विगत एक वर्ष से वैक्सीन कोरोना के लिये रामबाण बनकर अवतरित हुई है। ऐसा प्रतीत होने लगा है कि यदि वैक्सीन नहीं ली तो जीवनलीला समाप्त हो जायेगी, यही कारण है कि जनकल्याण में सरकार नाना प्रकार के हथकंडों का प्रयोग कर सभी को वैक्सीन लगवाने पर बाध्य कर रही है। चूँकि पाश्चात्य सभ्यता के लोग हमारे देश की अधिकांश जनता को अनपढ़, मूर्ख, दक़ियानूसी, रूढ़िवादी मानते हैं, अत: अंतरराष्ट्रीय लेवल पर अपनी साख बनाये रखने के लिये समूचे हिन्दुस्तान का टीकाकरण सरकार के लिये अनिवार्य हो गया है।
इस अभियान को पूरा करने के लिये पूरे देश की अर्थव्यवस्था दॉंव पर लग गई है। जनता को लगता है कि टीका मुफ़्त में लग रहा है पर उन्हें यह नहीं पता की देश इसके लिये अरबों डॉलर खर्च कर रहा है और यह टैक्स के रूप में जनता से ही वसूला जा रहा है। आइये जानते हैं कि वैक्सीन क्या है? वास्तविक रूप में वैक्सीन में वही वाइरस है जिसके संक्रमण से आपको बचाना है। अत: सोचने वाली बात है कि वाइरस से संक्रमित कर बचाने कि प्रक्रिया कैसे काम करती है।
विधाता की सृष्टि संरचना जटिल एवं अद्वितीय है। प्रत्येक जीव को जीवित रखने का पुख़्ता इंतज़ाम किया है। हर शरीर स्वयं को सुरक्षित रखने में सबल है। शरीर को बाहरी अटैक और अंद्रूनी रख-रखाव एवं व्यवस्था को सुचारू बनाये रखने के लिये इम्यूनिटी सिस्टम बनाया है। परन्तु जैसे-जैसे विज्ञान ने प्रगति की इंसान हर बात पर तर्क करने लगा और ईश्वर की बनाई संरचना एवं प्राकृतिक नियमों पर उसका विश्वास कम होने लगा। आज इंसान अपने सृष्टि कर्ता के अस्तित्व पर ही सवाल उठा रहा है। यही कारण है कि कोरोना से सुरक्षित रहने के लिये समूचा विश्व इम्यूनिटी की जगह वैक्सीन को प्राथमिकता दे रहा है, परन्तु यह भूल गया कि वैक्सीन भी वास्तविक सुरक्षा तभी प्रदान कर पायेगी जब इम्यूनिटी मज़बूत होगी।
जब वैक्सीन के ज़रिये शरीर में वाइरस प्रविष्ट किया जाता है तो स्वभावगत इम्यूनिटी की सुरक्षा प्रणाली सक्रिय हो जाती है और वाइरस को निष्क्रिय करने की प्राथमिक कार्यवाही शुरू हो जाती है। जिनकी इम्यूनिटी स्ट्रॉंग होती है उनकी प्राथमिक कार्यवाही से ही वाइरस निष्क्रिय हो जाता है और वैक्सीन लगवाने के बाद उनमें ना ही कोई लक्षण दिखाई देते हैं और ना ही एन्टीबॉडी बनती हैं।
परन्तु जिनकी इम्यूनिटी कम मज़बूत होती है उनमें वाइरस सक्रिय होने लगता है और वैक्सीन लगवाने के बाद कुछ दिनों तक लक्षण परेशान करते हैं, परन्तु एन्टीबॉडी बनने के बाद जैसे ही वाइरस नष्ट हो जाता है लक्षण समाप्त हो जाते हैं। इसके अलावा जिन लोगों को अन्य बीमारियाँ हैं और वे निरंतर दवाओं का सेवन करते हैं या जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है उन्हें वैक्सीन से इनफ़ेक्शन होने की संभावना अधिक है जो घातक भी हो सकता है। जिनके शरीर में एन्टीबॉडी बन गये वे उस वाइरस विशेष से सुरक्षित हो जाते हैं जिसका अंश उनके शरीर में प्रविष्ट किया गया, परन्तु नये वाइरस स्ट्रेन में किसी भी प्रकार की सुरक्षा नहीं होगी।
कोरोना की हर वैक्सीन असुरक्षित है क्योंकि सभी वैक्सीन को इमरजेंसी एप्रूवल दिया गया है जिसका मतलब है कि सेफ़्टी गाइडलाइन को बाईपास कर वैक्सीन प्रयोग की अनुमति। यही कारण है कि भारत को वैक्सीन देने के पहले मॉडर्ना तथा फाइज़र ने इन्डेमिनिटी बॉन्ड की डिमांड रखी है। किसी भी वैक्सीन का लॉन्गटर्म साइड इफ़ेक्ट नहीं पता।
इसके अलावा कोई भी वैक्सीन बदलते हुये कोरोना वाइरस के किसी भी नये स्ट्रेन पर कभी भी कारगर नहीं होगी क्योंकि यह क्लेम वैक्सीन के बुनियादी प्रिन्सिपल का अनुकरण नहीं करता। वैक्सीन लेने से लोगों की इम्यूनिटी कुछ समय के लिये कमजोर पड़ जाती है जिस दौरान नये वाइरस के सक्रिय संक्रमण का ख़तरा बढ़ जाता है। विश्व की अग्रणी वैक्सीन बनाने वाली कंम्पनियों के यह कहने के बावजूद भी लोगों का टीकाकरण अभियान जारी है जबकी ये वैक्सीन नये स्ट्रेन पर कारगर नहीं होगी।
उपरोक्त तथ्यों के मद्देनज़र यह नहीं समझ आ रहा कि सरकार एवं स्वास्थ्य मंत्रालय किस प्रकार की सुरक्षा लोगों को वैक्सीन के ज़रिये प्रदान करना चाहती है और इस संदर्भ में तथ्यहीन बातों का प्रसारण कर लोगों को वैक्सीन लगवाने पर क्यों ज़ोर दे रही है। कोरोना के हर स्ट्रेन पर कारगर इम्यूनिटी को दरकिनार कर ज़बरदस्ती लोगों को वैक्सीन लगवाकर सरकार का क्या लाभ होगा ?
कमान्डर नरेश कुमार मिश्रा
फाउन्डर ज़ायरोपैथी
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