किसी भी मजहब में वह चीज हराम कैसे हो सकती है जिससे किसी की जान बचती हो। लेकिन इसलाम में अंग दान को हराम माना गया है। तभी राजौड़ी की रहने वाली समीरा अख्तर के लिए उसका अपना मजहब ही उसकी जान के आड़े आ गया है। मुसलिम मजहब में अंग दान हराम होने के कारण अपने ही समुदाय से हारने वाली समीरा की जाम बचाने के लिए एक सिख लड़की आगे आई है। इसकी जानकारी प्रशांत पटेल उमराव ने ट्वीटर से दी है। उन्होंने अपने ट्वीट में समीरा की विवशता तथा सिख लड़की की बहादुरी के बारे में बताते हुए इसलाम की कट्टरता के बारे में बताया है।
https://twitter.com/ippatel/status/1069133616347664384
दरअसल समीरा को किडनी की समस्या है। अगर उसकी किडनी नहीं बदली गई तो उसकी जान जा सकती है। फेसबुक पर पोस्ट डालकर उन्होंने अपने दोस्त तथा रिश्तेदारों से किडनी दान करने की मांग की। लेकिन उनकी सहायता करने के लिए कोई भी आगे नहीं आया। क्योंकि मुसलिम मजहब इसलाम में अंग दान को हराम माना जाता है। इससे समीरा के सामने निराशा छा गई। लेकिन तभी एक सिख लड़की ने संपर्क कर समीरा को अपनी किडनी देने की पेशकश की है।
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