इन दिनों जिस प्रकार देश की न्यायपालिका और सुप्रीम कोर्ट को अपमानित करने का अभियान चल रहा है उसे देखते हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने काफी गुस्सा जताया है। उन्होंने Republic tv टीवी के संपादक अर्णव गोस्वामी को दिए साक्षात्कार में जहां इस प्रकार के अभियान चलाने वाले वकीलों के गिरोह को आड़े हाथों लिया, वहीं इनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करने से हिचकने को लेकर सुप्रीम कोर्ट की भी आलोचना की है। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने जिस प्रकार सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के साथ बर्ताव किया और सुप्रीम कोर्ट की तौहीन की उस पर भी उन्होंने ताज्जुब जताया! साल्वे ने साफ कहा कि ‘सुप्रीम कोर्ट की गरिमा की रक्षा करने के लिए प्रशांत भूषण और कपिल सिब्बल जैसे वकीलों पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है।’
मुख्य बिंदु
* कोर्ट की अवमानना के मामले में वकीलों के गैंग पर कार्रवाई नहीं होने पर गुस्से में हरीश साल्वे
* कांग्रेस पर लगाया देश की न्यायपालिका को अपने हिसाब से ढालने का आरोप
पूर्व सोलिसीटर जनरल हरीश साल्वे वही वकील हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (International court of justice) में भारत की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ कुलभूषण जाधव का पक्ष रखा था। उनकी दलील की बदौलत ही अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने जाधव की फांसी रोकने का फैसला सुनाया, जबकि पाकिस्तान के कोर्ट ने फांसी की सजा सुना दी थी। अभी भी जाधव का मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में विचाराधीन है। सालवे ने हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट, विशेषकर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ चलाए अभियान और उन पर लगे आरोपों का विस्तार से जवाब दिया।
साल्वे ने बेंच फिक्स करने के आरोप को निराधार बताया और कहा कि पांच जजों वाली बेंच का नेतृत्व चीफ जस्टिस ही करते हैं। 1978 से ही ये हमारी न्यायव्यवस्था की परंपरा सी रही है। इसमें बेंच फिक्स का मामला कहां से उठता है? जज लोया केस के मामले में उन्होंने कहा कि इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट की छवि खराब करने वालों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट को भी कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने आश्चर्य जताया कि आखिर कोर्ट उनलोगों के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की बात तक ही क्यों ठहर गया? न्यायधीशों को चाहिए कि उनके खिलाफ अवमानना का केस चलाते और उन्हें जेल भेजते। उन्होंने आश्चर्य जताया कि आखिर सुप्रीम कोर्ट उन लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने से हिचक क्यों रहा है?
साल्वे ने स्पष्ट कहा है कि आजकल कोर्ट में जो कुछ हो रहा है उससे वे काफी निराश हैं। उन्होंने कहा, “अभी भी सुप्रीम कोर्ट में कई ऐसे वरिष्ठ वकील हैं जिन्हें आज तक किसी भी जज के खिलाफ ऊंची आवाज में बात करते नहीं देखा है। लेकिन हाल के दिनों में कुछ लोगों ने न्यायपालिका को बदनाम करने की ठेकेदारी ले रखी है। जिस प्रकार प्रशांत भूषण और कपिल सिब्बल सरीखे वकील सुप्रीम कोर्ट की बदनामी करने पर तुले हैं ऐसे में तो सुप्रीम कोर्ट को उनके खिलाफ कठोर एक्शन लेने की आवश्यकता है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की छवि और पवित्रता लोगों के आदर पर आधारित है। जिस दिन लोगों के दिल से आदर खत्म हुआ उसी दिन न्यायपालिका की साख भी खत्म हो जाएगी।”
उन्होंने कहा कि “जिस प्रकार ये लोग आए दिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अभियान चला रहे हैं, इससे एक दिन हर हारा हुआ शख्स सुप्रीम कोर्ट के जजों पर यह आरोप लगाएगा कि उसके प्रतिद्वंद्वी ने घूस दी है तभी उसके पक्ष में फैसला हुआ है। इससे सुप्रीम कोर्ट की छवि और पवित्रता पर बट्टा लगेगा।”
उन्होंने कहा, “कांग्रेस शुरू से ही सुप्रीम कोर्ट को अपने हिसाब से ढालने की कोशिश करती रही है। और आज भी वह वही कर रही है।” उन्होंने सन 1973 का उदाहरण दिया और कहा, “कांग्रेस द्वारा केशवानंद भारती के केस में सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की वरिष्ठता नजरंदाज कर दी गई और अपेक्षाकृत एक कनिष्ट जज को सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस बना दिया गया।”
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