
तो चीन की मुश्किलें दिन ब दिन बढ्ती जा रही हैं. विश्ब के सभी शक्तिशाली देश धीरे धीरे कर चीन के खिलाफ हो रहे हैं. और पिछले कुछ दिनों में भारत और चीन के बीच के समीकरण भी बहुत कुछ बदल गये हैं. चीन को पहला झटका तब लगा जब भारत ने चीन की 59 एप्स को प्रतिबंधित कर दिया. चीन को इस बात की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी. और अब गलवान घाटी की मुठ्भेड़ के बाद भारत का चीन के प्रति रवैया और भी आक्रामक हो गया है.
गलवान घाटी में हुई मुठ्भेड़ के बात भारत ने एकदम से वीरगति को प्राप्त हुए भारतीय सैनिकों की लिस्ट सार्वजनिक कर दी. लेकिन चीन ने आजतक इस बात को लेकर कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं की है कि आखिरकार गलवान मुठभेड़ में कितने चीनी सैनिक मारे गये.
आर्गनाइज़र मीडिया में हाल हे एमें प्रकाशित एक लेख के मुताबिक जियानली यांग, जो कि चीनी सेना के अफसर रह चुके हैं और चीनी सरकार से वैचारिक मतभेद होने के कारण आजकल अमरीका में रहते हैं, उन्होने कहा है कि गलवान घाटी में हुई मुठभेड को लेकर चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी बहुत परेशान है. बल्कि जब से यह मुठ्भेड़ हुई है, तभी से चीन की आर्मी अशांति और व्याकुलता की अवस्था से जूझ रही है. उन्होने सबसे बड़ा खुलासा यह किया कि मुठभेड़ में जो चीनी सैनिक मारे गये, उनकी संख्या भारतीय सैनिकों से कहीं अधिक है. उन्होने कहा कि अगर चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने यह बात सार्वजनिक रूप से स्वीकार ली कि उनके मारे गये सैनिकों की संख्या मारे गये भारतीय सैनिकों से अधिक है, तो इससे चीन की आम जनता भड़्क सकती है और वहां इतनी ज़्यादा आंतरिक अशांति फैलने की संभावना बन सकती है कि चाइनीज़ कम्यूनिस्ट पार्टी यानि कि वहां एक एकमात्र पार्टी सी सी पी, जो कि इस समय सत्ता में है, उसका वजूद ही खतरे में पड़ जायेगा.
जियानली यांग का वाशिंगटन टाइम्स में हाल ही में एक लेख प्रकाशित हुआ है जिसमे उन्होने चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के शासन में वहां की सेना की बुरी दशा का चित्रण किया है. लेख में वे चीनी सैनिकों के अधिकारों की बात कर रहे हैं कि किस प्रकार वे बहुत से मुलभूत अधिकारों से वंचित हैं. इसके साथ ही उन्होने गलवान मुठ्भेड़ में बहुत से चीनी सैनिकों की जान जाने और वहां की कम्यूनिस्ट पार्टी के यह बात छिपाने का मुद्दा भी उठाया है.
जियानली यंग का बयान इसीलिये भी महत्व्पूर्ण बन जाता है क्योंकि उनके परिवार का इतिहास चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के साथ जुडा हुआ है. उनके पिता कम्यूनिस्ट पार्टी के पदाधिकारी रह चुके हैं और तियनमिन स्क्वेयर में हुई घटना के समय वे एक एक्टिविस्ट थे. चीन में 5 साल कारवास की सज़ा झेलने के पश्चात 2007 में उनकी रिहाई हुई जिसके पश्चात वे अमरीका जा के बस गये.
असत्यापित सूत्रों ने गलवान मुठ्भेड़ में मारे गये 108 सैनिकों की लिस्ट सार्वजनिक की है. ये लिस्ट चीनी भाषा में है और इसमे 108 नाम दिये गये हैं. और जिन असत्यापित सूत्रों ने यह लिस्ट जारी की है, उनके मुताबिक, यह नाम गलवान मुठ्भेड़ मे मारे गये गये सैनिकों के हैं.
ये लिस्ट इंटरनेट पर वायरल हो गयी है. चीनी प्रशासन इस लिस्ट को लेकर चुप्पी साधे हुए है. उन्होने न तो इस लिस्ट को सही मान इसे स्वीकारा है और न ही स्पष्ट शब्दों में इसे खारिज कर गलत ठहराया है.
हालंकि इस लिस्ट की सच्चाई अभी संदिग्घ ही है क्योंकि सूत्र असत्यापित हैं तो कुछ भी निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता . लेकिन एक बात तो तय है. जियानली यांग ने चीन की सेना को लेकर और गलवान की मुठ्भेड़ को लेकर जो बातें कही हैं, उन बातों से इस प्रकार की लिस्ट मेल खाती है. उन्होने अपनी बातों में साफ साफ कहा है कि इस मुठ्भेड़ से चीनी सेना को बुरी क्षति पहुंची है. और यह लिस्ट एक तरह से उनकी कथनी को जस्टिफाई करती है.
सच्चाई जो भी हो चीन गलवान मुठ्भेड़ को लेकर अपने मारे गये सैनिकों की संख्या अभी तक छुपा रहा है. तो जियानली यांग की बातों में और इस लिस्ट के बातों मे कुछ सच्चाई तो ज़रूर नज़र आती है.
https://www.washingtontimes.com/news/2020/jun/29/retired-and-hurt-pla-veterans-could-become-a-force/
Loved it..