पुराणों में गणेशपूजन हेतु चतुर्थी तिथि को विशेष बताया गया है, क्योंकि हर कल्प में इसी दिन गणेश जी का उद्भव हुआ है। गणेश जी कल्पभेद से अपनी इच्छानुसार अनेक नाम रूपों में आविर्भूत होते हैं। वह कभी शिव के मुख से तो कभी शिव के क्रोध से प्रकट हुए हैं। कभी माता पार्वती के तेज से, कभी उदर से तो कभी उनके शरीर में लगने वाले उबटन के मल से प्रकट हुए हैं।
स्कंद पुराण के अनुसार, शिवजी ने कहा कि मैंने चतुर्थी तिथि को जीवसुक्त से प्राणस्थापन करके गणेश को जीवित किया है। अतः इस तिथि को उक्त सूक्त से भक्तिपूर्वक गणेश पूजन करने वाले के सभी विघ्न नष्ट हो जाएंगे। तब माता पार्वती ने भी कहा कि चतुर्थी तिथि को गणेशपूजन करने वाले के सभी विघ्न नष्ट हो जाएंगे।
शिव पुराण कहता है कि गणेश जी का आविर्भाव भाद्रपद कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को रात्रि के प्रथम प्रहर में चंद्रोदय काल में हुआ था।
वराह पुराण में कहा गया है कि आकाशतत्व से गणेश जी का आविर्भाव एवं शिव के शरीर कंपन से गिरे स्वेद जल बिंदुओं से विनायकों की उत्पत्ति और गणेश का विनायक-गणों के अधिपति रूप में अभिषेक की घटना चतुर्थी को हुई थी।
नारद पुराण कहता है कि बारहों मास के शुक्ल एवं कृष्ण चतुर्थियों को विघ्न विनायक की पूजा करनी ही चाहिए।
गणेश पुराण में सावन शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से आरंभ करके भाद्र शुक्ल चतुर्थी पर्यंत एक मास तक गणेश चतुर्थी व्रत का विधान है। इस व्रत का उपदेश भृगु ने राजा कर्दम को दिया था।
भाद्र शुक्ल चतुर्थी को गणेश की पूजा तो करें लेकिन रात्रि में चंद्रमा का दर्शन न करें। गणेश पुराण के अनुसार चंद्रमा के द्वारा गणेश जी का रूप देखकर उपहास किए जाने से क्रुद्ध होकर गणेश जी ने उसको अदर्शनीय होने का श्राप दिया था। तब देवों के द्वारा प्रार्थना किए जाने पर उन्होंने अपने शाप की अवधि केवल एक रात्रि भाद्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को अदर्शनीय होने तक सीमित कर दिया था।
गणेश जी ने शाप की अवधि को घटाते हुए कहा, भाद्र शुक्ल चतुर्थी को ज्ञानवश अथवा अज्ञानता में भी चंद्रमा का दर्शन करने वालों को कोई न कोई कलंक अवश्य लगेगा तथा वह दुख भोगेगा। उन्होंने पुनः कहा कि उक्त तिथि को चंद्रमा का दर्शन करने वाला कलंक और पाप का भागी होगा। उसे हानि होगी और वह मूर्ख बनता रहेगा।
नारद पुराण में भी भाद्र शुक्ल चतुर्थी को चंद्र दर्शन का निषेध बताया गया है और यह कहा गया है कि उस रात्रि चंद्र दर्शन करने पर मिथ्या कलंक लगता है।
आज गणेश चतुर्थी है, अतः आप सभी को गणेश चतुर्थी की ढेर सारी शुभकामनाएं। जय गणेश।
कथा: साभार गणेश पुराण। गणेश पुराण का लिंक नीचे है।
धन्यवाद।
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