सोमवार को सीबीआई जाँच को दस दिन पुरे हो गए लेकिन अब तक गिरफ्तारी के नाम पर केंद्रीय एजेंसी के हाथ अब तक खाली हैं। तीस घंटे से अधिक समय पूछताछ करने के बाद भी सीबीआई के हाथ कुछ ख़ास नहीं लग सका है। अब तक सीबीआई, ईडी और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो केवल पूछताछ में ही लगे हुए हैं। गौरतलब है कि सुशांत सिंह राजपूत केस की जाँच में इतनी गंभीर खामियां पाई गई थी और इसके बावजूद न किसी डॉक्टर और न किसी पुलिस अधिकारी पर सीबीआई ने शिकंजा कसा है। सीबीआई के पास इतना समय नहीं है कि वह इस केस को लेकर एक्स्ट्रा फुटेज खाए। सुशांत की मौत से जुड़े सबूत लगातार नष्ट किये जा रहे हैं और सीबीआई ने अब तक एक भी गिरफ्तारी नहीं की है। यदि ऐसी ही रफ्तार रही तो सुशांत का केस एक अंधी गली बनकर गुम हो सकता है।
सोमवार का खुलासा
सुशांत की हत्या वाले दिन की चैट सामने आई है। सुशांत के व्हाट्सएप चैट से पता चला है कि 14 जून को सुबह की वे किसी ई कॉमर्स कंपनी से करोड़ों की बिजनेस डील करने वाले थे। मरने से दस मिनट पहले वे बिजनेस डील की बात करते हैं। सोचने वाली बात है कि ऐसा व्यक्ति आत्महत्या कैसे कर सकता है। दीपेश सावंत ने कहा था जब सुशांत ने दरवाज़ा नहीं खोला तो वह बहुत घबरा गया था। जबकि दीपेश ने कंपनी को व्हाट्सएप कर डील के बारे में पूछा था। घबराया हुआ आदमी कंपनी को मैसेज करेगा या पहले दरवाज़ा खुलवाने का प्रयास करेगा। क्या अब भी सीबीआई को और तगड़े सबूत चाहिए।
जब ये केस सीबीआई को दिया गया तो देश को बड़ी आशाएं थी कि अब सुशांत सिंह राजपूत को न्याय मिलेगा। लेकिन सोमवार को दस दिन की जाँच तक सीबीआई को कुछ ठोस हाथ नहीं लगा है। सुशांत के घर दो बार क्राइम सीन दोहराया गया और सोमवार को फिर से सीबीआई टीम सुशांत के घर पहुंची।
इस हाई प्रोफ़ाइल केस में सीबीआई के आने के बाद सुशांत के परिजनों और उनके प्रशंसकों को जो आशाएं थी, वह अब धूमिल पड़ती दिखाई दे रही है। पटना पुलिस की शुरूआती जांच में ही सीबीआई को बता दिया गया था कि इस केस में सबूत तेज़ी से मिटाए जा रहे हैं और युद्ध स्तर पर कार्रवाई की आवश्यकता है।
इसके बावजूद मामले की गंभीरता नहीं समझी गई। नौसिखिये चश्मदीद गवाह सीबीआई को झुलाते रहे। रिया चक्रवर्ती से सीबीआई कुल तीस घंटे से अधिक पूछताछ कर चुकी है लेकिन हाथ कुछ नहीं आया। बाकी मुंबई पुलिस रिया को सुरक्षा देने के लिए मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी कर रही है।

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और ईडी ड्रग पैडलर्स और ड्रग डीलर्स को ऐसे निमंत्रण भेज रहे हैं, मानो इनको ब्याह में बुलाना हो। जिस गौरव आर्या को उठाकर मुंबई लाना चाहिए था, उसे समन देकर बुलाया गया और उसके नखरे भी सहे गए।
क्या ड्रग पैडलर्स को भी समन भेजकर पूछताछ होगी।पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खामी मिली तो कूपर अस्पताल के डॉक्टर छुट्टी पर चले गए। जब जाँच अधिकारी डीसीपी अभिषेक त्रिमुखे को समन भेजा गया तो उनको कोरोना हो गया।
