Pgurus वेबसाइट पर पत्रकार रहे उपेंद्र राय की संपति और कदाचार के खुलासे को लेकर दोनों की लड़ाई अब कोर्ट पहुंचने वाली है। उपेंद्र राय ने मानहानि का नोटिस भेजकर Pgurus से सौ करोड़ रुपये हर्जाना देने को कहा है। वहीं उसके नोटिस के जवाब में Pgurus ने अपनी रिपोर्ट पर कायम रहते हुए अब उसे कानूनी फोरम पर एक्सपोज करने की बात कही है। अपनी साइट पीगुरु पर आलेख के तौर लिखी चिट्टी में श्री अय्यर ने उपेंद्र राय के सामने वह सारे आरोप दोहराए हैं जो उन्होंने अपनी पिछली तीन रिपोर्टों में उजागर कर चुके हैं। उन्होंने इस चिट्ठी को ही उपेंद्र राय से उसके लीगल नोटिस का जवाब मानने को कहा है।
मुख्य बिंदु
* पीगुरू वेबसाइट और पी चिदंबरम के बेनामी पेटिशनर उपेंद्र राय की लड़ाई पहुंचेगी कोर्ट!
* उपेंद्र राय ने मानहानि नोटिस भेजकर पीगुरु से सौ करोड़ रुपये हर्जाना देने को कहा है
गौर हो कि Pgurus वेबसाइट 21 अप्रैल से पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम और उपेंद्र राय के बीच अवैध साठगांठ के अलावा उपेंद्र राय के कदाचार का पर्दाफाश करती आ रही है। 24 अप्रैल तक तीन रिपोर्ट छपने के बाद उपेंद्र राय ने 25 अप्रैल को पीगुरु को मानहानि का नोटिस भेजा। अय्यर ने उसके नोटिस का जवाब भी अपनी साइट Pgurus के माध्यम से दिया है।
श्री अय्यर ने उपेद्र राय के नोटिस का जवाब देते हुए लिखा कि वे अपनी रिपोर्ट के साथ दृढ़तापूर्वक खड़े हैं। साथ ही उन्होंने सौ करोड़ रुपये हर्जाने और माफी की मांग को ठुकरा दिया। उन्होंने अपनी रिपोर्ट को हर बिंदु से जांची परखी तथा पुख्ता दस्तावेज से लैश बताया। अय्यर ने अपना पता नहीं मालूम होने की बात पर भी राय का मजाक उड़ाते हुए लिखा है कि साइट के सबसे नीचे contact us और about us पेज पर पता सविस्तार उपलब्ध है। राय ने बातों-बातों में उनके पत्रकार होने के दावे पर एक तरह से तंज कसा है।
उपेंद्र राय की ईमानदारी वाले मामले पर अय्यर ने लिखा है कि अगर ईमानदार हैं तो फिर आप कैसे एक साथ प्रेस इनफॉरमेशन ब्यूरो (पीआईबी) तथा ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सेक्योरिटी (BCAS) के दो-दो कार्ड लेकर घूमते हैं। जबकि पीआईबी कार्ड (नंबर- 275 संपादक वर्ग) उसी व्यक्ति को मिलता है जो पत्रकारिता में सिर्फ एक ही नौकरी करता हो। वहीं BCAS कार्ड के लिए आपने खुद को डायरेक्टर घोषित कर रखा है। इससे जुड़े उपलब्ध दस्तावेज ही आपको बेइमान और कदाचार साबित करने के लिए पर्याप्त है। मेरे विचार में तो इस जालसाजी के लिए सीबीआई को आपको गिरफ्तार कर लेना चाहिए। तथा जिस कार्ड के सहारे आप धड़ल्ले से नॉर्थ और साउथ ब्लॉक के संवेदनशील सरकारी दफ्तरों में पहुंच जाते हैं PIB को आपका कार्ड निरस्त कर देना चाहिए। अगर आप यह सोच रहे हैं कि आखिर मेरे पास इन दोनों कार्डों के कागजात कैसे पहुंचे तो बता दूं कि तुम्हारे जैसे दलाल और भ्रष्टों की पोल खोलने वाले कई ईमानदार अधिकारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले हैं भी इस देश में हैं।
आपने अपने नोटिस में इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया है कि आपको दागी पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का बेनामी पेटिशनर कैसे कहा ? तो बता दूं कि आपको पी चिदंबरम का बेनामी पेटिशनर और प्यादा समझने के लिए किसी महामानव बनने की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की 2 जी बेंच ने जैसे ही सीबीआई और ईडी को छह महीने के अंदर एयरसेल-मैक्सिस घोटाले की जांच खत्म करने का आदेश दिया। उसके कुछ ही सप्ताह बाद आपने जिस प्रकार ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के जांच अधिकारी राजेश्वर सिंह के खिलाफ ओछी याचिका दायर की उससे ही आपकी ओछी मानसिकता का पता चल गया। इससे स्पष्ट हो गया कि आपने अपने आका पी चिदंबरम के इशारे पर यह खुराफात की है।
