यह भी कातिल वह भी कातिल,
दिशा सुशांत के कितने कातिल ;
नेता कातिल पुलिस भी कातिल,
बॉलीवुड ,अस्पताल ये कातिल ।
लोभ, लालच ,बेईमानी कातिल ,
सारा भ्रष्टाचार ये कातिल ;
नशा खोर अपराधी कातिल ,
गंदा सारा सिस्टम कातिल ।
गंदी राजनीति है कातिल ,
फर्जी ये आजादी कातिल ;
गुंडों की आजादी कातिल ,
बढ़ती ये आबादी कातिल ।
अब भी केंद्र नहीं कुछ बोला ,
सारे दिशा सुशांत मरेंगे ;
कुछ ना बचेगा पास हमारे ,
सारे अच्छे लोग मरेंगे ।
सारे अच्छे लोग उठो अब ,
ताकत को मुट्ठी में कर लो ;
सदियों से तुम सहते आए ,
अब ये भीष्म प्रतिज्ञा कर लो ।
बच ना पाए कोई गुंडा ,
राजनीति का कोई लफंगा ;
सारा भ्रष्टाचार हटाओ ,
निर्मल कर दो न्याय की गंगा ।
फिर ना मरेगा कोई बच्चा ,
दिशा सुशांत सब जी जाएंगे ;
सदियों पहले हम छाए थे ,
फिर दुनिया में छा जाएंगे ।
रचयिता :बृजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”