अर्चना कुमारी। कथित तौर पर मुस्लिम तुष्टिकरण में जुटी केंद्र सरकार का यह दबाव है फिर दिल्ली पुलिस की लचर जांच का तरीका जिसमें हिंदुओं को तो सजा हो रही है लेकिन मुस्लिम आरोपी एक-एक कर रिहा होते जा चले जा रहे हैं। साकेत अदालत ने जामिया हिंसा को लेकर भारत के टुकड़े टुकड़े करने के ख्वाब पालने वाले सरजील जामिया समेत आसिफ इकबाल तन्हा , सफूरा जरगर, मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा खान, मोहम्मद अबुजर, मोहम्मद शोएब, उमैर अहमद, बिलाल नदीम, चंदा यादव को बरी किए जाने का आदेश सुनाया जबकि सिर्फ एक आरोपी मोहम्मद इलियास के खिलाफ आरोप तय किया इससे पहले दिलबर नेगी की हत्या के आरोपी मुस्लिमों को जमानत दे दी गई थी।
दिल्ली दंगे में दिलबर की हत्या के दौरान मुस्लिम लोगों की भीड़ ने एक मिठाई की दुकान में तोड़फोड़ की और उसमें आग लगा दी। जिसके बाद जलने और चोट लगने से 22 साल के लड़के दिलबर नेगी की मौत हो गई थी। दंगे के शांत होने के बाद निर्ममता पूर्वक मारे गए दिलबर नेगी की लाश बरामद की गई और इस मामले को लेकर पुलिस कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया लेकिन कोर्ट में पुलिस उन आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत नहीं जुटा पाई, जिसके बाद हाई कोर्ट ने इस मामले में मोहम्मद ताहिर, शाहरुख, मो. फैजल, मो. शोएब, राशिद और परवेज को जमानत पर रिहा कर दिया । दिल्ली पुलिस की लचर जांच का नमूना मुस्लिम आरोपियों के खिलाफ तो दिख रही है , जिसके चलते एक-एक कर आरोपी रिहा होते चले जा रहे हैं जबकि पुलिस ने हिंदुओं के खिलाफ ठोस आरोप पत्र तैयार किया है और सबूत भी जुटाए हैं, जिसके बाद दिल्ली दंग के लेकर पहली सजा एक हिंदू दिनेश यादव को हुई ।
हिंदू विरोधी दंगों में उनकी पहली सजा देखी गई। एक हिंदू पुरुष, दिनेश यादव, को एक मुस्लिम महिला, मजोरी के घर को जलाने का दोषी पाया गया और 5 साल की जेल की सजा सुनाई गई। बताया जाता है कि अदालत ने आरोपी दिनेश यादव को अवैध रूप से इकट्ठा होने, दंगा करने, आगजनी करने, डकैती और घर में घुसने के आरोप में दोषी बताया। गोकलपुरी थाना पुलिस ने चार्जशीट में बताया कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा के दौरान 25 फरवरी की रात मनोरी नाम की एक 73 वर्षीय महिला के घर दंगाइयों की भीड़ घुस गई थी और कथित तौर पर हिंदू लोगों की भीड़ ने जमकर उत्पात मचाया था। आरोपी दिनेश यादव भी दंगाइयों और आगजनी करने वाली भीड़ का एक सक्रिय सदस्य था ।
पुलिस ने इस आरोपी दिनेश यादव को सजा दिलाने के लिए खूब मेहनत की और आरोपी यादव को 8 जून 2020 को गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस ने इस हिंदू को सजा दिलाने के लिए आईपीसी की धारा 143, 147, 148, 149, 457, 392 और 436 के तहत केस दर्ज किया था और बाद में कोर्ट में इसके खिलाफ ठोस आरोप दाखिल किया ,जिसके आधार पर उसे दोषी माना गया। ऐसा नहीं है कि सिर्फ मुस्लिम आरोपियों को ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए जाने के चलते संदेह का लाभ देते हुए रिहा किया जा रहा है जबकि कुछ हिंदुओं को भी रिहा किया गया है लेकिन मुस्लिम आरोपियों के मुकाबले इनकी संख्या बेहद कम है।
दिल्ली दंगों को लेकर अदालत ने ज्योति नगर इलाके में अंबेडकर कालेज के पीछे पार्किंग में आग लगाने के मामले में आमिर, सद्दाम, रईस, आमिर, अकरम और वसीम को बरी कर दिया था। दिल्ली की एक अदालत ने हिंदू विरोधी दंगों के संबंध में सभी आरोपों से एक नूर मोहम्मद उर्फ नूरा को यह कहते हुए बरी कर दिया कि उसे दोषी ठहराने के लिए रिकॉर्ड पर कोई ठोस और विश्वसनीय सबूत नहीं था। इस संबंध में खजूरी खास पुलिस थाने में प्राथमिकी (129/2020) दर्ज की गई थी।इसके अलावा कुछ अन्य आरोपी विभिन्न मामलों में रिहा किए गए हैं।
गौरतलब है कि दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध-प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा भड़क गई थी और 53 लोग मारे गए थे। दिल्ली हिंसा को लेकर पुलिस ने 750 से अधिक मामले दर्ज किए गए और इस मामले को लेकर विभिन्न अदालतों में सुनवाई चल रही है