आईएसडी नेटवर्क। अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने तालिबान की आलोचना करने के बाद पुनः केंद्र सरकार को लेकर बहुत आपत्तिजनक बयान दिया है। नसीर ने कहा कि अब फिल्म उद्योग को एजेण्डावादी फ़िल्में बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार फिल्म निर्माताओं को इस्लामिक फोबिया फ़िल्में बनाने के लिए प्रेरित करती है। तालिबान की आलोचना के बाद 71 वर्षीय अभिनेता के इस बयान को संतुलन बनाने के प्रयास के रुप में देखा जा रहा है।
नसीरुद्दीन शाह ने सरकार को लेकर अब तक का सबसे अधिक आपत्तिजनक बयान दिया है। उन्होंने कहा कि फिल्म उद्योग अब इस्लामिकफोबिया ग्रस्त होता जा रहा है। नसीर ने सरकार को निशाने पर रखने वाले एक न्यूज़ चैनल से बात करते हुए कहा कि सरकार इस तरह की फ़िल्में बनाने वाले निर्माताओं को फंडिंग करने लगी है।
नसीर ने अपने बयान में मुस्लिम प्रताड़ना का कार्ड खेलते हुए कहा कि फिल्म उद्योग के मुस्लिम अभिनेताओं को परेशान किया जा रहा है। उन्होंने सलमान खान, शाहरुख़ खान और आमिर खान का उदाहरण देते हुए कहा कि सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर बोलने के कारण इन तीनों अभिनेताओं को बहुत कुछ खोना पड़ा है।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों तालिबान की आलोचना करने पर नसीर चर्चा में आए थे और देश के एक वर्ग ने तालिबान की आलोचना करने पर उन्हें निशाने पर ले लिया था। नसीर के ताज़ा बयान को उनके पिछले बयान के बाद संतुलन बनाने के रुप में देखा जा रहा है। इस निजी चैनल से बात करते हुए अभिनेता ने कहा कि फिल्म उद्योग में कलाकार मुंह खोलते हैं तो उन्हें प्रताड़ित किया जाता है।
एक बार फिर आमिर खान की तरह उन्होंने कहा कि ‘मुझे यहाँ डर नहीं लगता लेकिन मेरे बच्चों के लिए अवश्य लगता है।’ तालिबान को लेकर दिए गए बयान को लेकर नसीर ने सफाई पेश की है। उन्होंने कहा कि मेरी कही बात को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। मेरे बयान के लिए दक्षिणपंथ की ओर से मेरी पीठ थपथपाई गई। नसीर ने कहा कि उन्हें किसी भी पक्ष से अपनी प्रशंसा की आवश्यकता नहीं है।