लोकतंत्र मिट गया देश से , भीड़ तंत्र अब हावी है ;
खतरे की आहट गूंज रही , महाविनाश ही भावी है ।
लोकतंत्र के लिए जरूरी , कानून का शासन होता है ;
यहां नहीं कानून का शासन , कानून यहां पर रोता है ।
धर्म बिना जो राजनीति हो , वो वैश्या बन जाती है ;
कहीं नहीं नैतिकता होती , बस चोरवृत्ति ही होती है ।
देश में था अंग्रेजी शासन ,उसको सुभाष ने मिटा दिया ;
मगर राष्ट्र की किस्मत फूटी,हमने सुभाष को गंवा दिया।
मौकापरस्त मौका पाकर , इस देश की सत्ता में आये ;
राष्ट्र के ये सारे दुश्मन और राष्ट्र को छलते ही आये ।
लोकतंत्र की शवयात्रा , इनके ही कारण निकल रही ;
अब भीड़तंत्र ही कायम है ,गुंडों की लाटरी निकल रही ।
भारत के मूलनिवासी जो,अभिशप्त हुआ उनका जीवन ;
आक्रमणकारियों के वंशज हैं,जो छीन रहे सबकाजीवन।
इस तरह के जीवन से बेहतर,मरने के पूर्व ये कर जाओ ;
अपने बच्चों के जीवन की , अब रक्षा तो करके जाओ ।
कानून का शासन लाने को ,अच्छी सरकार बना जाओ ;
मिल करके ही अब वोट करो ,अच्छे नेता को ले आओ ।
आपस में अब सब मिल जाओ,ये करना परमावश्यक है ;
वोटों की ताकत बन जाओ , सबसे पहले आवश्यक है ।
राष्ट्रधर्म का सूत्र पकड़ लो , सबको बांधे रखता है ;
सबसे बड़ी ये ताकत है , ये राष्ट्र को जिंदा रखता है ।
अब राष्ट्र धर्म का पालन कर ,भारत को हिंदू राष्ट्र बनाओ ;
ये सारे संकट हर लेगा और लोकतंत्र वापस पाओ ।
“वंदे मातरम -जय हिंद”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”