चिदंबरम ने ही राजेश्वर सिंह जैसे ईमानदार अधिकारी को बदनाम करने के लिए आपका उपयोग किया। जब साल 2010 में राजेश्वर सिंह ने विवादास्पद लॉबिस्ट नीरा राडिया को सूचना भेजी तभी आप और आप के तब के मालिक सहारा ग्रुप के सर्वेसर्वा सुब्रत राय ने राजेश्वर सिंह के खिलाफ 12 सौ करोड़ की संपत्ति होने की याचिका दायर कर दी। इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साल 2011 में आप दोनों के खिलाफ अवमानना का केस चलाया था। याद है किस प्रकार खुद को बचाने के लिए आपके मालिक सुब्रत राय ने ही आपके खिलाफ विज्ञापन देकर आपका परित्याग किया था। लेकिन इससे इतर आप दोनों के बीच हुए छह करोड़ रुपये के अवैध लेन-देन के दस्तावेज भी हमारे पास है जो यह तय करता है कि यह सुप्रीम कोर्ट को मूर्ख बनाने का एक नाटक था ।
उपेंद्र राय आप किस को मूर्ख बना रहे हैं? अगर आप सोचते हैं कि आपके इस ओछे से कानूनी नोटिस से हमलोग डर जाएंगे तो आप भूल कर रहे हैं। खुद को ईमानदार कहने की आपकी बात में कितना दम है इसका पता सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया अवमानना नोटिस से ही चल जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने 2G मामले की जांच में बाधा पहुंचाने तथा नीरा राडिया को बचाने के लिए ईडी अधिकारी राजेश्वर सिंह को बदनाम करने के आरोप में दिया था। यह मामला दिखाता है कि आप मीडिया जगत के लिए श्राप हैं। किसी मंत्री द्वारा उछाला गया शब्द प्रेस्टट्यूट आप पर सटीक बैठता है। आपकी इस बात से हमलोग सहमत है कि याचिका दायर करना आपका अधिकार है। इसके साथ ही हमलोग इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि पी चिदंबरम जैसे भ्रष्ट और दागी व्यक्ति के लिए काम करने वाले आप जैसे कपटी व्यक्ति द्वारा दायर ओछी याचिका का खुलासा करना भी हमारा अधिकार है। उम्मीद करता हूं कि इस बार राजेश्वर सिंह जैसे ईमानदार और निर्भीक अधिकारी के खिलाफ बार-बार एक ही प्रकार की ओछी याचिका दायर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट आपको अच्छा सबक सिखाएगा।
सीबीआई द्वारा UCM (Undesirable Contact Men) की सूची में नाम शामिल करने के अलावा उपेंद्र राय के कई और मामलों का जिक्र करते हुए श्री अय्यर ने दोहराया कि वे अपनी रिपोर्ट के साथ हैं। उन्होंने लीगल नोटिस की सारी मांगें ठुकरा दी है। उन्होने राय और उनके वकील को अपनी इसी रिपोर्ट को कानूनी नोटिस का जवाब मानने को कहा है। साथ ही कहा है कि इस जवाब के बावजूद अगर आप हमारे खिलाफ मानहानि के केस को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो बेशक आप आगे बढ़ सकते हैं। हमे भी आपको कानूनी फोरम पर सारे दस्तावेज के सहारे एक्सपोज करने में खुशी मिलेगी।
उपेन्द्र राय से सम्बंधित खबरों के लिए नीचे पढें:
2- CBI की Undesirable Contact Men सूची में शामिल पत्रकार को किसकी शह पर इश्यू किया गया PIB कार्ड ?
नोट: यह पूरी खबर https://www.pgurus.com/ पर दर्ज सूचनाओं के आधार पर साभार लिखी गयी है। India speaks daily इसमें से किसी भी तथ्य की पुष्टि का दावा नहीं करता है।
* यह सीरीज अभी जारी रहेगी, कल पढ़िए इस पर एक और अहम खुलासा।
URL: how-is-upendra-rai-a-journalist-able-to-amass-so-much-wealth-2
Keywords: upendra rai huge illegal assets, PIB, defamation notics against pgurus, Undesirable Contact Men, P chidambaram, Upendra Rai, chidambarams benami petitioner journalist upendra rai, पी चिदंबरम, उपेंद्र राय