विपुल रेगे। क्या से क्या हो गया। आदिपुरुष को लेकर भारत में जबरदस्त हाइप बन गई थी, जो इसके टीजर ने एक झटके में ख़त्म कर दी। चारो ओर से फिल्म निर्माता भूषण कुमार और फिल्म निर्देशक ओम राउत पर गालियों की बौंछार हो रही है। हालाँकि इन गालियों का एक हिस्सा भारतीय सेंसर बोर्ड और सूचना व प्रसारण मंत्रालय को भी दिया जाना चाहिए। रामायण को लेकर इतना बड़ा बवाल हो गया लेकिन सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। फिल्म पर रोक लगाने की मांग ने ज़ोर पकड़ लिया है। भारतीय जनता पार्टी हिंदुत्व का इस्तेमाल चुनाव के लिए कर तो लेती है लेकिन जब बात हिंदुत्व की रक्षा की आती है तो चुनी हुई सरकार के मुंह से एक कौल नहीं निकलता।
जबसे आदिपुरुष का टीजर रिलीज हुआ है, देश के सोशल मीडिया का माहौल भयंकर रुप से गरमा गया है। ट्विटर और फेसबुक पर आदिपुरुष के निर्माताओं को ट्रोल किया जा रहा है। लोग फिल्म पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। जब ये टीजर बाहर आया तो पता चला कि टीम ओम राउत ने वीएफएक्स के ब्लंडर के अलावा एक और बड़ा खेल कर दिया। ये सरासर हमारे सबसे पवित्र ग्रन्थ का अपमान और मज़ाक बना दिया गया है।
राम के साथ हनुमान और रावण की छवि को दूषित करने की चेष्टा की गई है। रावण को भारत में हर वर्ष जलाया जाता है लेकिन एक प्रतिनायक के रुप में हिन्दू संस्कृति में उसे भी मान दिया गया है। रावण की छवि बिगाड़ने को लेकर भी फिल्म की बहुत आलोचनाएं हो रही हैं। रावण की विचित्र वेशभूषा और उसके पुष्पक विमान की बड़ी गत बना दी गई। पुष्पक विमान एक दैवीय विमान था। इसे वास्तुकार विश्वकर्मा ने बनाया था।
एक दैवीय विमान को फिल्म में ऐसा दिखाया गया है, मानो ये असुरों द्वारा निर्मित हो। हनुमान का गेटअप विधर्मी होने का अहसास करा रहा है। राम के शौर्य, विनम्रता और पराक्रम के तो दर्शन कहीं हुए ही नहीं। प्रभास ने राम के चरित्र को न समझा और न पढ़ा है, ऐसा उन्हें इस फिल्म में देखते हुए लग रहा है। केंद्र सरकार की ओर से इस विषय में कोई ट्वीट या बयान अब तक देखने में नहीं आया।
किसी अभिनेत्री की तबियत जानने के लिए यहाँ ट्वीट कर दिए जाते हैं लेकिन रामायण के अपमान पर सरकार मौन है। इतना क्या कम है कि मध्यप्रदेश सरकार के गृह राज्य मंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा जी ने फिल्म के आपत्तिजनक दृश्यों पर चेतावनी देते हुए क़ानूनी कार्रवाई की बात कह दी है।
मध्यप्रदेश के एक मंत्री ज़िम्मेदारी समझते हुए आदिपुरुष पर गंभीरता से बयान देते हैं लेकिन देश के सूचना व प्रसारण मंत्री श्री अनुराग ठाकुर तो कल से लापता हैं। केंद्र सरकार के दूसरे विभागों की प्रेस वार्ता भी कर लेने वाले ठाकुर को इस मुद्दे पर बयान देने से कौन रोकता है ? ऐसे ही भारतीय सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष श्री प्रसून जोशी हैं।
देश में इतना बवाल कटने के बाद जोशी जी ने एक बयान अपनी तरफ से जारी करने की आवश्यकता महसूस नहीं की। क्या रामायण आपके लिए मज़ाक बन कर रह गई है ? देश के लोगों को मानसिक संताप देने की दोषी है ये सरकार। आपको जावड़ेकर युग तो याद ही होगा। अपने आलेखों में मैंने एक बार लिखा था कि श्री अनुराग ठाकुर भी जावड़ेकर का द्वितीय संस्करण बनेंगे।
हालाँकि मेरी आशाओं पर तुषारापात करते हुए उन्होंने तो जावड़ेकर को भी मात कर दिया है। इस मैच का मुजरिम जितने फिल्म के निर्माता और निर्देशक हैं, उतने ही अनुराग ठाकुर और प्रसून जोशी भी हैं। रामायण-महाभारत पर जब कोई फिल्म बनाई जाए तो निर्माता को सरकार से एनओसी लेने का कड़ा कानून बनाना चाहिए, जो अब तक नहीं बनाया गया है।
भारत के लाखों फिल्म दर्शकों की आशा थी कि सन 2014 के बाद बॉलीवुड को लेकर सरकार कड़ा रुख अपनाएगी, सेंसर बोर्ड के नियमों को भारतीय संस्कृति के अनुरुप बनाएगी। लेकिन हुआ उलटा ही। इस सरकार के आने के बाद सिनेमा में हिंदुत्व हितों की सरासर अनदेखी की गई है। आदिपुरुष का ताज़ा उदाहरण सामने है। इतना विरोध होने के बाद भी केंद्र की ओर से चुप्पी लगी हुई है।
हालाँकि कल किसी हीरोइन को छींक आ जाए तो केंद्र की ओर से अवश्य कोई बयान देखने को मिल सकता है।