सेंसर बोर्ड ने ‘केदारनाथ’ को दो मामूली कट्स के बाद प्रदर्शन की इजाज़त दे दी है। पद्मावत और लवयात्री से उपजे विवादों के बावजूद सेंसर बोर्ड ने एक अत्यंत विवादास्पद फिल्म को हरी झंडी दिखाकर तय कर दिया है कि देश का माहौल फिर ख़राब होने जा रहा है। सेंसर बोर्ड की गहरी नींद अब आश्चर्यचकित नहीं करती। यदि सेंसर बोर्ड केदारनाथ की भीषण आपदा जैसे संवेदनशील विषय पर ऐसा कसैला निर्णय बेहिचक ले सकता है तो कल को ‘महाभारत’ और ‘रामायण’ की छीछालेदर पर भी उसका ये रवैया जारी रहने वाला है।
सेंसर बोर्ड और सरकार की उदासीनता अब हैरान नहीं करती। जब केदारनाथ के प्रोमो टीवी पर आना शुरू हुए तो सहसा यकीन नहीं हुआ कि ये फिल्म हमने बन जाने दी है। फिल्म में आपत्तिजनक तो बहुत कुछ है लेकिन इसमें कहे गए दो संवादों ने हिन्दू समाज को रोष प्रकट करने पर मजबूर कर दिया है। फिल्म में नायिका का पंडित पिता कहता है ‘प्रलय आ जाए तब भी ये रिश्ता नहीं हो सकता’। इस पर लड़की कहती है ‘फिर मैं प्रलय के लिए प्रार्थना करुँगी’। फिल्म के निर्देशक अभिषेक कपूर कहना चाहते हैं कि एक पंडित ने अपनी बेटी का विवाह एक मुस्लिम से करने के लिए मना कर दिया इसलिए केदारनाथ में भयानक तबाही आई।
इस प्रोमो के तुरंत बाद निर्माता और निर्देशक अभिषेक कपूर को तीखी प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ा। हालांकि निर्माता और निर्देशक को विरोध से कोई फर्क नहीं पड़ता। उनको ये गुमान हो गया है कि वे कैसी भी फिल्म बना सकते हैं और उन्हें रोकने की ताकत न सरकार में है न ही सेंसर बोर्ड में। फिल्म की कथावस्तु जानने के बाद फिल्म का विरोध और तीखा हो गया है लेकिन सरकार और सेंसर बोर्ड को उससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।
फिल्म के एक दृश्य में नायक मंसूर केदारनाथ के व्यवस्थापकों को कह रहा है कि हम श्रद्धालुओं की संख्या को सीमित करे। क्या निर्देशक को मालूम भी है कि केदारनाथ आपदा का मूल कारण क्या था। केदारनाथ की बाढ़ लड़की के श्राप के कारण आती है। ज्यादा भीड़ बढ़ने से व्यवस्थाएं गड़बड़ा जाती है। ये कहानी और ये दिव्य ज्ञान आप कहाँ से लाए हैं निर्देशक महोदय। फिल्म की कहानी लिखने से पहले कम से कम केदारनाथ हादसे का कारण अख़बार पढ़कर ही जान लेते।
सारे विरोधों को दरकिनार करते हुए फिल्म 7 दिसंबर को प्रदर्शित होने जा रही है। जैसे ही फिल्म सिनेमाघरों में होगी, पहले ही शो के बाद स्थितियां बिगड़ने की पूरी संभावनाएं हैं। सेंसर बोर्ड की उदारता ने देश की जनता के हाथ में एक ‘टाइम बम’ रख दिया है जो आगामी शुक्रवार को फटेगा। इस बम से न मीडिया को फर्क पड़ेगा न सरकार को। केदारनाथ हादसा एक लड़की के श्राप के कारण हुआ था। जब छोटे बच्चे ये फिल्म देखकर निकलेंगे तो उनके दिमाग में ये नया ज्ञान होगा कि पंडित पिता ने अपनी बेटी की बात नहीं मानी इसलिए केदारनाथ में बाढ़ आई। जो वह मंसूर के साथ बियाह दी जाती तो शायद भोलेनाथ जल प्रलय को टाल देते। देश के सेंसर बोर्ड को अब मृत मान लेना चाहिए।
URL: files petition in Gujarat High Court seeking ban on Sushant and Sara’s film
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