डा. रजनीरमण झा । “राम द्वारा सीता का निर्वासन एवं शम्बूक वध : सर्वथा झूठी कहानियां (ये आदिकवि महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित ही नहीं हैं)” इस विषय पर आज मेरा १००(सौ)वां व्याख्यान सम्पन्न हुआ।
कपिल मुनि की तपोभूमि श्रीकोलायत के एक विद्यालय में जहां शिक्षकों का प्रशिक्षण चल रहा है। विद्यार्थी भी श्रोता थे। लगभग ७० (सत्तर) जनों की उपस्थिति में मैं लगभग पचास मिनट बोला। दस मिनट प्रश्नोत्तर हुए। फिर पुस्तकों का वितरण किया गया।
सितम्बर, २०१६ से मैंने यह अभियान प्रारम्भ किया था।और छह वर्ष में सौ व्याख्यान सम्पन्न हो गये। मैंने बुद्धिजीवी वर्ग से लेकर मजदूर वर्ग सबके बीच व्याख्यान दिया। अपने व्यय पर सर्वत्र गया। कभी कभार कहीं से कुछ मिला, यद्यपि मैंने कोई अपेक्षा नहीं की थी।
बांसवाड़ा (राजस्थान) में इस व्याख्यान में लगभग एक हजार जन उपस्थित थे, भ्रमरपुर (बिहार) में लगभग साढ़े तीन सौ जन उपस्थित थे।
तो बीकानेर में एक बार तेईस जन ही थे।
जयपुर डायलॉग यूट्यूब चैनल पर इस विषय पर श्री संजय दीक्षित के साथ मेरी वार्ता को एक लाख बत्तीस हजार दर्शक देख चुके हैं। इस विषय पर मेरी पुस्तक की छह हजार प्रतियों का नि: शुल्क वितरण कर चुका हूं।
इस व्याख्यान के लिए मैंने राजस्थान के कई स्थानों की यात्रा की है। गुजरात, पंजाब, उत्तराखंड, दिल्ली, बिहार भी गया हूं। अभी भारत का बहुत बड़ा भाग शेष है।
मेरे जिन आदरणीयों, साथियों और छात्रों ने मेरे आग्रह पर अपने अपने स्थान पर इस व्याख्यान का आयोजन किया, मैं उनका आभारी हूं। मुझे बहुत प्रसन्नता है कि देश भर में मेरे विषय को लेकर चर्चा हो रही है। मुझे चकित और अभिभूत करता है समाज में धीरे धीरे फैल रहा यह अमूर्त आन्दोलन। जब प्रारम्भ किया था, तो सोचता और लिखता था कि क्या यह विषय जड़ पकड़ पाएगा। अब देखता हूं कि यह तो वृक्ष का रूप लेने लगा है।
मेरी यह यात्रा चलती रहे, ऐसी शुभाशंसा दें।