कानून का शासन लेकर आओ , जंगलराज हटाओ ;
जस का तस कानून हो लागू , भ्रष्टाचार मिटाओ ।
सत्ता मिली है जिस कारण से , वे कर्तव्य निभाओ ;
राजनीति मत करो हमेशा , राष्ट्रनीति अपनाओ ।
गंदी बहुत है राजनीति , अब इसकी करो सफाई ;
सबको मिले सुरक्षा पूरी , क्यों इसमें आफत आई ?
तुष्टीकरण हटाओ सारा , अल्पसंख्यकवाद हटाओ ;
पुलिस की हो आदर्श व्यवस्था , सारे अपराध मिटाओ ।
नोबेल प्राइज का लालच छोड़ो , राष्ट्र है सबसे पहले ;
राष्ट्र हमें देता है सब कुछ , तुम क्यों इसको भूले ?
ठीक है सारी दुनिया घूमो , पर सबसे पहले राष्ट्र ;
यही सत्य है , यही धर्म है , भारत हिंदू – राष्ट्र ।
इसी की दम पर कूद रहा तू , पर इसको न माने ;
कैसा पर्दा पड़ा अक्ल पर ? राष्ट्र का हित न जाने ।
राष्ट्र के जितने भी हैं दुश्मन , सर पर उन्हें चढ़ाया ;
खुली छूट गुंडों को देकर , शाहीन – बाग करवाया ।
रोड – जाम से इतना डरता , कृषि – कानून हटाया ;
सीएए भी नहीं है लागू , तू इतना घबराया ।
गलती पर गलती क्यों करता ? आखिर क्या है डर ?
सब कुछ छूट यहीं जाना है , कोई नहीं है अमर ।
सर्वश्रेष्ठ तो वही है जीवन , धर्म – मार्ग पर चलना ;
मजहब के कांटों को तोड़ो , गुंडों से मत डरना ।
सौ करोड़ हिंदू तेरे पीछे , इसकी कुछ तो लाज रखो ;
अभी तो गुंडे मुट्ठी भर हैं , बाढ़ नियंत्रित रखो ।
जनसंख्या संतुलन बनाओ , लंबा जीवन पाओ ;
धर्म – सनातन कदम – कदम पर , अच्छा जीवन पाओ ।
धर्म की रक्षा प्रथम वरीयता , जीवन श्रेष्ठ बनेगा ;
धर्म के आगे सब कुछ तृणवत , हर बंधन छूटेगा ।
सत्य का मार्ग दिखाई देगा , कहीं न भटकन होगी ;
माया – मोह, लोभ ,भय ,लालच , इससे मुक्ति मिलेगी ।
तेरा सौभाग्य है तेरे हाथ में , मनचाहा फल पाओ ;
अब पक्का दृढ़ निश्चय कर ले , धर्म – मार्ग पर आओ ।
नोबेल प्राइज लगेगा कूड़ा , सर्वश्रेष्ठ पद पाओ ;
राम – राज्य में देर न होगी , हिंदू – राष्ट्र बनाओ ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”