हजार बरस से युद्ध चल रहा , देवासुर – संग्राम है ;
सारे – देव निद्रा को त्यागें , क्या जाना श्मशान है ?
अज्ञान की चादर तान रखी है , आंखें मूंदे पड़े हुये हैं ;
असुर बराबर जाग रहे हैं , लूटमार में पड़े हुये हैं ।
देवों का जो इंद्र है राजा , लड़ने से घबराता है ;
इतनी कायरता कहां से आयी ? बात – बात पर रोता है ।
लगता है ये न सुधरेगा , अब इसको अपदस्थ करो ;
परम – साहसी इंद्र को लाकर , कायरता का अंत करो ।
शांति-काल में शांति ठीक है , युद्ध-काल में शस्त्र चलाओ ;
युद्ध-काल में शस्त्र न छोड़ो, युद्ध जीतकर शांति को पाओ ।
धर्म तभी विजयी होता है , पूरे अधर्म को धूल चटाओ ;
अधर्म का नाश तभी होता है, धर्म का शासन लेकर आओ।
सर्वश्रेष्ठ है धर्म का शासन , तत्क्षण इसका शासन लाओ ;
कृष्णनीति हो,विदुरनीति हो, चाणक्यनीति आधार बनाओ ।
धर्म की रक्षा जो करते हैं , सदा धर्म से रक्षित होते ;
कल्पवृक्ष को पा जाते हैं , राम -राज्य में सदा ही रहते ।
एकमात्र बस यही मार्ग है , स्थिर -शांति -सुरक्षा का ;
सबका जीवन सम्मान बचाओ,सबका अधिकार है रक्षा का।
समय आ गया निद्रा त्यागो ,अज्ञान की चादर सर से फेंको ;
सच्चेइतिहास को धारण करके,झूठेइतिहास को बाहर फेंको
वामी, कामी, जिम्मी, सेक्युलर , जेहादी को ठीक से जानो ;
शत्रु – मित्र का अंतर समझो , कायर – नेता को पहचानो ।
परम – साहसी नेता लाओ , बचा- खुचा ये राष्ट्र बचाओ ;
चौथाई भी नहीं बचा है , साहस – शौर्य से वापस लाओ ।
पूरा विश्व जीत सकते हो , देश को हिंदू – राष्ट्र बनाओ ;
अंधकार डरकर भागेगा , तुम ऐसे प्रकाश बन जाओ ।
धर्म – सनातन प्रकाश स्वरूप है , पूरी तरह से अपनाना है ;
तुमसे दूर किया था जिसने , उससे मुक्ति पाना है ।
झूठे इतिहास के जहर ने अब तक,तुमको धर्म से दूर किया;
सोशल-मीडिया अमृत लाया , जिसने जहर को दूर किया ।
सत्य का ग्राही “विवेक रंजन” , कश्मीर की फाइल लाया है;
झूठे-इतिहास की चादर फाड़ी , पूरा अज्ञान जलाया है ।
अब ये कारवां नहीं रुकेगा , सभी लोग इसमें मिल जाओ ;
स्वर्णिम अवसर पास आ रहा , देश को हिंदू राष्ट्र बनाओ ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”