अर्चना कुमारी । हिंदुओं को उनके धार्मिक स्थल सौंपा जाना चाहिए। इसी दिशा में ज्ञानवापी परिसर का भारतीय पुरातत्व विभाग से सर्वे कराने पर लगी रोक के खिलाफ मंदिर पक्ष की तरफ से कहा गया कि तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए जांच जरूरी है।
प्रथमदृष्टया सच बाहर लाने के लिए एएसआई से विवादित परिसर का सर्वे कराया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने कहा कि विवादित परिसर मंदिर का हिस्सा है यह नंगी आंखों से देखने से स्पष्ट होता है। इसलिए सर्वे किया जाना चाहिए ताकि सच बाहर आ सके।
याचिका की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने कहा कि इस विंदु पर फैसला सुरक्षित किया जा सकता है किन्तु उ प्र सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से कहा गया कि उनके वरिष्ठ अधिवक्ता एस एफ ए नकवी शहर से बाहर है। उन्हें पक्ष रखने के लिए दस दिन के लिए सुनवाई स्थगित की जाय।
जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 28नवंबर तय की और कहा उस दिन अंतिम बहस होगी। सुनवाई टाली नहीं जायेगी।मंदिर पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि 13अगस्त 1998को सुनवाई पर रोक लगी थी।जिसे बढ़ाया नहीं गया। उन्होंने ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हवाले से कहा कि यदि केस की सुनवाई पर रोक लगी है।तो यदि बढ़ाई नहीं गई तो छः माह बाद वह रोक स्वयं खत्म हो जायेगी।
इसलिए अधीनस्थ अदालत ने सुनवाई की और सच का पता लगाने के लिए सर्वे कराने का आदेश दिया है।जो पूरी तरह से सही आदेश है। मुकदमे के तार्किक निष्कर्ष के लिए एएसआई सर्वे जरूरी है। इसलिए उसपर लगी रोक हटाई जाए।
मुस्लिम पक्ष की अधीनस्थ अदालत के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिकाओं की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सर्वे कराने के अधीनस्थ अदालत के आदेश पर रोक लगा रखी है।जो 31दिसंबर तक जारी है।और केस की सुनवाई रूकी हुई है। फिलहाल याचिका की अगली सुनवाई 28नवंबर को 12बजे से होगी।