“विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जिंक, विटामिन डी, सी और अन्य सप्लीमेंट कोविद-19 को क्योर नहीं कर सकते भले ही इम्यून सिस्टम को सुचारू रूप से काम करने के लिये ये बहुत आवश्यक हैं।”

स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े जानकार लोगों को विश्व स्वास्थ्य संगठन की उपरोक्त टिप्पणी हास्यास्पद लग रही होगी। विश्वास नहीं होता कि विश्व के स्वास्थ्य संरक्षण से जुड़ा संस्थान इतना बेवाहियाद व गुमराह करने वाला बयान कैसे जारी कर सकता है।
सभी जानते हैं कि जिनकी इम्यूनिटी मज़बूत है उनका केरोना ही नहीं बल्कि अन्य विषाणु तथा जीवाणु भी कुछ नहीं बिगाड़ सकते। अत: क्या मजबूरी थी कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ऐसा बेबुनियाद और बेहूदा बयान जारी किया ?
वास्तविकता तो यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन अपना अस्तित्व खो चुका है और दवा बनाने वाली कंम्पनियों का महज ग़ुलाम बन कर रह गया है।
यह संस्था अब विश्व के लोगों के स्वास्थ्य हेतु काम नहीं करती बल्कि दवा कंम्पनी के मालिकों के खजानों को भरने का काम करती है।
सभी को याद होगा कि कुछ दिनों पहले जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की नाटकीय रूप से फ़ंडिंग कम की थी तो विश्व के सबसे बड़े मेडिसिन निर्माता बिल गेट्स ने अपनी फ़ंडिंग बढ़ाकर अमेरिका के बराबर कर दी थी।
बिल गेट्स ने सिर्फ़ विश्व स्वास्थ्य संगठन की फ़ंडिंग नहीं बढ़ाई बल्कि भारत में कोरोना वैक्सीन बनाने वाली अग्रणी कम्पनी सिरम इंस्टीट्यूट की फ़ंडिंग भी की जिससे मौक़े का ज़बरदस्त फ़ायदा उठाया जा सके।
भारतीय राजनीति के साथ मिलकर बिल गेट्स का समूचे भारतवर्ष को वैक्सिनेट करने का उद्देश्य स्पष्ट है। जनसंख्या की दृष्टि से भारत वैक्सीन का सबसे बड़ा बाज़ार है।
हमारे राजनेताओें और मीडिया ने कोरोना को लेकर जनसाधारण में ज़बरदस्त ख़ौफ़ भर लोगों की मानसिकता को इतना क्षीण और निरीह बना दिया है कि सभी वैक्सीन लगवाने पर मजबूर हैं। दस महीने के व्यापक प्रचार प्रसार से पूरा देश दहशत में है।
आज जब देश में हर्ड इम्यूनिटी डेवलप हो चुकी है और कोरोना स्वत: समाप्त होने के कगार पर है, तब हमारे देश में वैक्सीन लगाने का देशव्यापी ट्रायल अभियान जारी है।
मौजूदा परिस्थितियों में वैक्सिनेशन दुर्भाग्यपूर्ण होगा। इस प्रकार की प्रीमैच्योर वैक्सीन जिसके लॉंगटर्म साइड इफेक्ट का कोई ऑंकलन नहीं हुआ है और दुनिया भर से वैक्सीन लगाने के बाद घातक परिणाम आ रहे हैं,
क्या भारत में सभी को वैक्सीन देना उचित होगा ? मैं वैक्सीन लगवाने से लोगों को वंचित करने या गुमराह करने की बात नहीं कर रहा,
बल्कि मेरा सरकार से अनुरोध है कि लोगों को वैक्सीन की सच्ची गुणवत्ता, उपयोगिता और साइड इफेक्ट बताकर स्वेच्छा से वैक्सीन लगवाने का निर्णय करने दें।
किसी भी देशवासी को भले ही वे स्वास्थ्य कर्मी ही क्यों ना हों, उन्हें वैक्सीन लगवाने पर मजबूर ना किया जाय। भारत में आजतक स्वास्थ्य समस्यायें व्यक्तिगत होती थीं

अत: कोरोना वैक्सीन भी व्यक्तिगत निर्णय पर ही लगनी चाहिए अन्यथा वैक्सीन लगावाने वाले हर व्यक्ति को सरकार द्वारा 10 वर्षों के लिये एक करोड़ के बीमा का प्रावधान करना चाहिए।
डी जी सि आई ने दोनों वैक्सीन को 110% सुरक्षित घोषित किया है अत: इतने बड़े विश्वास पर किसी का कोई नुक़सान नहीं होगा।
कमाण्डर नरेश कुमार मिश्रा
फाउन्डर ज़ायरोपैथी
ईमेल- zyropathy@gmail.com
वेवसाइट – www.zyropathy.com