स्वजातिपूर्वजानां तु यो न जानाति संभवम्।
स भवेत् पुंश्चलीपुत्र सदृश: पितृवेदक।।
अर्थात्:- जो व्यक्ति अपने पूर्वजों के इतिहास से अनभिज्ञ है, वह उस कुलटा-पुत्र (पुंश्चलीपुत्र) के समान है, जो यह नहीं जानता कि उसके पिता कौन हैं?
सच्चाई से भरे मेरे शब्द जिनको चुभते हैं, वो देख लें कि शास्त्र भी मूढ़ता पर कैसे प्रहार करते हैं। बिना चोट के पत्थर नहीं टूटा करते, और हिंदुओं की जड़ता तो 1000 साल की गुलामी से उपजी है! वह आज भी गुलामी में ही स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है, इसलिए किसी न किसी ‘मालिक’ को पकड़ कर ही अपना संपूर्ण जीवन बिता देना चाहता है!