रिया से पूछताछ में सीबीआई ने तीन दिन लिए। मुंबई में इस तरह की लचर जाँच सीबीआई पर सवालिया निशान उठा रही है। अब ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या इस हाई प्रोफाइल केस की जाँच की दिशा बदलने की कोशिश की जा रही है।
शुरुआत में ये केस केवल सुशांत की संदिग्ध हत्या पर आधारित था लेकिन बाद में इसके अंदर ड्रग कनेक्शन भी आ गया। जिस संदीप सिंह को शरुआत में मुख्य संदिग्ध माना जा रहा था, वह अब तक सीबीआई के राडार से बाहर क्यों है।
कूपर अस्पताल में उसकी मौजूदगी, एम्बुलेंस ड्राइवर से उसकी बातचीत के प्रमाण मिलने के बाद भी अब तक इस संदिग्ध से पूछताछ नहीं की गई है। केस की जाँच केवल सिद्धार्थ पिठानी, दीपेश सावन्त, रिया चक्रवर्ती और शौविक पर क्यों केंद्रित कर दी गई है।
सीबीआई की दस दिन की जाँच का कुल हासिल केवल पूछताछ है। जो सीबीआई शुरूआती दौर में तेज़ दिखाई दे रही थी, वह अब केवल पूछताछ में ही मशगूल है। इस मामले में महाराष्ट्र सरकार सीबीआई पर पूरी तरह भारी पड़ी। उन्होंने न केवल दम ठोंककर सीबीआई को असहयोग किया बल्कि मुंबई पुलिस का पूरा इस्तेमाल इस केस की दिशा मोड़ने के लिए किया।
अब तक सीबीआई उस पुलिसकर्मी को डीआरडीओ नहीं ले जा सकी, जो पानी पीने के बहाने सुशांत के घर में घुस गया था और मीडिया ने उसे रंगे हाथ पकड़ लिया था।
इस केस में इतने खुलासे और इतने गवाह सामने आ चुके हैं कि अब तक तो मुख्य संदिग्धों की गिरफ्तारी कर कोर्ट में पेश कर देना चाहिए था लेकिन दसवें दिन के बाद भी सीबीआई पूछताछ ही कर रही है। रिया चक्रवर्ती इतनी शातिर है कि सीबीआई के सामने सच ही नहीं बता रही है।
सीबीआई रिया पर सख्त नहीं हो रही, जिसके कारण इस केस में फालतू समय बर्बाद हो रहा है। अब दूसरा पक्ष इस केस को लेकर मीडियाबाज़ी पर उतर आया है। श्रुति मोदी के वकील दावा कर रहे हैं कि सुशांत की बहनें ड्रग्स पार्टियों में शामिल हुआ करती थी।
पहले सुशांत को ड्रगी कहा गया और अब उनकी बहनों को भी इसमें लपेट लिया गया है। अब क्या सुशांत के पिता और चाचाओं को भी एडिक्ट बताया जाएगा। इतने सारे खुलासे, इतनी सारी पूछताछ और अब तक सीबीआई का एक भी औपचारिक बयान न देना देश के नागरिकों को खलने लगा है।
यदि कुछ और समय केवल पूछताछ में ही जाता है तो इस केस के लिए लड़ रहे लोगों का उत्साह कम होने लगेगा। मीडिया में इस केस का ज़्वर उतरते ही इसे ठन्डे बस्ते में डालने की तैयारी होने लगेगी। तीन चैनलों का सुशांत को न्याय दिलाने के लिए ऑउट ऑफ़ द बॉक्स जाकर लड़ाई लड़ना बेकार हो जाएगा।
वे जिन गवाहों को खोज खोजकर लाए। उन्होंने अपने स्तर और इस केस को लेकर जो अनुसन्धान किये, वे सब रसातल में चले जाएंगे और सुशांत को न्याय दिलाना बहुत पीछे छूट जाएगा। सीबीआई जाँच के दसवें दिन का हासिल ये है कि उनके पास सैकड़ों सबूत हैं लेकिन गिरफ्तारी एक भी नहीं है।
वे अब तक संदीप सिंह को छू भी नहीं सके हैं। सुशांत की संदिग्ध हत्या को दो माह से अधिक बीत चुके हैं। सीबीआई को इसलिए ही लाया गया था कि तुरंत एक्शन हो लेकिन अब तक का हासिल ये है कि मृत सुशांत को ड्रग एडिक्ट बना दिया गया, उनकी बहनों को ड्रग एडिक्ट बना दिया गया।