हम भले हार जाएं,
कोई बात नहीं!
हिंदू कम से कम लड़ता हुआ दिखना चाहिए!
कोई विशुद्ध सनातनी पार्टी अब आकार ले,
यूं कट-कट के मरना हमें स्वीकार नहीं!
क्या पता था हिंदुत्व की आड़ में तुम,
हिंदुओं को ही मिटाने पर तुल से गये!
गांधीवादी समाजवाद के बाद ‘तृप्तीकरण’ के खेल में तुम,
अब बहुत आगे निकल ही गये!