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India Speak Daily > Blog > Blog > व्यक्तित्व विकास > प्रेरक व्यक्तित्व > भारतीय इतिहास पुनर्लेखन का आन्दोलन खड़ा करने वाले इतिहास पुरुष ‘हमारे ठाकुर रामसिंह जी’
इतिहासप्रेरक व्यक्तित्व

भारतीय इतिहास पुनर्लेखन का आन्दोलन खड़ा करने वाले इतिहास पुरुष ‘हमारे ठाकुर रामसिंह जी’

Dr. Mahender Thakur
Last updated: 2023/01/23 at 4:26 PM
By Dr. Mahender Thakur 212 Views 11 Min Read
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यह आलेख एक ऐसे इतिहास पुरुष के बारे में लिख रहा हूँ, जिनके बारे में युवा वर्ग कदाचित ही जानता होगा भले ही उनके नाम पर विकिपीडिया पेज बना हुआ है। यह लेख समर्पित है उस साहसी धर्मयोद्धा को जो भारत विभाजन के समय विस्थापित हिन्दुओं की सेवा और रक्षा के लिए बनी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की टोलियों में अग्रणी नायक थे। यह लेख ऐसे अनुशासित ध्येय साधक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रारंभिक प्रचारकों में से एक संघ प्रचारक को विनम्र श्रद्धांजलि है जिनके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वर्तमान सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत कहते हैं,”अनुशासित जीवन और कर्म साधना के तपस्या बल से ही ठाकुर जी को न तो किसी की सहायता की आवश्यकता थी और न ही वह किसी की सहायता लेना पसंद करते थे। एक बार ठाकुर जी के साथ हम सभी सीढियाँ चढ़ रहे थे। एक कार्यकर्ता ने ठाकुर साहब को सहारा देने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया। ठाकुर साहब ने उस कार्यकर्ता का हाथ इतने जोर से झटका कि वह कार्यकर्ता घबरा गया। फिर ऐसी दृष्टि से उस कार्यकर्ता को देखा कि वह सकुचा गया। बाद में मैंने उस कार्यकर्ता को कहा भाई जब हम इस उम्र में होंगे तो यह सहायता की जरूरत मुझे और आपको हो सकती है, मगर ठाकुर जी को नहीं। हमें और आप सबको उनके जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत है।“

दुनिया को प्रेरणा देने वाले संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक जो अपने संगठन के मार्गदर्शक माने जाते हैं, यदि किसी व्यक्ति से प्रेरणा लेने की बात करते हैं तो निःसंदेह वह व्यक्ति समान्य व्यक्ति नहीं हो सकता, प्रत्युत कोई महापुरुष ही होगा, ऐसा लिखने में कोई अतिश्योक्ति नहीं है। ऐसे महापुरुष जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन देश और धर्म के लिए होम कर दिया, का नाम है ‘ठाकुर राम सिंह जी’।


स्वर्गीय ठाकुर राम सिंह जी का जन्म 16 फरवरी 1915 को हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिला के झंडवी गाँव के एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री भाग सिंह और माता का नाम श्रीमती नियातु देवी था। ठाकुर जी बाल्यकाल से ही कुशाग्र बुद्धि के स्वामी थे और दृढ संकल्पित थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा हमीरपुर जिला में ही हुई थी। उसके बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए ठाकुर जी लाहौर चले गये। लाहौर के प्रसिद्ध एफ.सी. कालेज में ठाकुर जी ने एम.ए. इतिहास में प्रथम स्थान प्राप्त कर गोल्ड मेडल प्राप्त किया।

सन 1941- 42 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश के युवाओं में जिस राष्ट्र भक्ति का बीजारोपण कर रहा था, उससे ठाकुर राम सिंह भी अछूते न रहे और वह संघ के स्वयंसेवक बने। उन्हें सर्वप्रथम हिमाचल के कांगड़ा के जिला प्रचारक बनाया गया। सन 1949 में उन्हें प्रांत प्रचारक के नाते पूर्वोत्तर भारत में असम भेजा गया। आज पूर्वोत्तर भारत जो भारत की मुख्यधारा में दिखता है उसमें ठाकुर राम सिंह जैसे संघ के प्रचारक का रक्त और पसीना भी लगा है। वे सन् 1949 से 1971 तक पूरे 22 वर्ष वे असम प्रांत में रहे। सन् 1972 में वे पुनः पंजाब प्रान्त में सह प्रांत प्रचारक के दायित्व पर आए। 1972 से लेकर 1988 तक पंजाब प्रांत के प्रचारक, सह क्षेत्र प्रचारक, क्षेत्र प्रचारक और अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल के सदस्य के रूप में संगठन कार्य को ऊर्जा देते रहे।

