गुजरात हाईकोर्ट ने 28 फरवरी 2002 को गुजरात के नरोदा पाटिया में हुए दंगे में जहां बाबू बजरंगी की उम्र कैद की सजा बरकरार रखी, वहीं गुजरात सरकार की पूर्व मंत्री माया कोडनानी को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया। बाबू बजरंगी वैसे तो बजरंग दल का नेता है, लेकिन कांग्रेस, ‘तहलका’ और विश्व हिंदू परिषद के एक बड़े नेता के कहने पर उसने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री व वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दंगे का मास्टर साबित करने का भरपूर प्रयास किया था, लेकिन आज न्याय हो गया! कहते हैं, झूठ के पैर नहीं होते! बाबू बजरंगी खुद के ही बड़बोलेपन का शिकार हो गया! अब मरते दम तक वह जेल में सड़ने को मजबूर है। अब न तो उसे विश्व हिंदू परिषद का वह पूर्व नेता उसे बचाने आएगा, न कांग्रेस, और ‘तहलका’ का मालिक तो खुद यौन शोषण का आरोप झेल रहा है!
ज्ञात हो कि 28 फरवरी 2002 में नरोदा पाटिया में दंगा भड़का था। इस हत्याकांड में बाबू बजरंगी और सुरेश रिचर्ड दोनों मुख्य अभियुक्त थे। बाबू बजरंगी महत्वकांक्षी था। बताया जाता है कि उसकी इस महत्वाकांक्षा का फायदा विहिप के एक बड़े नेता ने उठाया और उसे नरेंद्र मोदी के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए उसे कांग्रेस के आगे पेश कर दिया! यही नहीं, विहिप के उस बड़े नेता ने विहिप के ही एक कार्यकर्ता रमेश दवे को भी ‘तहलका’ के सामने परोस दिया। इन सब का जीवन तो बर्बाद हो गया, और नरेंद्र मोदी को हटाने के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री बनने का सपना पाले विहिप का नेता भी आज विहिप से विदा हो गया!
2004 में यूपीए सरकार बनने पर सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर ‘तहलका’ पत्रिका को संरक्षण देने की बात कही थी, जो पत्र भी पब्लिक डोमेन में आ चुका है। इसके अलावा जांच में यह भी साबित हो चुका है कि ‘तहलका’ को स्थापित करने में कांग्रेसी वकील सांसद कपिल सिब्बल ने वित्तीय मदद की थी। विहिप के उस नेता के इशारे पर बाबूबजरंगी उसी ‘तहलका’ व कांग्रेस का आसान शिकार हो गया। कांग्रेस के प्रति अपना फर्ज निभाते हुए ‘तहलका’ और उसका पत्रकार आशीष खेतान बार-बार गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को फंसाने के लिए फर्जी स्टिंग ऑपरेशन किया करते थे। इस बार तो विहिप का एक नेता खुद चलकर बाबूबजरंगी को उसके सामने पेश कर रहा था! यह वही आशीष खेतान है, जो बाद मंे अरविंद केजरीवाल की ‘आम आदमी पार्टी’ में प्रवक्ता और दिल्ली डायलॉग कमीशन का अध्यक्ष बना। फर्जी स्टिंग के कारण आशीष खेतान की पोलिटिकल उड़ान बहुत तेज रही।
तो इस आशीष खेतान ने ‘तहलका’ के लिए 2007 में बाबू बजरंगी का एक स्टिंग किया था, जिसमें बाबू बजरंगी ने तीन झूठ बोले थे-
‘तहलका’ के कैमरे पर बोला गया तीन झूठ-
1. बाबू बजरंगी ने कहा, अहमदाबाद के नरोदा पाटिया में उसने नरसंहार किया, जिसके बाद नरेंद्र मोदी खुद उसके पास चलकर नरोदा पाटिया आए थे और उसके काम के लिए उसे शाबासी दी थी।
2. सुरेश रिचर्ड को यह कहते दर्शाया गया था कि एक मुसलिम महिला कौसर बानो के पेट को काटकर उसके पेट में पल रहे भ्रुण की चाकू से गोदकर उसने हत्या की थी।
3 इसी स्टिंग में आशीष खेतान से विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यकर्ता रमेश दवे ने यह कहा कि डिविजनल सुपरिटेंडेंट ऑफ गुजरात एस.के.गढ़वी ने उसके कहने पर दरियापुर इलाके में पांच मुसलमानों को जान से मार दिया था।
तीनों झूठ सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी की जांच में हो गया खारिज-
पहला सच-
1. एसआईटी जांच में आया कि 28 फरवरी को नरोदा पाटिया में दंगा हुआ। 28 फरवरी और उसके अगले दिन पहली मार्च, 2002 को नरेंद्र मोदी नरोदा पाटिया गये ही नहीं थे। उस दिन नरेंद्र मोदी अहमदाबाद के सर्किट हाउस में एक प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे।
यह भी साबित हुआ कि गुजरात दंगा के समय नरेंद्र मोदी को पद संभाले महज साढ़े तीन महीने ही हुए थे और इतने कम समय में वह विहिप या बजरंग दल के निचले स्तर के किसी कार्यकर्ता को किस तरह नाम से जानेंगे? यहीं पर भाजपा व संघ के अंदर खाने उस विहिप के नेता की असलियत खुल गयी, जो विहिप और बजरंग दल के निचले स्तर के कार्यकर्ताओं तक से जुड़ा था और जो इस कोशिश में था कि नरेंद्र मोदी पर दाग लग जाने पर वह गुजरात के मुख्यमंत्री बन जाएंगे।
दूसरा सच
2. सुरेश रिचर्ड ने जिस गर्भवती कौसर बानो के पेट को चीड़ कर भ्रूण निकालने की बात कही थी, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी के अनुसार, वह घटना कभी हुई ही नहीं। कौसर बानो का पोस्टमार्टम रिपोर्ट व पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर द्वारा अदालत में दिए गये बयान के अनुसार, कौसर की मौत किसी धारदार हथियार से नहीं, बल्कि आग में जलकर हुइर्ह थी। मरते वक्त कौसरबानो का गर्भ और उसके अंदर का भ्रूण दोनों सुरक्षित था।
तीसरा सच
3. विहिप का कार्यकर्ता रमेश दवे के दावे के उलट डिविजनल सुपरिटेंडेंट ऑफ गुजरात पुलिस एस.के.गढ़वी की दरियापुर में नियुक्ति ही गुजरात दंगे के एक महीने बाद हुई थी। इसलिए रमेश दवे से मुसलमानों को मारने का दावा पूरी तरह से झूठ साबित हुआ।
ताज्जुब है कि न तो तहलका ने स्टिंग के दौरान बाबू बजरंगी द्वारा कहे गये झूठ को क्रॉस चेक किया और न विहिप के उस नेता ने, जिसने नरेंद्र मोदी के खिलाफ बड़ी साजिश रची थी। और फिर आज के निर्णय ने यह साबित कर दिया कि झूठ ज्यादा देर तक नहीं टिकता है।
नोट- यह सारा तथ्य संदीप देव की पुस्तक ‘निशाने पर नरेंद्र मोदीः साजिश की कहानी-तथ्यों की जुबानी’ से ली गयी है।
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