सारी बात झूठा नरेशन बनाने की है! एक बात जो कि झूठ है उसे बार-बार अलग-अलग ढंग से कैसे बोलना है वामपंथी मीडिया अच्छे से जानते हैं! क्योंकि उन्हें पता है कि बार-बार कहने से लोग झूठ को भी सच समझाने लगते हैं! जियो इंस्टिट्यूट मामले में भी ये ही है! जियो इंस्टिट्यूट को 1000 करोड़ की राशि देने के मामले में भी बिना फैक्ट के न्यूज़ प्रसारित की गयी है! कांग्रेस के लिए एजेंडा सेट करने वाले भारतीय मीडिया द वायर, एनडीटीवी, रामचंद्र गुहा आदि ने इस फेक न्यूज़ को पैदा किया और उसे फैला कर बड़ा भी किया किन्तु वह शायद भूल गए की सोशल मीडिया उनके हर झूठ को काटने के लिए खड़ा है!
यह सारा मामला प्रेस में उठाया किन लोगों ने? उन्होंने जिनको धान,गेहूँ, ज्वार, बाजरा का पता नहीं लेकिन बैंक की ब्रांच खोलने पर ज्ञान देने पर से लेकर हर चीज़ के एक्सपर्ट हैं! तेजस्वी यादव जिसने पता नहीं 8 भी पास किया की नहीं, राहुल गाँधी जो ग्रेस मार्क्स से 42.3% लेकर 12वी पास किया और DU में झूठा सर्टिफिकेट देकर प्रवेश लेने का अपराधी है! जब बकैत पाण्डेय के NDTV ने इस विषय को लेकर कार्यक्रम कर दिया तो लगा कुछ गड़बड़ है लेकिन शक विश्वास में तब बदला जब रामचंद्र गुहा इस मामले को उछालने लगा! जो लोग धान, गेहूँ, मक्का, बाजरा में फर्क नहीं समझते उनका इस मामले को बढ़ा चड़ा कर पेश करना दाल में काला लगा! सो कुल मिलकर मामला ये है…
इंस्टिट्यूट सेलेक्ट करने के लिए उन्हें तीन श्रेणियों में बांटा गया था
1-सरकारी संस्थान
2- प्राइवेट संस्थान
3- नए इंस्टिट्यूट खोलने की इच्छुक निजी संस्थाएं
पहले में आईआईटीडी (IITD), आईआईटीबी (IITB) और आईआईएससी (IISc)शामिल थे और इसमें कोई मतभेद नहीं, इनको अगले पांच साल तक हर वर्ष 1000 करोड़ की सरकारी मदद मिलेगी ये सारी संस्थाएं प्रतिष्ठित संस्थान कहलाये जायेंगे!
दूसरी श्रेणी में बिट्स (BITS) और मनिपाल(Manipal) आए और इसमें भी कोई मतभेद नहीं, ये भी प्रतिष्ठित संस्थानो में शामिल होंगे लेकिन लेकिन इनको सरकार आर्थिक मदद नहीं देगी! इनको खुद का फंड्स, प्रोजेक्ट और रिसर्च कोलैबोरेशन से जुटाना होगा! इन दो के अलावा कई और भी प्राइवेट संस्थान हैं लेकिन वो उस लायक नहीं है! ये बात जग जाहिर है कि सिर्फ इनकी बिल्डिंगें सुन्दर है लेकिन इनसे पढ़कर निकलने वाले छात्र देश की युवा पीढ़ी को खोखला करने वाली आउटसोर्श के कॉल सेंटर में या अन्य जगह 10-20 हज़ार की नौकरी तक ही सीमित रहते हैं!
तीसरी श्रेणी के लिए सरकार ने एजुकेशन में नए निवेश के लिए आवेदन मंगाया था जिसमे निवेश करने वाली कंपनी स्वयं इंस्टिट्यूट बनाएगी और उसकी देख रेख करेगी वित्त सम्बन्धी सारी जिम्मेदारी आवेदन करने वाली कंपनी की होगी!इसके लिए उसको तीन साल का समय दिया जाएगा यदि निर्धारित तीन साल के अंदर वह वर्ल्ड क्लास फैसिलिटी वाला संस्थान बन जाता है तो ईईसी (ECC) उसका रिव्यु करेगा, उसके बाद फैसला लिया जाएगा! इस आशय का पत्र जारी हुआ है! यदि वह पास हुआ तो प्रतिष्ठित संस्थान बनने की कैटेगरी में डाला जाएगा !
इस श्रेणी के लिए आवेदन देने के लिए सरकार ने जिओ तथा अन्य कंपनी को बुलाया था! जिसमे जिओ इंस्टिट्यूट ने सबसे बढ़िया प्रेजेंटेशन दिया और उसको मौका दिया गया है! पूरा मामला मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साइट पर है! जिओ इंस्टिट्यूट प्रतिष्ठित संस्थान की श्रेणी में नहीं बल्कि इस कैटेगरी में भविष्य में दावेदार है! यदि वह तीन वर्ष के बाद EEC ने उसे फेल कर दिया तो गया तो इस श्रेणी से हटा दिया जाएगा!
धान के पौधे से गेहूँ उगाने वाले पत्रकार, आठवी फेल, 12वीं घींच घांच के ग्रेस से पास, सोशल मीडिया के पीडी और कम्युनिष्ट विचारक जब किसी रिपोर्ट को चिल्लपों करने लगें तो कान खड़े कर लो! क्योंकि 2019 सामने हैं और इस तरह की कई झूठी ख़बरें फ़ैलाने के लिए खबर मंडियां लामबंध है ताकि मोदी सरकार पर एक साथ हमला कर सकें!
सन्दर्भ साभार: Ranjay Tripathi और CA Manoj Gupta Jodhpur के फेसबुक वाल से
URL: How 1000 crore lies were spread over institutes of eminence list
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