अर्चना कुमारी । दुनिया जानती है कि दिल्ली में किस तरह सुनियोजित तरीके से हिंदुओं के विरुद्ध दंगा के बहाने अघोषित युद्ध छेड़ा गया था। सीएए /एनआरसी के विरोध में पहले सड़क पर उतर कर सरकार को आंख दिखाने के बहाने हिंदुओं को उनकी औकात बताने की कोशिश की गई। फिर हिंदुओं को टारगेट करते हुए उन को घर से निकाल कर मारा- काटा गया।
रतनलाल, अंकित शर्मा तथा दिलबर नेगी समेत कई ऐसे हिंदू हैं जो शहीद हो गए लेकिन तथाकथित मुस्लिम मानसिकता से प्रेरित गजवा ए हिंद के हिमायती कथित सेकुलर लोग दिल्ली दंगे को कई बार मुस्लिम विरोधी बताने से नहीं चूकते जबकि मामले की सुनवाई करने वाली कोर्ट के द्वारा कई बार यह टिप्पणी की जा चुकी है कि दिल्ली दंगा हिंदू विरोधी था और हिंदुओं को जानबूझकर टारगेट किया गया था । सुनियोजित साजिश के तहत दंगे के दौरान हिंदुओं को चुन चुन कर मारा गया तथा उनकी धन संपत्ति को लूटा गया।
जहां पर धन-संपत्ति नहीं लूट पाए वहां पर आगजनी करके दंगाई लाखों का माल स्वाहा कर दिया। दिल्ली दंगा के दौरान दो हत्या के प्रयास के मामले में कड़कड़डूमा अदालत के जज की टिप्पणी तो यही दर्शाती है कि सभी आरोपी हिंदुओं को निशाना बनाने में लिप्त थे और उनके कृत्य परोक्ष तौर पर मुसलमानों और हिंदुओं के बीच सौहार्द के लिए प्रतिकूल थे।
इस बारे में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने साफ कहा है कि दोनों घटनाओं में मौजूद साक्ष्य और गवाहों ने जो बयान दिया है, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि यह दंगा हिंदू विरोधी था और हिंदुओं को टारगेट किया गया था। ताहिर हुसैन तथा तनवीर मलिक, गुलफाम, नाज़िम, कासिम और शाह आलम के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश देते हुए अदालत ने कहा है कि , विभिन्न गवाहों के बयानों से यह पता चलता है कि सभी आरोपी उस भीड़ का हिस्सा थे, जो हिंदुओं और हिंदुओं के घरों पर लगातार गोलियां चलाने, पथराव और पेट्रोल बम चलाने में शामिल थी।
विशेष अभियोजक मधुकर पांडे ने भी दलील दी थी कि भीड़ के इन कृत्यों से यह स्पष्ट होता है कि उनका उद्देश्य हिंदुओं को उनके शरीर पर और संपत्ति में अधिकतम संभव सीमा तक नुकसान पहुंचाना था । अदालत ने यह भी कहा,सभी आरोपियों के खिलाफ दंगा करने और हिंदुओं की हत्या और हिंदुओं की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की आपराधिक साजिश रचने को लेकर मुकदमा चलाने का मामला बनता है।