अबकी चुनाव नहीं जीतेगा , चाहे जितनी पूंछ हिला ले ;
तेरे कारण दल भी हारे , तृप्तिकरण जितना भी कर ले ।
जितना अन्याय किया है तूने , वो खुद में इतिहास है ;
शिव-परिवार के मंदिर तोड़े , धर्म का कितना उपहास है ?
आखिर कौन सी गोट फंसी है? क्यों गुंडों से इतना डरता ?
गुंडे तेरे सर पर कूदें , फिर भी तू चुपचाप ही रहता ।
अपराध- मुक्त भारत को करके , जंगलराज हटाना है ;
कानून का शासन सर्वोत्तम है , भ्रष्टाचार मिटाना है ।
चरित्रवान और निर्भय – नेता , केवल उससे ही ये होना ;
सत्ता-लोलुप बिल्कुल न हो, ईनाम का लालच भी न होना ।
प्राइज देने का एजेंडा , मजहब वालों का पुराना है ;
अब्बासी – हिंदू को फांस कर , उल्लू सीधा करना है ।
जागो हिंदू ! तन्द्रा त्यागो , पूरी तरह होश में आओ ;
धर्म , राष्ट्र व देश बचाने , एक साथ सारे आ जाओ ।
अपने अज्ञान को दूर करो, अपने सच्चे इतिहास को जानो ;
हिन्दू ! धर्म – सनातन जानो , अपना भला बुरा पहचानो ।
अब्बासी-हिंदू को पहचानो, कोरी लफ्फाजी में मत आओ ;
जो हरदम नौटंकी करता , उसके नाटक में मत जाओ ।
उसकी सारी बातें सुनकर , सच्चाई पर उन्हें परखना ;
धर्म – सनातन है वो कसौटी, जिस पर उसको पूरा कसना ।
तब ही हिंदू जान सकेगा , अब्बासी-हिंदू का एजेंडा ;
हिन्दू-धर्म का पक्का-दुश्मन , अपनी पीठ पे ढ़ोता गुंडा ।
हिंदू को शांति से रहना है , अपना धर्म बचाना है ;
एकमात्र बस यही मार्ग है , हिंदू – राष्ट्र बनाना है ।
हिंदू – राष्ट्र उसे ही समझो , जहां धर्म से न्याय का शासन ;
जस का तस कानून हो लागू , गुंडों पर पूरा अनुशासन ।
राजदंड मजबूत जहाँ हो , कोई अपराधी नहीं बचेगा ;
सबके लिये एक हो शासन , पक्षपात बिल्कुल न होगा ।
सरकारी – अब्बासी हिंदू , सजा किये की पायेगा ;
वामी , कामी , जिम्मी , सेक्युलर , जेहादी मिट जायेगा ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”