विपुल रेगे। शुक्रवार को आलिया भट्ट की गंगूबाई काठियावाड़ी प्रदर्शित हुई। गंगूबाई काठियावाड़ी का बजट लगभग 180 करोड़ है और पहले दिन दर्शकों की कम भीड़ देखकर लग रहा है कि ये फिल्म आगे अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकेगी। आलिया भट्ट का चुनाव और जबरन फिल्म को भव्य बनाने का प्रयास इसे ले डूबा है। प्रथम दिन इस फिल्म ने मात्र सात करोड़ का कलेक्शन किया है।
गंगूबाई काठियावाड़ी के कथानक को देखते हुए ट्रेड पंडितों को आशंका थी कि एक बड़ा दर्शक वर्ग इससे कट जाएगा। विशेष रुप से परिवार सहित फिल्म देखने का माहौल तो न बन सकेगा। संजय लीला भंसाली एक बड़े निर्देशक हैं और उनकी फ़िल्में भव्यता के मापदंड पर बड़ी उत्कृष्ट होती हैं। अपितु उनकी पिछली फिल्म एक सुनियोजित ढंग से खड़े किये गए विवाद के कारण चल पड़ी थी।
इस बार भी ऐसा सुनियोजित कार्यक्रम किया गया था। फिल्म पर रोक लगाने की याचिकाओं से फिल्म को प्रचार दिलाने का प्रयास किया गया। अपितु रिलीज के पहले दिन फुटफॉल अपेक्षाओं से बहुत कम रहा है। फिल्म के बजट को लेकर भी दो बातें हो रही हैं। आज मीडिया इसका बजट मात्र 55 करोड़ रुपये बता रहा है। जबकि इतने कम बजट में ऐसी भव्यता फिल्म में लाई ही नहीं जा सकती।
कोरोना के कारण फिल्म का प्रदर्शन टलता रहा। इसके चलते फिल्म के बजट में और बढ़ोतरी हुई। भंसाली ने फिल्म के प्रमोशन पर भी बहुत पैसा खर्च किया है। पहले तीन दिन भीड़ खींचने के लिए प्रायोजित पब्लिक रिएक्शन चल रहे हैं। दर्शकों की इन प्रतिक्रियाओं में होशियारी से उन लोगों की प्रतिक्रियाएं काट दी गई है, जिन्हे ये फिल्म बहुत झेलाऊ लगी है।
फिल्म का पहला हॉफ औसत रहा और दूसरे भाग में तो भंसाली ने दर्शकों की सहन शक्ति की परीक्षा ले डाली। आलिया भट्ट का चुनाव भंसाली की फिल्म के लिए अच्छा नहीं रहा। आलिया भट्ट का व्यक्तित्व और उनकी छवि ऐसी नहीं है कि वे एक कोठेवाली के चरित्र में फिट बैठ सके। संजय लीला भंसाली को हर फिल्म में भव्यता लाने की आदत है। गंगूबाई काठियावाड़ी में भी उन्होंने कमाठीपुरा को बहुत भव्य दिखाया है।
जबकि वह क्षेत्र ऐसा आलीशान कभी नहीं रहा। इस कथानक को सुंदर सेट्स और लाइटिंग इफेक्ट्स की आवश्यकता ही नहीं थी। अजय देवगन का केमियो साधारण रहा है। ये ऐसा भी नहीं रहा कि भंसाली की गलती से झुकी जा रही फिल्म को पुनः खड़ा कर सके। इस फिल्म के संगीत की बात ही न की जाए तो अच्छा है। भंसाली ने स्वयं गीत कंपोज किये लेकिन लोकप्रिय नहीं हो सके।
कंगना रनौत ने भविष्यवाणी की थी कि 200 करोड़ राख हो जाएंगे। सम्भवतः कंगना के बयान के बाद मीडिया ज़ोर देकर बता रहा है कि फिल्म का बजट तो मात्र 55 करोड़ था। लीक से हटकर फिल्म बनाने के फेर में भंसाली इतनी दूर चले गए कि वे भूल गए कि फिल्म मनोरंजन के लिए बनाई जाती है। जिस दिन भंसाली ने गंगूबाई पर फिल्म बनाने का निर्णय लिया था, उस दिन ही वे बॉक्स ऑफिस की ये लड़ाई हार चुके थे।
एक ऐसी महिला पर उन्होंने फिल्म बनाई, जिसकी सामाजिक छवि अच्छी नहीं थी। उस महिला पर तमाम अपराधों का तमगा लगा हुआ था। जब आप अपनी रचना में नैतिकता के विरुद्ध जाते हैं तो दर्शक उसे निश्चित ही नकार देता है।