बांग्लादेश में अभी तक आतंकवादियों का शव लेने कोई नहीं पहुंचा है, तो दूसरी तरफ कश्मीरी आतंकी बुरहान वानी की मौत पर लेफ्ट-जेहादी गठबंधन के पत्रकार, नेता और तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता चूड़ियां तोड़ कर रूदाली गा रहे हैं! अब इनके सुर में पाकिस्तान का सुर भी मिल गया है!
आप ठीक से बुरहान के समर्थन में अभी उतरे बरखा दत्त, राजदीप सरदेसाई, राहुल कंवल, इंडियन एक्सप्रेस, उमर खालिद, कविता कृष्णन, राणा अय्यूब, जनता की रिपोर्टर वाला रिफत जावेद, द वायर का सिद्दार्थ वरदराजन, NDTV, रवीश कुमार, स्वाती चतुर्वेदी, उमर अब्दुल्ला और हां दिग्विजय सिंह जैसों के पुराने बयानों को याद कीजिए, इनके अधिकांश भारत विरोधी बयानों के समर्थन में पाकिस्तान को कूदते हुए आप पाएंगे! अभी ‘भारतीय वामपंथ का काला इतिहास’ जो मैं लिख रहा हूं, उसमें ‘फिफ्थ कॉलम’ की मैंने चर्चा की है! ‘फिफ्थ कॉलम’ अर्थात हमेशा राष्ट्र विरोध में खड़े होने वाले व्यक्ति, समूह, बुद्धिजीवी, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, नेता, एनजीओ आदि। ये विदेशी प्रोपोगंडा वार के मजबूत टूल होते हैं, जिनमें सरकार तक को प्रभावित करने की क्षमता होती है!
इस किताब के लिए मैं अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA, रूसी KGB और पाकिस्तानी ISI के दस्तावेजों पर आधारित पुस्तकों को पढ़ रहा हूं। सरल हिन्दी भाषा में आपको अपनी पुस्तक में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दूंगा। इन ‘फिफ्थ कॉलम’ को साधने के लिए भारत में पैसा से लेकर लड़की तक का जमकर प्रयोग हुआ है। यहां तक कि यदि ‘फिफ्थ कॉलम’ में महिला शामिल है तो खुफिया एजेंसियों ने उनके लिए लड़कों तक का उपयोग किया है। सड़कों पर चलती गाड़ी में फिल्मी अंदाज में पैसे पहुंचाए जाते रहे हैं! इनकी विदेश यात्रा से लेकर इनरवियर तक स्पान्सर्ड होते हैं! एक समय तो भारत के 10 बड़े अखबार के संपादकों का खर्चा एक साथ KGB उठाती थी!
भारत में चल रहा वाम-जेहाद गठबंधन पूरी तरह से विदेशी फंडिंग पर आधारित है, इसे ठीक से समझ लीजिए! इसलिए इन्हें हल्के में न लें! सोशल मीडिया पर खुलकर इनका विरोध करें ताकि ये पूरी तरह से एक्सपोज होते रहें! हां, कई लोग सरकार क्या कर रही है का रूदाली गान न करें! इस सरकार ने बहुत सारी विदेशी फंडिंग पर रोक लगाया है। तीस्ता से लेकर केजरीवाल-सिसोदिया तक के #NGO के #FCRA को रद्द किया गया है! 68 साल की बीमारी है, दो साल में पूरी तरह से नहीं जाएगी! लेकिन इस दो साल में जितना इनको मसला गया है, उतना आजतक मसला नहीं गया था! इनके बिलबिलाने की एक बड़ी वजह यह भी है। सरकार को कोसने की जगह कुछ जिम्मेदारी हम सब को भी संभालनी है।
यह देश हमारा है। बुरहान वानी समर्थक एकजुट हैं, हमें भी जकजुट होकर इन पर सोशल मीडिया के जरिए बमबार्डिंग जारी रखनी है! याद रखिए, इनकी बची-खुची विश्वसनीय को समाप्त करना ही, इनको पूरी तरह से समेटने का एकमात्र रास्ता है।