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सन 1988 में बाबासाहब आप्टे स्मारक समिति के अन्तर्गत विस्मृत और विकृत इतिहास की खोज में जुटे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक मोरोपन्त पिंगले जी ने इतिहास पुनर्लेखन जैसे कठिन कार्य का भार ठाकुर राम सिंह को सौंपा। सन् 1988 में इतिहास पुनर्लेखन का काम मिलने पर ठाकुर राम सिंह ने इतिहास लेखन के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने पर विशेष बल दिया। उनके भगीरथी प्रयासों से देश के अनेक राज्यों में जिला और खण्ड स्तर तक अनेक समितियां बनाई गईं। ठाकुर जी देश के कोने-कोने तक पहुंचे और इतिहास पुनर्लेखन के कार्य को गति दी। उनके अनथक प्रयासों के परिणामस्वरूप इस कार्य ने धीरे-धीरे अखिल भारतीय स्वरूप ले लिया। उन्होंने विभिन्न प्रकार के प्रकल्प भी हाथ में लिये।

सन् 1992 में आन्ध्र प्रदेश के वारंगल में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन में ठाकुर राम सिंह को सर्वसम्मति से इतिहास संकलन योजना का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया और उनका केन्द्र दिल्ली निश्चित हुआ। ठाकुर राम सिंह जी भारत के गौरवशाली इतिहास के प्रति व्यापक और सूक्ष्म दृष्टिकोण रखते थे। उनकी मान्यता थी कि किसी भी राष्ट्र के निर्माण और उज्ज्वल भविष्य के उदय के लिए उस राष्ट्र के इतिहास का विशेष योगदान रहता है। ठाकुर राम सिंह जी भारतीय इतिहास और कालक्रम के प्रमाणों को भली-भांति जानते और समझते थे। उन्होंने जीवनभर पाश्चात्य ईसाईयों, मुस्लिम दरबारियों, वामपंथी तथाकथित इतिहासकारों और छद्म सेक्युलर इतिहासकारों द्वारा खड़े किये मिथकों का पर्दाफ़ाश किया। ठाकुर राम सिंह जी इस बात पर बल देते थे कि काल इतिहास की आत्मा है। उनका मत था कि भारत ही ऐसा राष्ट्र है जहाँ प्रकृति का इतिहास और मानव का इतिहास काल के खण्डों में विद्यमान है।
ठाकुर राम सिंह जी के ऐसे विचारों और संकल्प के परिणामस्वरूप ही हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिला में ठाकुर जगदेव चंद स्मृति शोध संस्थान की नींव पड़ी थी। यह शोध संस्थान आज व्यापक रूप से शोध कार्य में जुटा हुआ है।

सुप्रसिद्ध लेखक श्री अरुण आंनद जी की बेस्टसेलर पुस्तक ‘दी फॉरगॉटन हिस्ट्री ऑफ़ इंडिया’ में ठाकुर रांम सिंह जी पर एक प्रामाणिक और विस्तृत अध्याय दिया गया है। ठाकुर राम सिंह के नेतृत्व में अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना द्वारा शुरू की गई पहली प्रमुख बहस थी कि भारत को कालगणना के लिए पश्चिमी कालक्रम ‘बीसी (BC) और एडी (AD)’ की रूपरेखा का पालन नहीं करना चाहिए। भारत का इतिहास बहुत पुराना है और भारत को अपना स्वयं का समय अथवा कालगणना का तंत्र तैयार करना चाहिए। इसी तरह ठाकुर जी के मार्गदर्शन में अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना ने वामपंथी और पश्चिमी इतिहासकारों को को चुनौती देने वाली कई ऐसी परियोजनाएं भारतीय इतिहास की रूपरेखा के अनुसार शुरू की थी। जिनमें से उदाहरण के लिए कुछ नाम इस प्रकार हैं: पुराणों के अनुसार इतिहास, आर्य आक्रमण सिद्धांत को खारिज करना और उसका पटाक्षेप, हिंदू कैलेंडर और उसके वैश्विक विस्तार के पीछे का विज्ञान, भारत के तीर्थ स्थलों का इतिहास, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का साक्ष्य आधारित इतिहास, वैदिक सरस्वती नदी, वनवासी इतिहास का दस्तावेजीकरण, आदि।

