विपुल रेगे। नेटफ्लिक्स के सीईओ रिड हैस्टिंग्स भारत में आशानुरुप आर्थिक सफलता न मिलने से हताश हो गए हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि नेटफ्लिक्स से गलती कहाँ हो रही है। हम नेटफ्लिक्स की तुलना प्राचीन ब्रिटिश कंपनी ईस्ट इंडिया कंपनी से कर सकते हैं या उन ईसाई मिशनरियों से, जो 1857 का स्वाधीनता संग्राम शुरु होते ही टिड्डी दल की भांति भारत में घुस आए थे। क्या रिड हैस्टिंग्स का लक्ष्य मात्र व्यावसायिक सफलता पाना था। नेटफ्लिक्स की पहली वेब सीरीज ‘सेक्रेड गेम्स’ थी, जिसमे हिंदुत्व के प्रति अत्यंत घृणास्पद कंटेंट डाला गया था।
नेटफ्लिक्स के सीईओ का विचार है कि घृणा फैलाने के लिए भी उनको आर्थिक लाभ मिलना चाहिए। वैसे ईसाई मिशनरियां जब किसी देश में अपने धर्म के प्रसार के लिए जाती हैं तो उनका तरीका हिन्दू घृणा पर ईसाइयत का बीज बोने का रहता है। वे किसी आर्थिक लाभ की आशा नहीं करते हैं। रिड हैस्टिंग्स इस मामले में ईसाई मिशनरियों से कुछ आगे दिखाई देते हैं।
पाठकों को ये मालूम होना चाहिए कि संस्कृति और धर्म पर प्रहार करती फ़िल्में केवल नेटफ्लिक्स की भारतीय शाखा में दिखाई जा रही है या शेष विश्व में भी ईसाइयत पर प्रहार करती फ़िल्में दिखाई जा रही है। नेटफ्लिक्स धार्मिक फिल्मों का निर्माण भी करता है। ये जान आपको झटका लगेगा किन्तु ये सत्य है। रिड हैस्टिंग्स साहब इन फिल्मों में ‘सेक्रेड गेम्स’ की तरह सेक्स और हिंसा नहीं दिखाते हैं।
इन फिल्मों में आध्यात्मिकता भर-भर कर डाली गई है। द जीसस कोड’, स्टोरीज ऑफ़ जनरेशन विद पोप फ्रांसिस, आइलैंड्स ऑफ़ फेथ, आवर लेडी ऑफ़ सान जुआन-फोर सेन्चुरिस ऑफ़ मिराकल्स उन धार्मिक और आध्यात्मिक फिल्मों के नाम हैं, जो ‘नेटफ्लिक्स Faith & Spirituality’ पर उपलब्ध है। कुल मिलाकर 22 ईसाई फ़िल्में नेटफ्लिक्स पर डाली गई है।

अब हम नेटफ्लिक्स इंडिया पर आ चुकी वेब सीरीज को देखे तो सेक्रेड गेम्स जैसी वाहियात सीरीज के अलावा हॉरर, सेक्स, थ्रिलर जॉनर की वेब सीरीज और फ़िल्में दिखाई गई। नेटफ्लिक्स ने रियलिटी शो के नाम पर करण जौहर को बुलाकर डेटिंग शो करवाया। किड्स और फैमिली सेक्शन में आपको केवल लिटिल भीम मिल जाएगा। नेटफ्लिक्स ने सन 2018 से लेकर अब तक 45 फिल्मों को ऑन एयर किया।
इन पैंतालीस फिल्मों की विषयवस्तु को ध्यान से देखा जाए तो इनमे भी वही सब था। भारत के सामाजिक परिवेश पर आघात करती हैं ये फ़िल्में। लस्ट स्टोरीज इन फिल्मों में शामिल है। इसमें चार कहानियां थी और भारतीय महिलाओं की छवि को इसमें कैसा प्रस्तुत किया गया, बताने की आवश्यकता नहीं है। इनमे वे फ़िल्में भी थी, जिनके कंटेंट से नारी आंदोलन के नाम पर धर्म, संस्कृति, हमारे परिवेश और सेना पर भी निशाना साध दिया गया।
