आर्थिक अपराध शाखा( EOW) ने अंतरराष्ट्रीय हवाला कारोबारी नरेश जैन को गिरफ्तार कर लिया है । दिल्ली पुलिस के लिए यह गिरफ्तारी बड़ी कामयाबी बताई जाती है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि भारत के अलावा रोम और दुबई पुलिस को नरेश जैन की पिछले काफी समय से तलाश थी। जबकि उसके खिलाफ इंटरपोल ने दो रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किए हुए हैं। जांच कार्रवाई में पता चला है कि नरेश फर्जी कागजातों के आधार पर बनाए गई शेल (फर्जी) कंपनियों से अवैध रूप से भारतीय व विदेशी मुद्रा का ट्रांजेक्शन करता था।
पहले नरेश को इससे पूर्व दुबई पुलिस गिरफ्तार कर चुकी थी। बताया जाता है कि वहां से वह जमानत पर आने के बाद भारत भाग आया था। यहां एनसीबी ओर ईडी भी नरेश को गिरफ्तार कर चुकी थी। दोनों एजेंसियों के चंगुल से छुटने के बाद से वह लगातार फरार होकर अवैध गतिविधियों में लिप्त था। फिलहाल दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा पुलिस चार दिन की पुलिस रिमांड लेकर नेरश से पूछताछ कर रही है।
आर्थिक अपराध शाखा के संयुक्त आयुक्त डॉ. ओपी मिश्रा का कहना है कि साल 2018 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नरेश जैन के खिलाफ हवाला और मनी लॉड्रिंग जैस अवैध कारोबार में शामिल होने की शिकायत दी थी। प्रारंभिक जांच के बाद ईओडल्ब्यू ने मामला दर्ज कर लिया। ईडी ने अपनी शिकायत में बताया था कि नरेश जैन और उसके साथ बड़े पैमाने पर मनी लॉड्रिंग के अलावा हवाला, फेमा उल्लंघन जैसे अवैध गतिविधियों में शामिल हैं।
जांच में यह भी पाया गया कि नरेश ने फर्जी आधार कार्ड, पैन नंबर, वोटर आईडी समेत तमाम कागजातों के आधार पर भारत के अलावा हांगकांग, सिंगापुर, दुबई व अन्य देशों में फर्जी शेल कंपनियां बनाई हुई हैं। जबकि बड़े पैमाने पर नरेश जैन और उसके साथ इन कंपनियों की मदद से भारतीय व विदेशी मुद्रा का कारोबार कर रहे हैं। होटल में रहने, खाने-पीने और अन्य खर्चा के फर्जी बिल तैयार कर रुपये इन फर्जी कंपनियों में दिखाया जाता है।
यह भी खुलासा हुआ कि विदेशों से सामान इंपोर्ट और एस्पोर्ट करने के दौरान शेल कंपनियों के बेहद कम दामों के बिल तैयार होते हैं। इन बिलों की वजह से काफी टैक्स भी चोरी होता है। बाकी माल की पेमेंट हवाला के जरिये होती है। नरेश जैन ने कई टूर एंड ट्रैवल कंपनियां भी बनाई हुई थी। जांच के दौरान पता चला है कि नरेश 450 भारतीय कंपनियों और 100 अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से जुड़ा हुआ था। उसने दिल्ली के विकासपुरी प्रीतमपुरा, जनकपुरी और रोहिणी में अपनी फर्जी कंपनियों के दफ्तर भी बनाए हुए थे।
यह भी पता चला कि साल 2007 में दुबई में उसे गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद वह भारत आ गया। 2009 में उसे एनसीबी और ईडी ने भी गिरफ्तार किया था। नरेश जैन की अवैध गतिविधियों की वजह से कई देशों की पुलिस को उसकी तलाश थी। आर्थिक अपराध शाखा का कहना है कि मंगलवार को एक सूचना के बाद दिल्ली से नरेश को दबोच लिया गया।
पुलिस चार दिन की रिमांड पर लेकर उससे हवाला से जुड़े कारोबार व उसके साथियों के बारे में पता लगाने का प्रयास कर रही है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि नरेश जैन के तार बड़े कारोबारियों तथा कुछ सफेदपोश नेताओं से भी जुड़े रहे हैं, फिलहाल यह पता लगाया जा रहा है कि इसके नेटवर्क में और इसके गोरखधंधे से जुड़े कौन से लोग अभी फरार है ताकि उनकी भी गिरफ्तारी की जा सके।
बढिया