
लोहड़ी का इतिहास और वीर दुल्ला भट्टी
लोहड़ी का पर्व एक राजपूत योद्धा दुल्ला भट्टी कि याद में पुरे पंजाब और उत्तर भारत में मनाया जाता है। भट्टी कबीला राजपूतों की एक प्रसिद्ध शाखा है। लोहड़ी की शुरुआत के बारे में मान्यता है कि यह वीर दुल्ला भट्टी द्वारा गरीब कन्याओं सुन्दरी और मुंदरी की शादी करवाने के कारण शुरू हुआ है।
दरअसल दुल्ला भट्टी का परिवार प्रारंभ से ही मुगलों का विरोधी था। वे मुगलों को लगान नहीं देते थे। इसी कारण मुगल बादशाह हुमायूं ने दुल्ला के दादा सांदल भट्टी और पिता का वध करवा दिया। बाप और दादा की मौत के 4 महीने बाद सन 1547 में दुल्ला भट्टी का जन्म हुआ था।
ISD 4:1 के अनुपात से चलता है। हम समय, शोध, संसाधन, और श्रम (S4) से आपके लिए गुणवत्तापूर्ण कंटेंट लाते हैं। आप अखबार, DTH, OTT की तरह Subscription Pay (S1) कर उस कंटेंट का मूल्य चुकाते हैं। इससे दबाव रहित और निष्पक्ष पत्रकारिता आपको मिलती है। यदि समर्थ हैं तो Subscription अवश्य भरें। धन्यवाद।
बड़ा होने पर दुल्ला भी मुगलों से संघर्ष करता रहा। मुगलों की नजर में वह डाकू था लेकिन वह गरीबों का हितेषी था। मुगल सरदार आम जनता पर अत्याचार करते थे और दुल्ला आम जनता को अत्याचार से बचाता था। तब तक अकबर का शासन आ चुका था और पंजाब में स्थान स्थान पर हिन्दू लड़कियों को बल पूर्वक मुस्लिम अमीर लोगों को बेचा जाता था। दुल्ला भट्टी ने एक योजना के तहत लड़कियों को न सिर्फ मुक्त करवाया बल्कि उनकी शादी भी हिन्दू लडको से करवाई और उनकी शादी कि सभी व्यवस्था भी करवाई।
उसी क्षेत्र में सुंदर नामक एक गरीब जन्मना ब्रहामण किसान भी मुगल सरदारों के अत्याचार से त्रस्त था। उसकी दो पुत्रियाँ थी सुन्दरी और मुंदरी। गाँव का नम्बरदार इन लडकियों पर आँख रखे हुए था और सुंदर को मजबूर कर रहा था कि वह इनकी शादी उसके साथ कर दे.
सुंदर ने अपनी समस्या दुल्ला भट्टी को बताई. दुल्ला भट्टी ने इन लडकियों को अपनी पुत्री मानते हुए नम्बरदार को गाँव में जाकर ललकारा. उसके खेत जला दिए और लडकियों की शादी वहीं कर दी जहाँ वो चाहती थी. दुल्ले ने खुद ही उन दोनों का कन्यादान किया। कहते हैं दुल्ले ने शगुन के रूप में उनको शक्कर दी थी।
इस घटना को पंजाबियों (तब के पंजाब क्षेत्र के रहने वाले हिन्दुओं) ने अपनी विजय के रूप में देखा और हर वर्ष इसे लोहड़ी त्यौहार के रूप में मकर सक्रांति की पूर्वसंध्या पर दुल्ले की वीरता और खुशी के गीत गा मनाया जाने लगा। यह परंपरा आज तक चली आ रही है।
हिन्दू विवाह के समय हवन यज्ञ किया जाता है तथा अग्नि के चारों और परिक्रमा कर फेरे लिए जाते हैं। इसी लिए लोहड़ी के अवसर पर अग्नि प्रज्वलित की जाती है जो हवन यज्ञ का प्रतीक है तथा उसकी परिक्रमा की जाती है। तिल और गुड़ से बनी मिठाई बांटी जाती है।
*तिल + रोहड़ी(गुड़) = तिलोहड़ी (बाद में इसे ही लोहड़ी कहा जाने लगा)
दुल्ला भट्टी को सन 1599 में मुगलों द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। जल्दबाजी में ही उसे लोगों की एक भीड़ के सामने लाहौर शहर में फांसी पर लटका दिया गया। पंजाब की लोककथाओं के इस नायक दुल्ला भट्टी का मृतकशरीर लाहौर के मियानी साहिब कब्रिस्तान में दफन है।
लोहड़ी के शुभ अवसर पर वीर दुल्ला भट्टी को शत् शत् नमन।
साभार: अज्ञात लेखक
ज्ञान अनमोल हैं, परंतु उसे आप तक पहुंचाने में लगने वाले समय, शोध, संसाधन और श्रम (S4) का मू्ल्य है। आप मात्र 100₹/माह Subscription Fee देकर इस ज्ञान-यज्ञ में भागीदार बन सकते हैं! धन्यवाद!
Select Subscription Plan
OR Use Paypal below:
Select Subscription Plan
OR
Make One-time Subscription Payment

Bank Details:
KAPOT MEDIA NETWORK LLP
HDFC Current A/C- 07082000002469 & IFSC: HDFC0000708
Branch: GR.FL, DCM Building 16, Barakhamba Road, New Delhi- 110001
SWIFT CODE (BIC) : HDFCINBB
Paytm/UPI/Google Pay/ पे / Pay Zap/AmazonPay के लिए - 9312665127
WhatsApp के लिए मोबाइल नं- 8826291284