रणवीर सेना, बिहार के भूमिहार ब्राह्मण जाति का प्राइवेट आर्मी, जिसका मुख्य उदेश्य बड़े जमींदारों की जमीनों की रक्षा करना था। जब बिहार में सवर्ण जातियों की बहन बेटियों की इज्जत के साथ खिलवाड़ हो रहा था, जमीन पर लाल झंडा गाड़ कर लाल सलाम ठोका जाता था, जनेऊ पहनना मुश्किल हो गया था, तब बना था भूमिहार ब्राह्मणों का प्राइवेट आर्मी रणवीर सेना! रणवीर सेना की स्थापना 1995 में मध्य बिहार के भोजपुर जिले के गांव बेलाऊर में हुई थी, इसकी स्थापना के पीछे की प्रमुख वजह बिहार के सवर्ण किसानों का भाकपा माले नामक नक्सली संगठन से त्रस्त होना था!
बेलाऊर के मध्य विद्यालय प्रांगण में एक बड़ी किसान रैली कर रणवीर सेना के गठन का ऐलान किया गया, तब खोपिरा के पूर्व मुखिया ब्रह्मेश्वर सिंह सहित कई लोगों ने प्रमुख भूमिका निभाई थी, इन लोगों ने गांव-गांव जाकर किसानों को माले के अत्याचारों के खिलाफ उठ खड़े होने के लिए प्रेरित किया, आरंभ में इनके साथ लाईसेंसी हथियार वाले लोग हीं जुटे, फिर अवैध अत्याधुनिक हथियारों का जखीरा भी जमा होने लगा, भोजपुर में वैसे किसान आगे थे जो नक्सलियों की आर्थिक नाकेबंदी झेल रहे थे!
90 के दशक में हालात बुरे हो गए थे, नरसंहारों का दौर शुरू हो गया था, सवर्ण बिहार छोड़कर जाने लगे थे, नरसंहार के बाद कई लोग इतनी हिम्मत भी नहीं जुटा पाते थे कि वह अपने परिजनों के अंतिम संस्कार में जाएं! जिस समय रणवीर सेना बना उस वक्त भोजपुर के कई गांवो में भाकपा माले लिबरेशन ने मध्यम और लघु किसानों के खिलाफ आर्थिक नाकेबंदी लगा रखा था, करीब पांच हजार एकड़ जमीन परती पड़ी थी, खेती बारी पर रोक लगा दी गयी थी और मजदूरों को खेतों में काम करने से जबरन रोक दिया जाता था! कई गांवों में फसलें जलायी जा रही थीं और किसानों को शादी-व्याह जैसे समारोह आयोजित करने में दिक्कतें आ रही थी, इन परिस्थितियों ने किसानों को एकजुट होकर प्रतिकार करने के लिए माहौल तैयार किया, रणवीर सेना के गठन की ये जमीनी हकीकत है! 18 मार्च 1999 की रात को नक्सलियों ने जहानाबाद के सेनारी गांव को घेर लिया गया और भूमिहार ब्राह्मण जाति के 34 लोगों की गला रेतकर हत्या कर दी गई, उसके बाद 1999 में शंकरबिघा में 23 और नारायणपुर में 11 दलितों की हत्या कर दी गई,
आरोप रणवीर सेना पर लगा! 30 नवंबर की रात को जहानाबाद के लक्ष्मणपुर बाथे गांव को घेर लिया गया और 61 दलितों की हत्या कर दी गई, इसका आरोप रणवीर सेना पर लगा, इसको अलावा भी कई नरसंघार हुए जिसमें गरीब दलित और गरीब सवर्ण ही मारे गए क्योंकि रणवीर सेना ने ऐलान कर रखा था कि अगर माले, MCC या किसी नक्सलियों ने हमारे एक सवर्ण मारे तो हम उनके 10 लोगों को मारेंगे! रणवीर सेना प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया जी की जून 2012 में हत्या कर दी गई, जानकारों का कहना है कि रणवीर सेना मुकाबला करने में कामयाब रही और नक्सलवाद की कमर तोड़कर रख दी, उसके बाद से बिहार में कभी किसी नक्सलियों ने सर उठाने का कोशिश नहीं किया!