श्वेता पुरोहित-
एक मित्र की सलाह थी कि ज्योतिषयों द्वारा फैलाए गए मायाजाल को दूर करने के लिए, अपनी स्मृतियों को संजोकर अब मैं उन लोगों के बारे में कुछ लिखूँ जिन्होंने ज्योतिष को एक पवित्र विज्ञान कहा है। मानवीय प्रयासों के प्रत्येक क्षेत्र में धनलोलुपता, दुर्भाव, योग्यता से अधिक अहंकार एवं धोखाधड़ी की आदतें दुख उत्पन्न करती हैं।
ज्योतिष के क्षेत्र में दो तरह के लोग होते हैं – एक वे भोले-भाले लोग जो ठगे जाते हैं और इसके दुष्परिणाम भोगते हैं; और दूसरे वे अतिमहत्त्वाकांक्षी लोग जो यह नहीं चाहते कि ज्योतिषी उन्हें कोई भी निराशा जनक भविष्यवाणी दे। यह दोनो ही तरह के लोग पहले ज्योतिषी के और फिर ज्योतिष के विरोधी हो जाते हैं। महायोगी देवरहा बाबा ने समाधि लेने से कुछ माह पूर्व एक ज्योतिषी मित्र से कहा थाः “बच्चा, यह पवित्र विद्या है, इसे छोड़ना नहीं।” मैं जिस भी महान एवं सच्चे महात्मा से मिला हूँ प्रत्येक ने इसे पवित्र भी कहा है और विद्या भी।
मैंने केवल एक ही ऐसे बहुप्रचारित बाबा के बारे में सुना है जो ज्योतिष के विरुद्ध बोलते हैं। 1984 में जब वह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के दरबार में जगह पाने के लिए प्राणपण से प्रयास कर रहे थे, तब अपने शिष्यों के माध्यम से उन्होंने यह प्रचार करवाया था कि ज्योतिष एवं ज्योतिषी सब निरे बकवास हैं; इंदिरा गाँधी अभी भारत की प्रधानमंत्री के रूप में पंद्रह वर्ष और रहेंगी। लगभग पांच वर्षों तक मौन रहने के उपरांत, उन्होंने ज्योतिष के विरूद्ध अपनी मुहिम से पलटना शुरू कर दिया है।
उनके अवाक् शिष्यों से मेरा प्रश्न है कि एक महात्मा जिसे हिंदू धर्मग्रंथों का ज्ञान होना चाहिए, वह ज्योतिष के विरूद्ध कैसे बोल सकता है। उनका कहना है कि वे उन्हें इसलिए बर्दाश्त करते हैं कि वह उन्हें अच्छे व्यावसायिक संपर्क दिलाते हैं।
‘इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस’ में जज रह चुके डॉ. नागेंद्र सिंह पर लिखे अपने लेख में (एस्ट्रोलॉजिकिल मैगजीन, 1984) मैंने ज्योतिष के विषय में महात्माओं के विचार, और मुझे ज्योतिष न छोड़ने के लिए उनके निर्देशों का उल्लेख किया है। समय-समय पर उन्होंने जो कहा, वह इस प्रकार है:
🌿 ज्योतिष को आध्यात्मिक साधना का एक हिस्सा मानना चाहिए-यह सलाह थी मेरे मंत्रगुरू स्वामी परमानंद सरस्वती की।
🌿 ज्योतिष ही एकमात्र ऐसी विद्या (ज्ञान की शाखा) है जो यह स्पष्ट दर्शित करती है कि किस प्रकार बह्मांडीय नियम ग्रहों के माध्यम से क्रियान्वित होते हैं; किंतु आगे चलकर इसे छोड़ देना चाहिए अन्यथा यह साधना में बाधक हो जाती है-यह विचार था मेरे ज्योतिष गुरू स्वामी भास्करानंद जी का।
🌿 कांची कामकोटि के शंकराचार्य परमपूज्य श्री जयेंद्र सरस्वती ने मुझसे कहा था कि राजनीतिक भविष्यवाणियाँ हमेशा मुश्किल होंगी और गलत हो जायेंगी। गैर-राजनीतिक क्षेत्रों में दी गई भविष्यवाणियों में सफलता का प्रतिशत निश्चय ही काफी अधिक होगा।
🌿 स्वामी मूर्खानंद जी (उनका असली नाम था विद्यारण्य) ने तो मुझसे दसियों बार कहा था कि ज्योतिष मत छोड़ना। उन्होंने मुझसे कहा कि ज्योतिष एक जीवन-लक्ष्य होना चाहिए; एक ऐसी सेवा जो इसकी पवित्रता को बनाए रखने के लिए, बिना आर्थिक प्रतिफल के की जाए। मुझे पता है कि उन्हें ज्योतिष के उन कत्तिपय रहस्यों का ज्ञान था जिन्हें केवल महात्मा ही जानते हैं; और जो ज्योतिष की किसी भी पाठ्यपुस्तक में नहीं दिए होते। जब कभी मुझे उनके साथ एकांत मिल सका जो कि दुर्लभ था, तब उन्होंने मुझे ऐसे कुछ रहस्य बताये।
🌿 ज्योतिष ने मेरे लिए जो समस्या खड़ी कर दी थी उसका समाधान मुझे उज्जैन के मौनी बाबा ने यह बताया कि मुझे लोगों को ज्योतिषीय सलाह कम से कम देनी चाहिए और अपने एकाकी, एकांत जीवन में अपनी ऊर्जा अधिकाधिक शोध पर केंद्रित करनी ‘चाहिए। यह मुझे अपने जीवन में प्राप्त सर्वश्रेष्ठ व्यावहारिक सलाह थी।
- श्री के० एन० राव जी की योगी प्रारब्ध एवं कालचक्र पुस्तक का एक अंश
क्रमशः..