विपुल रेगे। एक तांत्रिक को तंत्र क्रिया करते हुए देखने के बाद उसे और उसकी पत्नी को पेड़ से बांधकर जला दिया गया है। पत्नी मरते-मरते श्राप देकर जाती है कि पूरा गांव श्मशान बन जाएगा। इसके बाद गांव में लोग मरने लगते हैं। गांव में किसी ने एक भयंकर दानवी शक्ति का आव्हान किया है, जिसके कारण सभी लोग संकट में हैं। तेलुगु भाषा में बनी ‘विरुपाक्ष’ एक हॉरर -थ्रिलर है, जिसे दक्षिण भाषी दर्शकों ने बहुत पसंद किया है लेकिन हिन्दी पट्टी में ‘द केरल स्टोरी’ इस मनोरंजक फिल्म पर भारी पड़ रही है।
21 अप्रैल को प्रदर्शित हुई तेलुगु भाषा की ‘विरुपाक्ष’ बॉक्स ऑफिस की विजेता सिद्ध हुई है। मात्र 40 करोड़ के बजट से बनी ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सरपट दौड़ रही है। अब तक फिल्म 80 करोड़ से अधिक कलेक्शन कर चुकी है। छोटे बजट की फ़िल्में बनाने वाले निर्देशक कार्तिक वर्मा डांडु ने हॉरर और थ्रिल का खूबसूरत जाल रचा है, जिसमे दर्शक फंसकर रह जाता है। कहानी अस्सी के दशक में सेट की गई है।
वेंकटा चेलापति अपने घर में तंत्र क्रिया करते हुए मारा जा चुका है और उसके मरने के कुछ समय बाद गांव श्रापित हो जाता है। किसी न किसी बहाने से लोग मरने लगते हैं। सूर्या अपने परिवार के साथ बारह साल बाद गांव वापस आया है। उसे गांव में एक लड़की के प्रति आकर्षण हो जाता है। एक दिन गांव के मंदिर में एक व्यक्ति मर जाता है। गांव का पुजारी चारो सीमाओं को तंत्र से बांध देता है और किसी को भी गांव से बाहर जाने से इंकार कर देता है। एक रात गलती से सुरक्षा घेरा टूट जाता है और एक अत्यंत मायावी शक्ति गांव में प्रवेश कर जाती है।
हॉरर फिल्मों का भविष्य बॉक्स ऑफिस पर अनिश्चित होता है क्योंकि अधिकांश का अंत दुःख में होता है। भूतिया फिल्मों में नायक विजेता न बने तो दर्शक फिल्म को नकार देते हैं। ‘विरुपाक्ष’ एक ऐसी ही फिल्म है, जिसमे बुराई अंत में हारती है। फिल्म का बैकड्रॉप बड़ा ही सुंदर है। दक्षिण भारत के सुसंस्कृत गाँव की पृष्ठभूमि में सांस लेती ये फिल्म दर्शक को आसानी से अपनी ग्रिप में ले लेती है। फिल्म दो ट्रेक्स पर चलती है। एक ट्रेक में मूल कहानी और दूसरे में खूबसूरत प्रेम कहानी चलती है।
दोनों ही ट्रेक रोचक ढंग से साथ-साथ चलते हैं। कहानी में एक सस्पेंस छुपा है, जिसके कारण दर्शक की रुचि अंत तक कायम रहती है। सूर्या की भूमिका नए कलाकार साईं धर्म तेज ने निभाई है। साईं ने मैन कैरेक्टर में अपना उत्तरदायित्व अच्छे से निभाया है। संयुक्ता मेनन ने नंदिनी की भूमिका निभाई है। बहुत सुंदर और बहुत प्रतिभाशाली संयुक्ता ने कुछ अच्छे दृश्यों में अपने अभिनय का स्तर दिखाया है। अजय और अब्बी राजू ने भी प्रभावित किया है।
‘विरुपाक्ष’ दक्षिण भारतीय पट्टी में बढ़िया प्रदर्शन कर रही है लेकिन हिन्दी पट्टी में इसे दर्शक नहीं मिल रहे हैं। हिन्दी बॉक्स ऑफिस पर ‘पीएस 2’ और ‘द केरल स्टोरी’ का कब्ज़ा जमा हुआ है। कुल मिलाकर ‘विरुपाक्ष’ एक दर्शनीय फिल्म है। इसमें खून खराबा अधिक है। यदि आप ऐसी फ़िल्में देखना पसंद करते हैं तो ‘विरुपाक्ष’ के लिए समय निकाल सकते हैं। ये एक पैसा वसूल मनोरंजन है।