विपुल रेगे। फिल्म उद्योग के ट्रेड पंडित ही नहीं, भारत में फ़िल्में देखने वाला आम दर्शक भी जानता था कि विवेक अग्निहोत्री की कालजयी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को फिल्म फेयर अवार्ड्स में उपेक्षित किया जाएगा। उपेक्षा इस कदर की गई कि फिल्म से जुड़े कलाकारों, निर्माता-निर्देशक को आमंत्रित तक नहीं किया गया। इस कृत्य से आम जनता में एक संदेश गया है कि बॉलीवुड राष्ट्रवाद को पसंद नहीं करता और न इसकी बात करने वाले कलाकारों को।
फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने हाल ही में कहा कि पहले उन्हें फिल्मफेयर में बुलाया जाता था लेकिन वर्ष 2014 के बाद से उन्हें बुलाना बंद कर दिया गया। विवेक ने ये भी जोड़ा कि उन्होंने अपनी दिलचस्पी ऐसे आयोजनों में खो दी है। 67वें फिल्म फेयर अवार्ड्स समारोह के लिए पुरस्कार तो देना दूर रहा, फिल्म के यूनिट के किसी सदस्य को औपचारिक रुप से भी आमंत्रित नहीं किया गया, जबकि ‘द कश्मीर फाइल्स’ इस वर्ष की प्रथम पांच सफलतम फिल्मों में शामिल रही है।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष ‘द कश्मीर फाइल्स’ और ‘भूल-भुलैया’ ने हिन्दी पट्टी में सबसे अधिक कलेक्शन किया है। बॉलीवुड की कंगाली के दौर में ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने हिन्दी फिल्म उद्योग को आर्थिक संबल प्रदान किया है, इस नाते ही फिल्म की यूनिट को आमंत्रित कर लिया जाता। जनता ने बहिष्कार किया तो फिल्म उद्योग में बैठे निर्णायक लोगों ने भी अपनी ओर से एक विभाजन रेखा खींच दी है।
उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया है कि वे ‘द कश्मीर फाइल्स’ जैसी फिल्मों का न केवल बहिष्कार करेंगे, बल्कि पुरस्कारों के योग्य भी नहीं समझेंगे। फिल्म में मुख्य भूमिका निभा चुके अभिनेता अनुपम खेर ने भी संयत शब्दों में अपना रोष प्रकट कर दिया। उन्होंने कहा कि ‘आप कैसे ‘द कश्मीर फाइल्स’ को बेस्ट डायरेक्शन, बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड नहीं दे सकते हैं।’ उनका इशारा ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर राष्ट्रीय जन समर्थन को लेकर था।
अनुपम खेर का मंतव्य था कि जिस फिल्म ने राष्ट्र को झकझोर दिया हो, उसे आप कैसे उपेक्षित कर सकते हैं। आश्चर्य है कि फिल्म फेयर पर हुई इस मनमानी की आलोचना किसी मीडिया समूह ने नहीं की। इसी मीडिया ने इस वर्ष राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा के समय बहुत बवाल खड़ा कर दिया था। ये तो वे भी जानते हैं कि इस साल प्रदर्शित फिल्मों में से योग्य फिल्मों को अगले वर्ष पुरस्कार दिए जाते हैं, उन्हें प्रदर्शित होने वाले वर्ष में पुरस्कार नहीं दिया जाता।
मीडिया के एक धड़े ने ये बात फैलाई कि 2022 के पुरस्कारों में ‘द कश्मीर फाइल्स’ को योग्य नहीं समझा गया है, जबकि इस फिल्म पर पुरस्कारों का निर्णय अगले वर्ष होना है। पुरस्कार न मिलने से विवेक अग्निहोत्री, अनुपम खेर ने कोई निराशा नहीं जताई है लेकिन अपनी सधी प्रतिक्रिया अवश्य दी है। अगले वर्ष जब राष्ट्रीय पुरस्कारों की घोषणा होगी तो सबसे अधिक श्रेणियों में ‘द कश्मीर फाइल्स’ का ही नामांकन होगा।