यह केवल हिंदू पर निर्भर , जीना है या मरना है ;
यदि हिंदू को जीना है तो , अच्छी – सरकार बनाना है ।
कायर , कमजोर , नपुंसक हिंदू , सब सरकारी – हिंदू हैं ;
हुआ मानसिक-खतना जिनका , वे अब्बासी – हिंदू हैं ।
सौ-सौ चूहे हजम कर चुकीं , ऐसी हैं सरकारी-बिल्ली ;
राज्य-तंत्र पर इन्हीं का कब्जा , क्या यूपी है क्या दिल्ली ?
योगी बाबा के पर कतर चुके हैं,अब हिंदू-धर्म को कुतर रहे;
मंदिर तुड़वा गलियारा बनवाते , पूर्ण दिव्यता नष्ट कर रहे ।
घड़ा पाप का भरता जाता,ज्यों-ज्यों गलियारा बनता जाता;
“सत्य-बात” जब हिंदू कहता , प्राणों के पीछे पड़ जाता ।
सब के सब मारे जाओगे , अब्बासी – हिंदू के शासन में ;
सन चौबीस न जाने देना , बदलो इसको अच्छे शासन में ।
सारे – दल बन चुके हैं दलदल , सड़े हुये हैं बदबूदार ;
इनमें फंसे हुये कई अच्छे , उन पर भी है दारोमदार ।
सारे अच्छे बाहर निकलो , “इकजुट-भारत” में आ जाओ ;
“इकजुट-भारत” सर्वश्रेष्ठ है , विजय-पताका फहराओ ।
हिंदू जीवन है राष्ट्र का जीवन,”इकजुट-भारत” ही बचायेगा;
घटिया – संविधान बदलेगा , अच्छा – संविधान लायेगा ।
घटिया – कानूनों को रद्द करेगा , पूर्ण – सुशासन आयेगा ;
मंदिर से सरकारी – कब्जा , पूरी तरह हटायेगा ।
सारा-धन मंदिर का वापस , सारी-जमीन वापस होगी ;
अब तक मंदिर को लूटने वाले , उनसे पूर्ण-वसूली होगी ।
जम्मू से आगाज हो चुका , अब अंजाम तक पहुँचेगा ;
हिंदू – समाज सब करो समर्थन , अच्छा शासन आयेगा ।
सबसे पहली यही जरूरत , अच्छी सरकार जरूरी है ;
“इकजुट-भारत” जल्दी लाओ ,अंकुर शर्मा ! क्या देरी है ?
इसी वर्ष ही पार्टी लाओ , कहीं देर न हो जाये ;
हर हिंदू स्वागत को उत्सुक , अब अंधेर चला ही जाये ।
अब्बासी – हिंदू का शासन , पूरा – पूरा अंधेर है ;
नेता – अफसर अक्ल के अंधे , अंधे-हाथ बटेर है ।
अब्बासी-हिंदू की यही चाल है,महामूर्ख हर तरफ है रखता ;
इक्का-दुक्का बने जो “रावत” , दुर्घटना में वो ही मरता ।
केवल “इकजुट-भारत” ही , ये अंधेर मिटा पायेगा ;
न्याय का शासन-पूर्ण सुशासन , “हिंदू-राष्ट्र” ही ला पायेगा ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”,रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”