आईएसडी नेटवर्क। विश्व के अनुसलझे रहस्यों में से एक मिस्र के ग्रेट पिरामिड को लेकर एक नई खोज की जाएगी। ग्रेट पिरामिड के हिडन चैंबर का रहस्य जानने के लिए अब विशेष कॉस्मिक रेज की सहायता ली जाने वाली है। विश्वभर के खोजी इस नई तकनीक को लेकर उत्साहित हैं। यदि इस नई तकनीक के द्वारा ग्रेट पिरामिड के बंद कमरों का रहस्य खुल गया तो वैश्विक पुरातात्विक इतिहास के लिए ये बड़ी उपलब्धि सिद्ध होगी।
गीजा के ग्रेट पिरामिड के रहस्यों को जानने के लिए 200 वर्ष से अधिक समय से पुराविद प्रयत्न कर रहे हैं। जल्दी ही पुराविदों और वैज्ञानिकों की एक टीम ग्रेट पिरामिड के समीप कैम्प बनाएगी और एक डिवाइस लगाएगी। इस डिवाइस को High Energy Physics (HIP) कहा जाता है। पिरामिड को स्कैन करने के लिए कॉस्मिक रे म्यूऑन को लक्ष्य बनाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि म्यूऑन बाहरी अंतरिक्ष से पृथ्वी से टकराने वाले बहुत ही सूक्ष्म कण होते हैं। High Energy Physics (HIP) पिरामिड को स्कैन करेगी तो परिणाम बड़े ही सूक्ष्मता के साथ मिलेंगे क्योंकि म्यूऑन सब कुछ प्रकट कर देंगे। सन 1960, 1967, 1998 और 2016 में तकनीक की सहायता से पिरामिड को स्कैन करने का प्रयास किया गया है। पिरामिड के इंटीरियर के जो नक़्शे प्राप्त होते हैं, वे इन्हीं अनुसंधानों के बाद प्राप्त हुए थे।
2016 में muon tomography की सहायता से पिरामिड को स्कैन करने का प्रयास किया गया। उस खोज में पता चला कि इसकी ग्रैंड गैलरी में एक बड़ा गलियारा है। म्यूऑन ने एक लम्बे क्षेत्र में कोई ठोस स्ट्रक्चर बना नहीं पाया। उल्लेखनीय है कि पिरामिड के हृदय में बने सबसे मुख्य चैंबर तक जाने के मार्ग बंद कर दिए गए थे। खोजियों ने ये बताया है कि ऐसा कोई भी मार्ग नहीं है, जिससे होकर मुख्य चैंबर तक पहुंचा जा सके।
वैज्ञानिकों की टीम इसके लिए म्यूऑन टेलिस्कोप सिस्टम की सहायता लेगी। इस सिस्टम की विशेषता है कि ये स्ट्रक्चर के कोने-कोने को सूक्ष्मता के साथ स्कैन कर सकता है। एक बार सिस्टम को उस स्थान का थ्रीडी नक्शा मिल गया तो वह दूसरी बार पिछली बार से सौ गुना शक्तिशाली इमेज लेने में सक्षम होता है। इस तरह उसकी एक्यूरेसी बढ़ती चली जाती है।