हिरणकश्यप बन चुका है पूरा , खुद को ईश्वर बता रहा है ;
धर्म-सनातन तोड़ रहा है , अपना मजहब बना रहा है ।
अजैविक-पुरुष कहता है खुद को , अपनी मर्जी चला रहा है ;
शैतानी-साम्राज्य है इसका , राक्षस-नगरी बसा रहा है ।
चरित्रवान लोगों से डरता , चरित्रहीनता बढ़ा रहा है ;
पूरी तरह अंधेरा कायम , चौपट – राजा बुला रहा है ।
पूरी-दुनिया में घूम-घूम कर , नाक देश की कटा रहा है ;
पुरस्कार की गंदी-रिश्वत , सम्मान देश का मिटा रहा है ।
धर्म का दुश्मन , देश का दुश्मन , मानवता का दुश्मन है ;
अब्बासी-हिंदू भारत का नेता , पूरा-गंदा तन-मन-धन है ।
सारी दुनिया के पाप हैं इसमें , देश की धरती डोल रही है ;
पर महामूर्ख जो भी जनता है, अब भी जय-जय बोल रही है ।
धर्महीन – अज्ञानी हिंदू ! पूरी तरह से भटका है ;
अब्बासी-हिंदू के लटके-झटके , महामूर्ख-हिंदू अटका है ।
तिलक-त्रिपुंड में फंस जाता है , अपने-मंदिर तुड़वाता है ;
राम-मंदिर तक भ्रष्ट हो चुका , म्लेच्छों को घुसवाता है ।
जहाॅं – जहाॅं हिंदू – मंदिर हैं , गौ-भक्षक क्यों घुसते हैं ?
पावनता मंदिर की मिटाते , इसीलिये ये सब घुसते हैं ।
अब्बासी – हिंदू घुसा रहा है , एजेण्डा अपना चला रहा है ;
हिंदू-धर्म मिटा देने को , अब्राहमिकों को बढ़ा रहा है ।
भविष्य-मालिका भविष्य का दर्शन,सच होती जाती सब बातें ;
लगता हिंदू ! न संभलेगा , चाहे जितनी भी मारो लातें ।
लगता होनी बहुत प्रबल है, हिंदू ! कभी नहीं संभलेगा ;
भारत को पापमुक्त करने को, “कल्कि” को ही आना होगा ।
मारकाट होनी है भयंकर , धरती ! रक्त में डूबेगी ;
एकमुश्त सब मिटेंगे पापी , तब ही मानवता पनपेगी ।
हिरणकश्यप जब भी आता है , पाप बहुत बढ़ जाते हैं ;
“नृसिंह” भगवान को आना पड़ता , खम्भा फाड़के आते हैं ।
सारे-लक्षण दिख रहे इसीके , अब्बासी – हिंदू न सुधरेगा ;
नाटक , नौटंकी , जुमलेबाजी , लफ्फाजी ही बोलेगा ।
जागो हिंदू ! अब तो जागो , महाविनाश से बच जाओ ;
अपनी-दुर्बुद्धि शुद्ध करो, अब तो अच्छी-सरकार बनाओ ।
यदि अच्छी-सरकार बन गई व चरित्रवान-नेता आया ;
तब महाविनाश ये टल सकता है,यदि हिंदू!धर्ममार्ग पर आया।
धर्म-मार्ग है धर्म-सनातन , सबको इसमें आना होगा ;
दुष्टों को सत्ता से विहीन कर,अच्छी-सरकार बनाना होगा ।