गुंजन सक्सेना : द कारगिल गर्ल, क्लास ऑफ़ 83, एके वर्सेज एके, पगलैट, कृष्णा एंड हिज लीला, अजीब दास्तान और धमाका ऐसी ही फ़िल्में हैं, जिन पर बहुत आपत्तियां उठाई गई और विवाद भी बहुत हुए। नेटफ्लिक्स ने अपना विष वमन डॉक्यूमेंट्रीज के द्वारा भी किया। ‘लेडीज फर्स्ट’ नामक डाक्यूमेंट्री में झारखण्ड की महिलाओं की निर्धनता संपूर्ण विश्व को दिखाई गई।
‘लीला’ फिल्म को हम कैसे भूल जाए। इसकी घृणित विषयवस्तु के कारण बहुत विरोध हुआ। इसके विरोध में लोग न्यायालय तक गए किन्तु ओटीटी पर कोई कानून न होने के कारण नेटफ्लिक्स साफ़ बचकर निकल गया था। नेटफ्लिक्स के विरुद्ध कई बार पुलिस थानों तक में रिपोर्ट दर्ज की गई लेकिन कोई असर नहीं हुआ।
ऐसे ही ओशो की विवादित शिष्या ‘शीला’ के अपराधों को जस्टिफाई करने के लिए ‘सर्चिंग ऑफ़ शीला’ दिखाई। नेटफ्लिक्स की ज़हर की थैली बहुत बड़ी और भारी है। स्टैंडअप कॉमेडी शोज के द्वारा भारत की छवि पर कुठाराघात करने का कार्य भी नेटफ्लिक्स ने किया है। विवादित कॉमेडियन वीर दास के सभी शो नेटफ्लिक्स पर ही स्ट्रीम हुए हैं। उसमे वह शो भी शामिल है, जिसमे वीर दास अमेरिका जाकर भारत का अपमान कर आया था।
जब हम गहनता से नेटफ्लिक्स पर प्रसारित हुए शोज, वेब सीरीज और फिल्मों के कंटेंट देखते हैं तो पता चलता है कि नेटफ्लिक्स के सीईओ रिड हैस्टिंग्स को सच में भारत से पैसा नहीं कमाना है ,उनका लक्ष्य तो कुछ और ही है। घाटा खाने के बाद भी नेटफ्लिक्स अपने प्लान्स के भाव में साठ प्रतिशत की कटौती कर देता है। क्या ये अजीब नहीं लगता ? ईसाइयत की फिल्मों में इतना साफ़-सुथरापन है और भारत में वे ‘कृष्णा एंड हिज लीला’ दिखाते हैं।

धर्म को लेकर उनके मन में इतना सम्मान है तो वह सम्मान यहाँ क्यों प्रकट नहीं हो रहा है। भारत में टिड्डी दलों के आक्रमण प्राचीन काल से होते रहे हैं। सत्तावन के संग्राम के समय जब टिड्डी दल भारत आया तो उसके हाथ में धार्मिक किताबे थी। अपितु उस समय वे इतने सफल न हो सके। अब उन्होंने अपना तरीका बदल दिया है। वे नेटफ्लिक्स जैसे मंचों के माध्यम से पहले धर्म, संस्कृति, देश और सरकारों के प्रति आम नागरिक का विश्वास ढहा देते हैं।
अपने प्लान्स में साठ प्रतिशत की कमी करने के बाद भी नेटफ्लिक्स के शेयर 22 प्रतिशत तक गिर गए। जबकि कमी करने के बाद तो शेयर प्रतिशत बढ़ना चाहिए था। उल्लेखनीय है कि सन 2018 में नेटफ्लिक्स ने भारत में 2000 करोड़ निवेश करने की योजना बनाई थी। वे स्थानीय कंटेंट पर भी काम कर रहे थे लेकिन ऐसा कंटेंट नहीं बना सके, जो भारत के मन को उनके साथ जोड़ सके।
संस्कृति और धर्म पर प्रहार करती फिल्मों के कारण ही आज नेटफ्लिक्स भारतीय बाज़ार में स्थायित्व के लिए संघर्षरत है।बाकी का काम धार्मिक किताबे लिए टिड्डी दल कर ही देता है। रिड हैस्टिंग्स का ये कहना कि हम फ्रस्टेट हैं, सत्य है। वे फ्रस्टेट इसलिए हैं कि भारत पर अनवरत सांस्कृतिक हमले करने के बाद भी वे पाते हैं कि वे हमारा कुछ भी अहित नहीं कर सके हैं।