अर्चना कुमारी लेबनान की राजधानी बेरूत के निकट अमेरिकी दूतावास पर हमले का प्रयास कर रहे एक बंदूकधारी को सैनिकों ने पकड़ लिया।
हालांकि बताया जा रहा है कि हमलावरों की संख्या चार थी। सेना ने यह जानकारी दी। यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब इस छोटे से भूमध्यसागरीय देश में तनाव की स्थिति है।
चरमपंथी समूह हिजबुल्ला और इजराइली सैनिकों के बीच महीनों से जारी लड़ाई के कारण इस देश के सीमावर्ती क्षेत्र में हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।
साथ ही लेबनान कई वर्षों से राजनीतिक गतिरोध और आर्थिक तंगी का भी सामना कर रहा है। लेबनान की सेना ने बयान में बताया कि सैनिकों ने एक हमलावर पर गोली चला दी।
सेना ने हमलावर की पहचान केवल सीरियाई नागरिक के रूप में की है। सेना की गोली से घायल हुए हमलावर को अस्पताल ले जाया गया। हमले के पीछे के कारणों का फिलहाल पता नहीं चल पाया है।
स्थानीय मीडिया में कुछ फोटो छपी हैं, जिसमें खून से लथपथ हमलावर काले रंग की बनियान पहने दिख रहा है और उस पर अरबी भाषा में ‘‘इस्लामिक स्टेट’’ और अंग्रेजी में ‘आई’ और ‘एस’ लिखा है।
स्थानीय मीडिया की खबरों में बताया गया कि बेरूत के उत्तर में औकार उपनगर में अमेरिकी राजनयिक मिशन के पास लगभग आधे घंटे तक गोलीबारी हुई।
एक लेबनानी सुरक्षा अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि हमलावरों की संख्या चार थी जिनमें से एक को मार गिराया गया, एक घायल है और उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।
एक भागने में कामयाब रहा। चौथा हमलावर वह था जो इन तीनों को गाड़ी से यहां छोड़कर गया था।
अमेरिकी दूतावास ने बताया कि दूतावास के प्रवेश द्वार पर सुबह हुए हमले में उनका कोई कर्मचारी हताहत नहीं हुआ है और घटना की सूचना मिलते ही लेबनान के सैनिक तथा दूतावास के सुरक्षाकर्मी सक्रिय हो गए।
लेबनान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री नजीब मिकाती के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि रक्षा मंत्री तथा सेना कमांडर की बैठकों के बाद उन्हें अवगत कराया गया कि हालात फिलहाल स्थिर है और जांच जारी है।
लेबनान की सेना ने कहा कि दूतावास और आस-पास के क्षेत्रों में जवानों को तैनात कर दिया गया है। इससे पहले 1983 में बेरूत में अमेरिकी दूतावास पर किए गए घातक बम हमले में 63 लोग मारे गए थे। अमेरिकी अधिकारियों ने इस हमले के लिए लेबनान के चरमपंथी समूह हिजबुल्ला को जिम्मेदार ठहराया था।