विपुल रेगे। सीता के चरित्र को निभाने के लिए करीना कपूर द्वारा 12 करोड़ मांग लिए जाने को अंग्रेज़ी मीडिया ने पितृ सत्तात्मक रुप देना शुरु कर दिया है। ऐसा कहा जा रहा है कि अक्षय कुमार एक फिल्म के लिए 100 करोड़ मांग सकते हैं तो करीना द्वारा बारह करोड़ की मांग असहनीय क्यों हो रही है। जग जानता है कि सैफ अली खान और करीना कपूर खान की फॉलोइंग से अधिक शक्तिशाली उनके पब्लिक रिलेशंस हैं, जिनके दम पर 40 वर्षीय अभिनेत्री अब तक जैसे-तैसे टिकी हुई हैं।
फिल्म उद्योग में एक महिला कलाकार का कॅरियर अधिक नहीं चल पाता। भारत में तो एक महिला सुपरस्टार अधिक से अधिक सात वर्ष से दस वर्ष तक मुख्य भूमिकाओं के लिए स्वीकार की जाती है। इसके बाद तो उसे बड़ी बहन और भाभी के रोल ऑफर होने लगते हैं। कुछ और वर्ष बीतने के बाद ऑफर होने वाले अधिकांश किरदार माँ के होते हैं।
आपकी स्टार इमेज समय के साथ ढल जाती है और आपकी फॉलोइंग भी घटने लगती है। विज्ञापन जगत और दर्शक की एक ही सोच होती है। यदि सितारा अभिनेत्री विवाह रचा ले तो वह उनके किसी काम की नहीं रहती। विज्ञापन जगत को लगता है कि उनके ब्रांड के लिए अभिनेत्री की विवाहित छवि नुकसानदेह रहेगी। दर्शक जिसको मन ही मन प्रेयसी मानता हो, उसके विवाह उपरांत वह परदे पर नहीं भाती।
इस मानसिकता की गहनता में जाए तो स्त्री विरोध नहीं है बल्कि अपनी प्रिय अभिनेत्री के साथ एक तरफ़ा काल्पनिक रिश्ता टूटने से है। भारतीय दर्शक अबूझ है। वह पुरुष अभिनेता को पचास वर्ष की आयु तक मुख्य भूमिका में स्वीकार कर सकता है, किन्तु सेल्युलाइड के परदे पर अपनी रची प्रेम कथा टूटती सहन नहीं कर पाता। करीना कपूर के मामले को पितृ सत्तात्मक रंग देने वाली महिला पत्रकारों को वास्तविक तथ्य स्वीकारना चाहिए।
करीना कपूर नब्बे के दशक में फिल्मों में आईं थीं। मुख्य भूमिकाओं के लिए वे आउट डेटेड हो चुकी हैं। अब तो उनको बड़े ब्रांड के विज्ञापन तक नहीं मिल पा रहे हैं। कलाकारों को सार्वजनिक छवि का बहुत नुकसान होता है। करीना दो बार माँ बन चुकी हैं और उनके चेहरे पर अधेड़पन झलकने लगा है। जिस दिन अक्षय को बाज़ार स्वीकार नहीं करेगा, वे भी 12 करोड़ नहीं मांग सकेंगे। यहाँ सारा प्रश्न आपके बाज़ार मूल्य का है।
आपका नारी होने के कारण विरोध नहीं किया जा रहा बल्कि इसलिए कि आपका अंतर्धार्मिक परिवार और आपका आधुनिक परिवेश ऐसी छवि नहीं बनाते कि आप सीता माता का चरित्र परदे पर निभाए। आपने तो फिल्मों में हर ढंग के चरित्र निभाए हैं। आवश्यकता पड़ने पर सिगरेट और शराब सेवन भी किया है।
आपने अपने कॅरियर में भरपूर अंग प्रदर्शन किया है। आपकी छवि एक ग्लैमरस और बोल्ड अभिनेत्री की रही है। लोगों के विरोध से आपको आपत्ति है लेकिन ये भी तो देखिये कि उनके मन में सीता की क्या छवि है। पितृ सत्तात्मक वाला एंगल तो आपके मीडिया मित्रों द्वारा छोड़ा गया मन्त्र है, ताकि आप चर्चा में रहे और आपको इंडस्ट्री में थोड़ा-बहुत काम मिलता रहे।