डॉ विनीता अवस्थी
प्रिय पाठको निश्चय ही आप लोगों ने हिमाचल की पवित्र भूमि और परंपराओं के बारे में सुना होगा। यहां की भूमि की पवित्रता अभी तक बची हुई है। अगर आपको याद हो तो कुछ समय पूर्व दक्षिण भारतीय सिनेमा की कांतारा मूवी बहुत प्रसिद्ध हुई थी। उसमें हमारे ग्राम देवता व देव परंपरा का बहुत ही सुंदर ढंग से विवेचन किया गया था।
आप लोगों को यह जानकर आश्चर्य होगा, हिमाचल पर सुदूर पर्वतों पर अभी भी यह परंपरा जीवंत है। यहां के स्थानीय लोग अभी भी अपने देवों की आज्ञा से ही अपने मुख्य कार्य आगे बढ़ते हैं। जो गांव अत्यंत ऊंचाइयों पर स्थित है जहां की भूमि की पवित्रता अभी भी बची है वहां पर दया शक्तियों का आभास किया जा सकता है। खास परिवारों के पुजारी वर्ग देवता का आवाहन कुछ विशेष अवसरों पर करते हैं स्थानीय लोगों की मान्यता है।
स्थानीय लोगों की मान्यता यह है पुजारी के शरीर में स्वयं देवता वास करते हैं वह वहां के लोग अपनी समस्याओं को उनके समक्ष रखकर समाधान भी पाते हैं। कई बार वह पुजारी कुछ ऐसी बातों का खुलासा करते हैं जो कि लोगों को चमत्कृत कर देती हैं। विदेशी लोग भी हिमाचल की परंपराओं का अध्ययन कर रहे हैं वह भी की इन परंपराओं पर कभी भी संदेह ही नहीं करते। क्योंकि उनके समक्ष यह है प्रत्यक्ष प्रमाण होता है। आगे की श्रृंखला में आपको विभिन्न स्थानों के बारे में बताऊंगी जहां पर यह देव परंपरा है।
उन विशेषताओं के बारे में कि वह अभी तक क्यों बची हुई है। यह हम सब का उत्तरदायित्व है की अपनी श्रेष्ठ परंपराओं को हम जीवंत रखें के लिए जिन भी चीजों की आवश्यकता उन्हें संगठित करके सहज।
आपको रोमांचित कर देने वाली देव परंपरा अभी भी हमारे भारत वर्ष में है। यह हमारा सौभाग्य ही है कि ईश्वर की कृपा से हमें उनके प्रत्यक्ष दर्शन हुए। अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ घटा हो तो कृपया जरूर साझा करें।
अगली श्रृंखला शीघ्र वचन देते हुए-
आपकी शुभचिंतक
डॉ विनीता अवस्थी
