मेजर कबीर लूथरा आर्मी से गद्दारी कर फरार हो गया है। कबीर को खोजने के लिए खालिद खान को जिम्मेदारी दी जाती है। स्पेशल एजेंट खालिद और कबीर के बीच एक चूहा-बिल्ली का खेल चल रहा है और अंदर ही अंदर गद्दारों को खोजने की कश्मकश जारी है। यशराज प्रोडक्शन की फिल्म ‘वॉर’ एक एक्शन थ्रिलर है। ये थ्रिलर इतनी तेज़ गति से चलता है कि उसकी रफ्तार में इसकी कमियां और लूप होल दिखाई ही नहीं देते। ये साल की सबसे स्टाइलिश फिल्म है। ऋत्विक रोशन का स्टारडम सब पर भारी है। टाइगर श्रॉफ, आशुतोष राणा और वाणी कपूर की सारी मेहनत पर ऋत्विक का एक लुक भारी पड़ जा रहा है।
निर्देशक आनंद सिद्धार्थ ने निःसंदेह एक बिकाऊ फिल्म बनाई है। इसे एक ब्रांडेड कम्पनी का बनाया प्रोडक्ट समझिये, जो एक आकर्षक चमकदार पैकिंग में आपके सामने लाया गया है। इस प्रोडक्ट में दिल लुभाने वाली सारी बात है। बेहतरीन स्टार कॉस्ट है। विदेशों की विहंगम लोकेशन है। तेज़ रफ़्तार एक्शन है। कार-बाइक चेस है। फिल्म में वह सब कुछ है, जिसके लिए दर्शक थियेटर का टिकट कटाता है। किसी भी फिल्म के लिए, खास तौर से ऋत्विक जैसे बड़े सितारे की फिल्म के लिए शुरूआती तीन दिन उन्मादी होते हैं, इन तीन दिनों के उन्माद से भविष्य की तस्वीर का अनुमान नहीं लगाया जा सकता। देखते हैं फिल्म में क्या ख़ास बाते हैं और क्या कमियां रह गई हैं।
‘वॉर’ की एकमात्र यूएसपी ब्रांड ऋत्विक रोशन रहे हैं। यदि उन्हें निकाल दिया जाए तो फिल्म में कुछ ख़ास नहीं बचता। एक बार फिर उन्होंने सिद्ध किया है कि वे बॉक्स ऑफिस के विजेता घोड़े हैं। वॉर में सबसे ज्यादा फुटेज ऋत्विक को ही दिया गया है। कबीर के किरदार को वे बड़ी गहराई से पेश करते हैं। इस फिल्म में अदाकारी की अधिक गुंजाइश नहीं थी। उनका किरदार अभिनय से अधिक एक्शन और स्टाइल की मांग करता था, सो उन्होंने वही किया है।
फिल्म का कैनवास बहुत विशाल है। बेहद खूबसूरत लोकेशंस पर फिल्म शूट की गई है। निर्माता आदित्य चोपड़ा जानते हैं कि भारतीय दर्शक ये सब देखना पसंद करता है। टाइगर के एक्शन सीन भी फिल्म की कुल सफलता में हिस्सेदार माने जाने चाहिए। उन दो गीतों का भी कम योगदान नहीं है, जिनके दम पर ये फिल्म खूबसूरत बन गई और इनके कारण ही दर्शक सिनेमाघर पहुंचा।
जब दो बड़े सितारें एक ही फिल्म में काम करे तो उनमे एक सामान्य सी प्रतिस्पर्धा देखी जाती है। कई बार प्रभावशाली अभिनेता अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर साथी कलाकार के रोल पर कैंची चला देते हैं। वॉर में ये प्रतियोगिता स्पष्ट दिखाई देती है। ऋत्विक का किरदार हर एंगल से टाइगर के किरदार से सशक्त बनाया गया है। ऋत्विक की एंट्री और एक्शन सीन भी टाइगर से बेहतर है।
साफ़ है कि नए बच्चे टाइगर के साथ धोखा हो गया। उनके किरदार में एक शेड खलनायक का था। अभी वे इतने परिपक्व नहीं हुए हैं कि अपने अभिनय में इतने वेरिएशंस ला सके। निर्देशक और ऋत्विक की आंतरिक जुगलबंदी का नुकसान टाइगर को हुआ है। फिल्म में सस्पेंस जिस तरह से खोला गया है, उससे दर्शक निश्चित ही बहुत ज्यादा खुश नहीं हुए होंगे। सिद्धार्थ आनंद की भयंकर गलतियों को ऋत्विक का स्टारडम बचा ले गया है।
‘वॉर’ निश्चय ही एक मनोरंजक फिल्म है और दर्शक को पैसा वसूल मनोरंजन देती है लेकिन इसकी दौड़ लम्बी नहीं होगी। फिल्म पैसा कमा लेगी लेकिन ये न तो रिपीट रन है और न इसमें वह गहराई है जो इसे अगले दो सप्ताह तक खींच सके। यदि आप ऋत्विक रोशन के प्रशंसक हैं और स्टंट से भरी फिल्म देखना चाहते हैं तो फौरन टिकट कटाइये। इसमें आपको भरपूर मनोरंजन मिलेगा लेकिन गहराई नहीं मिलेगी। और देखा जाए तो ऋत्विक रोशन का एक गीत और एक एक्शन ही फिल्म चलाने के लिए काफी होता है।