संदीप देव । काफी लेखक व प्रकाशक मुझे पुस्तकें भेजते हैं ताकि मैं न केवल उसका रिव्यू करूं, बल्कि उसे www.kapot.in पर भी उपलब्ध कराऊं।
मैं सारी पुस्तकें पहले पढ़ता हूं और जिसमें सनातन भाव है, उसका रिव्यू भी करता हूं और उसे कपोत पर भी उपलब्ध कराता हूं।
लेकिन जिन पुस्तकों में सनातन धर्म का भाव नहीं होता, उसका न तो रिव्यू करता हूं और न कपोत पर ही उपलब्ध कराता हूं।
मैंने kapot Media को सनातन धर्म के विचारों को आगे बढ़ाने के लिए स्थापित किया है न कि धंधे के लिए।
मैं वही हूं जिसने अपने लाभ पर धर्म को प्रश्रय देते हुए ब्लूम्सबरी से अपनी सारी पुस्तकें वापस ली थी, जबकि सीधे उनसे मेरा कभी कोई विवाद हुआ भी नहीं था।
दूसरों के वैचारिक आधार की रक्षा के लिए मैंने यह कदम उठाया। जिस संस्थान व पार्टी से जुड़ी लेखिकाओं के अधिकार की रक्षा के लिए मैंने अपना नुकसान किया आज उस संस्थान व पार्टी के बहुत सारे लेखक उसी प्रकाशक के लिए लिख रहे हैं। यह उनकी च्वाइस है।
परंतु मेरी च्वाइस स्पष्ट है, और वह सनातन धर्म है। अतः लेखक व प्रकाशक दबाव न बनाएं।
जिनकी पुस्तकें सनातन धर्म, इतिहास व विचार को आगे बढ़ाते हैं, वो स्वत: कपोत पर आ जाएंगी। और जिनकी पुस्तकें सनातन वैचारिकी से खाली या उसके विरुद्ध है, वो कभी कपोत पर नहीं आ सकतीं, यह मानकर चलें।
मैं धर्म के लिए जीता हूं, धंधे के लिए नहीं। धन्यवाद।
sandeepdeo