चाहे जितना मेकअप करवाओ , बार-बार कपड़े बदलो ;
रंग-बिरंगी पगड़ी पहनो, फोटो-सेशन भी खूब करा लो ।
देश नहीं टोकेगा तुझको , पर देश का भी कुछ काम करो ;
पहला काम तुझे ये करना , तृप्तीकरण को बंद करो ।
पूरा अल्पसंख्यकवाद मिटा दो , देश तोड़ना बंद करो ;
जातिवाद क्यों बढ़ा रहे हो ? सारे आरक्षण बंद करो ।
सारी मानव- जाति एक है , सबको अधिकार बराबर दो ;
जो भी निर्धन और अपाहिज , केवल उनको संरक्षण दो ।
वोट – बैंक का खेल बंद हो , सारा भय – लालच छोड़ो ;
सत्ता – लिप्सा पूर्णतः त्यागो , षड्यंत्रों को करना छोड़ो ।
“चौथेपन” में पहुँच रहे हो, अब तो “धर्म-कर्म” कर लो ;
पूजा की नौटंकी छोड़ो , सच्चे – मन से पूजा कर लो ।
सारे अवैध-निर्माण को तोड़ो , कोई मजहब मत छोड़ो ;
कितने मंदिर गिरा चुके हो ? मस्जिद, कब्र, चर्च भी तोड़ो ।
धर्म व मजहब एक सा देखो , तू पूरे देश का नेता है ;
फिर भी मंदिर लूट- लूट कर , क्यों जजिया में देता है ?
मंदिर की सारी लूट बंद कर , उनको हिंदू को वापस कर ;
सर्वश्रेष्ठ है धर्म – सनातन , उसका गौरव पुनर्स्थापित कर ।
पक्षपात बिलकुल मत करना , झूठ बोलना बंद करो ;
सत्यनिष्ठ होकर विकास कर , हिंदू – दमन को बंद करो ।
घटिया कानूनों को फौरन बदलो,कानून का शासन लागू कर
जस का तस कानून हो लागू , भेदभाव बिल्कुल मत कर ।
तुझको कुर्सी बहुत है प्यारी , तो फिर अच्छे काम करो ;
अब तक तो नौटंकी की है , अब लफ्फाजी बंद करो ।
तूने हिंदू को मूर्ख बनाकर , अब तक सत्ता हथियायी है ;
धन्यवाद है सोशल – मीडिया , हिंदू में जागृति आयी है ।
अब जब हिंदू जाग गया है , तुझे सुधरना ही होगा ;
जो कुछ छीना है हिंदू से , उसको सब लौटाना होगा ।
अवैध रूप से मंदिर तोड़े , उन सबको बनवाना होगा ;
झूठे इतिहास को संशोधित कर,सच्चा इतिहास पढ़ाना होगा
सभी तरह के जजिया रोको , तुष्टीकरण मिटाना होगा ;
हिंदू का सम्मान हो वापस , वरना सत्ता से जाना होगा ।
याद रखो ये जो सत्ता है , उसको जनता ही देती है ;
बड़े-बड़े सूरमा धूल चाटते , किसी की नहीं बपौती है ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”,रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”