इतिहास संकलन के कार्य के प्रति ठाकुर राम सिंह जी की निष्ठा और प्रतिबद्धता ऐसी थी कि 95 वर्ष की उम्र में भी उन्होंने कुछ और नये कार्य करने के लिए अगले पांच वर्षों की योजना बनाई थी। उनके सम्पर्क में आने वाले अधिकाँश लोगों और उनके सहयोगियों द्वारा याद किया जाने वाला उनका प्रसिद्ध वाक्य था, “हमें पहले 50 वर्षों तक काले बालों के साथ भारत माता की सेवा करनी है और फिर अगले 50 वर्षों तक सफेद बालों के साथ।” इसी ध्येय के साथ ठाकुर जी अपने जीवन के अंतिम क्षण तक भारत माता की सेवा में लगे रहे।

इंडिया स्पीक्स डेली पर स्वर्गीय चेतराम को समर्पित मेरा एक लेख है जिसे 81 हजार से अधिक लोग पढ़ चुके हैं। हिमाचल प्रदेश में इतिहास संकलन का कार्य ठाकुर जी ने उन्ही ध्येय साधक चेतराम जी को सौंपा था। उन दोनों का संबध अत्यंत प्रघाड़ था। ठाकुर राम सिंह के भारत माता की सेवा के संकल्प और प्रतिबद्धता का अप्रतिम उदाहरण है कि 94 वर्ष की आयु में भी लेह-लद्दाख की प्रवास यात्रा करके आये। ‘थकान’ शब्द उनकी डिक्शनरी में नहीं था।
वर्ष 2002 में ठाकुर जी इतिहास संकलन की योजना से मुक्त हो गए। लेकिन उत्तर भारत में इतिहास को लेकर कोई शोध संस्थान हो, इसके वे काम करने लग गए। उनके इस प्रयास का फल बना हमीरपुर का ठाकुर जगदेव चंद स्मृति शोध संस्थान।

मैंने अपने प्रशिक्षण वर्ग में बोलते हुए सुना है, भारत के गौरवशाली इतिहास पर जब वे बोलते थे तो प्रतीत होता था कि स्वयं इतिहास समक्ष खड़ा हो। उनकी टांग में समस्या थी फिर वे 1 घंटे से अधिक समय तक खड़े होकर बोलते थे। कोई उन्हें उठने बैठने में सहारा दे यह उन्हें बिलकुल पसंद नही था।

भारत माता की सेवा में अपने जीवन का क्षण-क्षण समर्पित करने वाले ठाकुर राम सिंह जी 6 सितंबर 2010 को सायं 5 बजकर 25 मिनट पर अपनी मानवीय देह को त्यागकर भारत माता के श्री चरणों में दिव्य पुष्प की भांति विलीन हो गए। आज उनका मनुष्य दैहिक रूप हमारे मध्य नहीं है लेकिन उनका आदर्श जीवन सदैव हमारा पथ प्रदर्शन करता रहेगा। विदेशी कालगणना का उपयोग उन्हें पसंद नही था, भारतीय कालगणना के अनुसार उनकी पुण्यतिथि कुछ दिन पहले जा चुकी है, तब मुझे तिथि का पता नही चला। इसलिए सिमोलन्घन और दृष्टता करते हुए आज 6 सितंबर 2022 को विदेशी दिनांक अनुसार ठाकुर जी की पुण्यतिथि है, उनको विनम्र श्रधांजली देते हुए उनके जीवन का संक्षिप्त इतिहास संकलन करने का मेरा गिलहरी प्रयास….।

सन्दर्भ

1. इतिहास दिवाकर पत्रिका

2. ‘दी फॉरगॉटन हिस्ट्री ऑफ़ इंडिया‘ पुस्तक

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TAGGED: ABISY, Akhil Bhartiya Itihas Sankaln Yojna, Dr. Mahender Thakur, Itihas Sankaln Yojna, Neri Sodh Sansthan, RSS, RSS Pracharak, Thakur Ram Singh, ठाकुर राम सिंह
Dr. Mahender Thakur September 6, 2022
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Posted by Dr. Mahender Thakur
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The author is a Himachal Based Educator, columnist, and social activist. Twitter @Mahender_Chem Email mahenderchem44@gmail.com
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